उत्तर भारत के भगवान और दक्षिण भारत के भगवान में अंतर क्यों है ?

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भगवान
भगवान
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लगभग सभी धर्मों में भगवान को लेकर अलग-अलग आस्था होती है. भगवान से संबंधित सवाल सीधे तौर पर आस्था से जुड़ा होता है. किसी भी समाज के लोग किस भगवान को ज्यादा मानते है, इसका कहीं ना कहीं इतिहास या भूगौलिक रूप से कोई ना कोई संबंध जरूर होता है. अगर आप उत्तर भारत के भगवान और दक्षिण भारत के भगवानों के बात करें, तो उसमें भी कहीं ना कहीं स्पष्ट अंतर दिखाई देता है. अगर इस अंतर के पीछे के कारणों की चर्चा करें, तो इसमें सबसे बड़ा अंतर भौगोलिक तौर पर दिखाई देता है.

विष्णु भगवान

प्राचीन भारत के समय में दक्षिण भारत और उत्तर भारत के बीच संपर्क जरूर था, लेकिन भौगोलिक विभिन्नता और अलग संस्कृति के कारण उत्तर और दक्षिण भारत के लोग इतना घुल-मिल नहीं पाएं. जिससे भारत में संस्कृतियों में विविधता पाई जाती है. यह विविधता भारत की अनेंकता में एकता का प्रतीक भी है. उत्तर और दक्षिण भारत का ज्यादा संपर्क ना होने के कारण प्राचीन काल से ही उत्तर भारत और दक्षिण भारत की धार्मिक आस्थाओं में मूलभूत अंतर रहा है.

वैदिक आर्य
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इसमें सबसे बडा कारण यह भी है कि वैदिक संस्कृति की शुरूआत भारत के उत्तर-पश्चिम भाग में हुई थी तथा उत्तर वैदिक संस्कृति यमुना नदीं के साथ लगते हुए क्षेत्र में फली-फूली. जिसके कारण उत्तर भारत में वैदिक आर्यों के भगवानों का स्पष्ट प्रभाव देखने को मिलता है, जो दक्षिण भारत में इतना स्पष्ट दिखाई नहीं देता.

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लेकिन जैसे जैसे धर्मों का और आस्था का विकास होता गया और दक्षिण और उत्तर भारत आधुनिक समय में संपर्क में आते गए दोनों क्षेत्रों के बीच भगवानों की मान्यता में भी उतनी समानता आती हुई स्पष्ट दिखाई देती है. पहले की तुलना में दक्षिण भारत और उत्तर भारत के भगवानों में अंतर कम हुआ है, जिसका कारण आधुनिक काल में दोनों क्षेत्रों का संपर्क होना है.

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