नीबू मिर्ची टांगने के पीछे क्या वैज्ञानिक कारण हैं ?

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नीबू मिर्ची टांगने के पीछे क्या वैज्ञानिक कारण हैं ?
नीबू मिर्ची टांगने के पीछे क्या वैज्ञानिक कारण हैं ?

अक्सर हिन्दू रीती- रिवाज़ में यह देखा गया है की किसी नए कार्य की शुरवात या उद्घाटन में नीबू मिर्ची जरूर शामिल होता है। हिन्दू समाज में यह प्रथा प्राचीन समय से चल रही है। आज जानते है क्या है ऐसे वैज्ञानिक कारण जिनकी वजह से आज भी 21 सदी में भी निम्बू मिर्ची का होता है उपयोग।

निम्बू और मिर्च का प्रयोग के पीछे एक ऐसा कारण जिसे सुनकर आप भी रह जायेगे हैरान पहले कच्ची सड़कें होती थी और लोग अपनी डेस्टिनेशन तक तक पहुँचने के दौरान पानी के साथ कुछ मिर्च और नींबू भी ले जाते थे। की अगर सफर के दौरान उन्हे प्यास लगे या निर्जलित हो जाते हैं, तो वे पानी में नींबू से रस निचोड़ लेते हैं और खुद को तरो ताज़ा करने के लिए इसका उपयोग कर सके।

हरे भरे जगलों में आते जाते लोग अधिकतर बार जहरीले सांप का शिकार बन जाते थे मिर्च यह निर्धारित करने में बहुत बड़ी भूमिका निभाती थी कि जिस सांप ने काटा हैं वह ज़हरीला था कि नहीं। यह निर्धारित करने के लिए कि क्या जहर जहरीला हैं कि नहीं, पीड़ित मिर्च खाता था। यदि उसकी जीभ में कोई सनसनी नहीं होती, तो इसका मतलब यह था कि सांप जहरीला हैं। यदि पीड़ित का मुंह जलता है, तो इसका मतलब है कि सांप जहरीला नहीं था।

नीबू मिर्ची टांगने के पीछे क्या वैज्ञानिक कारण हैं ?

निम्बू मिर्च के उपयोग का और आपने पास रखने का असल कारण यह है। परन्तु हिन्दू समाज में आज भी इसे जादू टोने को काटने बुराई को दूर करने में मदद नज़र जैसी चीज़ो से जोड़ा जाता है हालांकि, इस विश्वास के पीछे का विज्ञान संभवतः एक ऐसी संस्कृति से उपजा है जिसने नींबू और मिर्च के गुणों के कारण उनके उपयोग को प्रोत्साहित किया है।

दोनों में ही विटामिन सी भरपूर मात्रा में पाए जाते दोनों विटामिन सी से भरपूर होते हैं इसलिए जब इन नींबू और मिर्च के साथ एक धागा छिदा जाता है, तो यह मौजूद विटामिन और विभिन्न पोषक तत्वों को अवशोषित कर लेता है जो धीरे-धीरे हवा में वाष्पीकृत हो जाते हैं। हम इस हवा में सांस लेते हैं और इन गुणों का उपयोग अपने स्वास्थ्य लाभों के लिए करते हैं।है होते हैं इसलिए जब इन नींबू और मिर्च के साथ एक धागा छिदा जाता है, तो यह मौजूद विटामिन और विभिन्न पोषक तत्वों को अवशोषित कर लेता है जो धीरे-धीरे हवा में वाष्पीकृत हो जाते हैं। हम इस हवा में सांस लेते हैं और इन गुणों का उपयोग अपने स्वास्थ्य लाभों के लिए करते हैं।

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देश को आज़ाद हुए 70 साल से ज्यादा हो गए है, लेकिन अंधविश्वास जैसा मामला खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है. ऐसे में लोग भी अंधविश्वास जैसे तरीकों पर ज्यादा विश्वास कर रहें है. यह बहुत ही पेचिदा मामला है क्योंकि ऐसे में घटना होने की संभावना बनी ही रहती है और कोई न कोई घटना भी होती ही रहती है. 21वी सदी होने और देश के इतने आगे बढने के बावजूद भी लोग ऐसी बेतूकी चीजों पर बड़ी ही असानी से भरोसा कर लेते है , जो कि बहुत गलत है।