सवाल-21; क्या होता है H-1B वीजा, इसको लेकर अमेरिकन क्यों करते हैं इतना हल्ला?

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आये दिन हमें सुनने में आता है कि अमेरिका ने H-1B वीजा में ये बदलाव किया, कभी इससे सम्बंधित कुछ नियमों को कड़ा कर दिया। तो आइये जानते हैं क्या है H-1B वीजा क्या है?

H-1B वीजा एक गैर-प्रवासी वीजा है। एक हिसाब से कहें तो यह अमेरिका में वैध तरीके से रहने और काम करने का एक लाइसेंस है। इस वीजा की वजह से कोई भी कर्मचारी अमेरिका में छह साल तक काम कर सकता है। डोनाल्ड ट्रम्प के अमेरिका के राष्ट्रपति बनने के बाद से H-1B वीजा सम्बन्धी खबर ज्यादा चर्चा में रहती है।

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अमेरिका में कार्यरत कंपनियों को यह वीजा ऐसे कुशल कर्मचारियों को रखने के लिए दिया जाता है जिनकी अमेरिका में अनुउपलब्धता हो। इस वीजा को जारी करने के लिए कुछ शर्तें होती हैं। जैसे इसे पाने वाले व्यक्ति को ग्रेजुएट होने के साथ किसी एक क्षेत्र में विशेष योग्यता हासिल होनी चाहिए। साथ ही इसे पाने वाले कर्मचारी की सैलरी कम से कम 60 हजार डॉलर यानी करीब 40 लाख रुपए सालाना होना जरूरी है।

इस वीजा की एक खासियत यह है कि यह अन्य देशों के लोगों के लिए अमेरिका में बसने का रास्ता भी यह आसान कर देता है। H-1B वीजा धारक पांच साल के बाद स्थायी नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं।

इस वीजा की मांग इतनी ज्यादा है कि इसे हर साल लॉटरी के जरिये जारी किया जाता है। H-1B वीजा का सबसे ज्यादा इस्तेमाल TCS, विप्रो, इंफोसिस और टेक महिंद्रा जैसी 50 से ज्यादा भारतीय आईटी कंपनियों के अलावा माइक्रोसॉफ्ट और गूगल जैसी बड़ी अमेरिकी कंपनियां भी करती हैं।

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अमेरिका में अक्सर H-1B का विरोध होता रहा है। डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने चुनावी घोषणाओं में इसे समाप्त करने का वादा किया था। अमेरिकी नागरिकों का आरोप है कि कंपनियां योग्य कर्मचारियों की बजाय कम सैलरी में H-1B के जरिये दूसरे देशों के नागरिकों को नौकरियां दे रहीं हैं। H-1B मिलने के बाद वे कर्मचारी स्थायी नागरिकता के लिए आवेदन करते हैं जिससे अमेरिका में विदेशियों की संख्या लगातार दिन ब दिन बढ़ रही है।

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हालांकि H-1B किसी को आसानी से नहीं मिलता है। इसके लिए आवेदन काफी अधिक संख्या में होते हैं। फिर भारतीय नागरिक इस मामलें में H-1B की योग्यता हथिया लेते हैं। कभी कभी नस्लीय टिपण्णी के कारण अमेरिकी नागरिक द्वारा भारतीय की हत्या की खबर आती रहती है। यह H-1B के कारण ही होता है क्योकि अमेरिकन को लगता है भारतीय उनकी नौकरी खा रहें हैं।

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