सवाल 41- कानून में देशद्रोह के लिए क्या नियम है?

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सवाल 41- कानून में देशद्रोह के लिए क्या नियम है?

देशद्रोह पर कोई भी कानून 1859 तक नहीं था. इसे 1860 में बनाया गया और फिर 1870 में इसे आईपीसी में शामिल कर दिया गया. कहते है कि देशद्रोह एक गंभीर अपराध है. बहुत से ऐसे लोग होते है जो इसके बारे में नही जानते है. शायद ही कुछ लोगों ऐसे होगें, जो इस बारे में जानते हो. देशद्रोह अपराध है और इसमें दोषी पाए जाने पर सजा के कई प्रावधान किए गए हैं. बता दें कि भारतीय संविधान के मुताबिक यहां के प्रत्येक नागरिक को संवैधानिक तरीके से ही सरकार की गतिविधियों व क्रियाकलाप का विरोध करने का अधिकार है.


देश की सत्ता को गैरकानूनी तरीके से चुनौती नहीं दी जा सकती. इसके लिए हथियार आदि उठाना या फिर देश की सत्ता को गैरकानूनी तरीके से चुनौती देने वालों का साथ देना देशद्रोह की श्रेणी में आता है. जिससे कुछ लोग काफी अंजान होते है. इसी तरीके से कुछ गलत लोगों का साथ देने से पीछे नही हटते है वह किसी के भी बहकावे में आ सकते है. इस बात को सभी जानते ही होगें कि पिछले दिनों जेएनयू के स्‍टूडेंट लीडर कन्‍हैया कुमार पर पुलिस ने देशद्रोह के आरोप लगाया था.


देशद्रोह के खिलाफ ऐक्शन
देश विरोधी गतिविधियों में अगर कोई संगठन या पार्टी प्रत्यक्ष रूप से या अप्रत्यक्ष रूप से लिप्त है. तो सरकार नोटिफिकेशन जारी कर उन्हें बैन कर देती है. सरकार ने माओवादी संगठन से लेकर अन्य कई अलगाववादी संगठन पर बैन लगाया है साथ ही साथ ऐसे संगठन से संबंध रखने वालों के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियों के तहत मामले को भी दर्ज किया जाएगा. या फिर यू कहे कि अपराध के हिसाब से देशद्रोह या इससे संबंधित धाराओं के तहत केस को दर्ज किया जा सकता है.

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देशद्रोही के लिए कानून
भारतीय दंड संहिता की धारा-121 में देश के खिलाफ युद्ध करने वालों को यह सजा दी जाती है. इसमें यह प्रावधान है कि अगर कोई भी शख्स देश के खिलाफ युद्ध करता है या फिर इसका प्रयास करता है, किसी भी तरीके से वह लोगों को उत्प्रेरित करता है और अदालत में अपराध साबित हो जाए तो सजा के तौर पर उम्रकैद या फिर फांसी की सजा तक दी जा सकती है.


आईपीसी की धारा-121 ए के तहत ऐसे किसी अपराध के लिए साजिश रचने के लिए 10 साल कैद या फिर उम्रकैद की सजा का प्रावधान किया गया है. देश के खिलाफ युद्ध की साजिश रचने वालों के खिलाफ या फिर ऐसे लोग जोकि सांठगांठ रखते हो, ऐसे लोगों के खिलाफ यह मामला दर्ज किया जाता है.


आईपीसी की धारा 122 के तहत जो भी कोई भारत सरकार के विरुद्ध युद्ध करने, या युद्ध करने की तैयारी करता है, या फिर गोलाबारूद को इकट्ठा करेगा, युद्ध करने की तैयारी करेगा, तो उसे आजीवन कारावास की सजा हो सकती है, या किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा जिसे अधिकतम दस वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है और साथ ही वह आर्थिक दण्ड के लिए भी उत्तरदायी होगा.


धारा 123 आईपीसी की इस धारा में जो कोई भारत सरकार के विरुद्ध युद्ध करने की परिकल्पना के अस्तित्वों को छुपाए रखता है. या फिर युद्ध में उस व्यक्ति का साथ देता है जो देश से युद्ध के कर रहा हो या उसकी किसी भी बात को छिपाए रखता हो उसे भी इस मामले में सजा दिए जाने का प्रावधान है. इसके लिए उस व्यक्ति को 10 साल की सजा हो सकती है.

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धारा 124: इस धारा में राष्ट्रपति और राज्यपाल पर अटैक करने वालों को अलग से सजा दिए जाने का प्रावधान है साथ ही धारा-124 ए में देशदोह के लिए सजा का प्रावधान किया गया है. इसमें दोषी को उम्रकैद तक की सजा हो सकती है.

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देश के खिलाफ गलत लिखना, बोलना या फिर ऐसी कोई हरकत जिससे देश के प्रति नफरत का भाव दिखता हो देशदोह की श्रेणी में आता है.

आशा करते है कि आप सभी को इस प्रश्न का उत्तर मिल गया होगा. आप लोग ऐसे ही प्रश्न पूछते रहिए हम उन प्रश्नों के उत्तर आपको खोजकर देंगे. आप कमेंट बॉक्स में अपनी राय और कमेंट करके अपने प्रश्नों को पूछ सकते है. इस सवाल को पूछने के लिए आपका धन्यवाद