पंजाब में किसानों की जनसंख्या कितनी है?

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केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब के किसान ‘दिल्ली कूच’ पर निकले हैं। पंजाब से लेकर हरियाणा में जगह-जगह किसानों के संघर्ष के बाद भी उनका मार्च जारी है। किसानों पर आज भी आंसू गैस के गोले दागे गए लेकिन उनकी हिम्मत नहीं डिगी है। किसान डटे हुए हैं और वह आगे बढ़ने का प्रयास कर रहे हैं। 

भारत एक कृषि प्रधान देश है, यह हम सब जानते हैं। लेकिन, आप यह जानते हैं कि बिहार का एक औसत किसान महीने भर में जितना कमाता है, उससे पांच गुना ज्यादा आमदनी पंजाब के औसत किसान की है। हरियाणा के किसानों की भी आमदनी कोई कम नहीं है। कमाई के लिहाज से उनका नंबर देश में दूसरा है। हालांकि, यह आंकड़ा आठ साल पुराना है, लेकिन इससे एक ट्रेंड तो मिल ही जाता है कि किस राज्य के किसानों की माली हालत क्या है।

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इन आंकड़ों का एक और पहलू यह है कि बिहार के किसानों की मासिक आमदनी देश में सबसे कम है जबकि पंजाब के किसानों की आमदनी सबसे ज्यादा। तभी तो किसान आंदोलन के दौरान सड़कों पर अधिकतर पंजाब के किसान ही दिखते हैं।अगर बात की जाए पंजाब में किसानों की जनसंख्या की तो वो आबादी के हिसाब से 75 फीसदी के लगभग है।केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बीते साल 13 दिसंबर को राज्य सभा (Rajya Sabha) में एक सवाल के जवाब में बताया था कि पंजाब के किसानों की औसत मासिक आमदनी 18,059 रुपये है।

कृषि प्रधान देश भारत में किसानों की आमदनी सरकार के लिए कितना महत्वपूर्ण है, इसका अंदाजा इसी बात से लगता है कि आमदनी जानने का प्रयास कब हुआ। किसानों की आमदनी जानने के लिए केंद्र सरकार के नेशनल स्टेटिस्टिकल ऑफिस (NSO) ने कृषि वर्ष 2012-13 (जुलाई से जून) के बीच ही 70वें राउंड का सर्वे किया था। सरकार का कहना है कि किसानों की आमदनी जानने के लिए विगत कुछ वर्षों के दौरान इस तरह का कोई सर्वे नहीं हुआ है। केंद्रीय कृषि मंत्री ने इसी सर्वे के आंकड़ों का हवाला देकर राज्य सभा में उपरोक्त जानकारी दी थी।

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नए कृषि कानूनों के विरोध में ‘दिल्ली चलो’ मार्च को देखते हुए गुरुवार को राजधानी की सभी सीमाओं पर पुलिस का भारी बंदोबस्त रहा। दिल्ली पुलिस के अलावा अतिरिक्त सुरक्षा बलों की कई कंपनियों को लगभग सभी बॉर्डर पर तैनात किया गया। हालांकि, पंजाब से दिल्ली की ओर चले किसानों को हरियाणा में अलग-अलग जगहों रोक लिया गया, लेकिन इन किसानों के समर्थन में आसपास के कुछ किसान दिल्ली की सीमाओं पर पहुंचते रहे। 

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