सवाल 8- क्या कारण था कि राजा-महाराजा एक से अधिक शादियाँ करते थे?

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21-वीं सदी में जहाँ एक शादी करके भी गुजारा करना मुश्किल हो जाता हैं वहीं पुराने ज़माने में राजा महाराजा एक नहीं बल्कि दो-चार शादियाँ किया करते थे। अगर हम किसी राजा की कई शादियों के बारे में बात करें तो इनमें सबसे चर्चित नाम आता है राजा दशरथ का। राजा दशरथ ने तीन शादियाँ की थी। उनकी तीनों रानियों का नाम क्रमशः कौशल्या, सुमित्रा और कैकेयी था। भगवान राम कौशल्या के पुत्र थे।

अगर आज के ज़माने में तीन शादियाँ करने की बात की जाए तो सुनने में बहुत अच्छा लगेगा लेकिन उन शादियों को निभाना शायद गंगा में जौ बोने के सामान होगा। अगर यही बात किसी शादीशुदा आदमी को कही जाए तो वह बोलेगा भई यहाँ एक नहीं संभल रही है और तुम तीन शादी करने को कह रहें हो। लगभग हर मर्द की इच्छा होती है वह हर रात एक अलग औरत के साथ सोये लेकिन वास्तव में यह नामुमकिन है। पुराने ज़माने में राजा महाराजा ऐसा किया करते थे।

कभी कभी हमें पढ़ने को मिल जाता है कि किसी राजा की हफ्तों के दिनों के हिसाब से रानियाँ थी। राजा हफ्ते के हर दिन अलग रानियों के साथ सोया करता था। आखिर ऐसा क्या कारण था कि राजा महाराजा एक से ज्यादा शादियाँ किया करते थे, क्या आज के ज़माने की तरह उन्हें अपनी पत्नियों से डर नहीं लगता था। आइये जानते हैं उसके कई कारण-

इनमे सबसे बड़ा कारण यह है कि क्योकि राजा महाराजा हमेशा किसी राज्य या कुनबे के मुखिया होते थे तो उनके लिए आर्थिक तौर पर कई शादियाँ कर लेना कोई बात नहीं थी। वे अपने लिए एक से ज्यादा शादियाँ करने के खर्चे उठा सकते थे।

दूसरा कारण यह था कि राजा महाराजा राज्य के सबसे बड़े पद पर होने के नाते उन्हें राज्य जो भी लड़कियां पसंद आती थी उन्हें वे शादी का प्रस्ताव दे देते थे। क्योकि वे राजा होते थे तो उन्हें किसी का भय नहीं रहता था कि कोई क्या कहेगा। उनका जिस भी लड़की पर दिल आता था वे अपनी प्रभाव से लड़की को शादी के लिए मजबूर कर देते थे। चाहे यह बात लड़की को पसंद हो या न हो। लड़की को शादी करनी पड़ती थी। लोग अपने आप को खुसनसीब मानते थे कि राजा ने उनकी लड़की पसंद की है अगर राजा ने उनकी लड़की से शादी कर ली तो रजवाड़े में कुछ पद मिल जायेगा जिससे वे अपनी गुजर बसर अच्छी से कर सकेंगे। यही कारण था कि एक से अधिक शादियाँ आसानी से कर लेते थे।

तीसरा मुख्य कारण यह था कि चूंकि राजा महाराजा अपने दरबार में नर्तकियों को नचाते थे लेकिन उनके साथ सोना उन्हें बिना शादी के अमर्यादित लगता था, क्योकि उनके दरबार में साधु महात्मा भी रहा करते थे तो राजा उनके सिद्दांत को साधने के लिए पहले शादी करते थे तब जाकर अपनी हवस उतारते थे। यह उनके लिए आसान होता था।

चौथा कारण था कि राजा का रसिक होना। क्योकि राजा बचपन से ठाट बाट में पला बढ़ा होता है तो शादी की उम्र होने पर भी उसे एक से अधिक सूंदर और विभिन्न तरह की लड़कियों की चाहत रहती है और यह उनके लिए आसान रहता है वह उनसे शादी करले। क्योकि राजाओं उनका खर्चा देखना पड़ता नहीं था। तमाम नौकर चाकर रानियों के सेवाओं में लगे रहते थे।

पांचवा सबसे बड़ा कारण था कि उस समय में महिलाओं का अपने अधिकार के लिए जागरूक न होना। उस समय महिलाये अपने अधिकारों से वंचित रहती थी। क्योकि राजा ही राज्य का संविधान और क़ानून होता था तो महिलाओं को ऐसा अधिकार ही नहीं दिया जाता था वो शादी के ऐसे प्रस्तावों के खिलाफ जा सके। उस समय का समाज ऐसा था कि लोगों की सोच बहुत संकुचित रहती थी। वे राजा को ही अपना सबकुछ मानते थे।

धन धान्य की राजा के पास कमी न होना भी बहु विवाह को बढ़ावा देता था। कभी राजा को औलाद नहीं होती थी तो वह लोग इस चक्कर में कई शादिया कर लेते थे। चाहे राजा नपुंसक ही क्यों न हो। लोग ये न सोचते थे।

पुराने समय में राजा महाराजा एक दूसरे की देखा-देखी में कई शादियाँ कर लेते हैं। एक दूसरे राजाओं के प्रतिस्पर्धा रहती थी कौन कितनी शादी करता है और उनकी कितनी सूंदर रानियाँ होती हैं। यही कारण था कि धौंस जमाने के लिए भी राजा बहु विवाह किया करते थे।

पुराने ज़माने राजा महाराज राज्य के प्रमुख होने के नाते भी दूरदर्शी नहीं थे। उन्हें राज्य के विकास के बारे में भी उतना ख्याल न रहता था। बस वे राज्यों से लड़ाईयां लड़ते थे। अगर वहाँ राज्य को हड़प लिया तो वहाँ की सूंदर लड़की को अपने राज्य लाकर रानी बना लेते थे।

राजा कभी कभी युद्ध की संधि को निभाने के लिए भी कई शादियाँ कर लेते थे।

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