क्वाशियोरकर रोग क्या है और इसके लक्षण व रोकथाम के उपाय?

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क्वाशियोरकर रोग क्या है और इसके लक्षण व रोकथाम के उपाय?
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क्वाशियोरकर तीव्र कुपोषण (acute malnutrition) का एक रूप है। यह रोग बच्चों और वयस्कों दोनों को प्रभावित कर सकता है, लेकिन प्रोटीन की कमी से पीड़ित बच्चों में यह समस्या बहुत आम है। क्वाशिओरकोर एक गंभीर समस्या है। ज्यादातर लोग इसका जल्दी इलाज किये जाने पर पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं, लेकिन उपचार के अभाव में क्वाशियोरकर बच्चों की मौत का कारण भी बन सकती है। अतः इसका इलाज और बचाव किया जाना आवश्यक हो जाता है।

आज के इस लेख में आप जानेंगे कि क्वाशियोरकर क्या है, क्वाशियोरकर रोग के लक्षण, कारण, इलाज और बचाव के बारे में।क्वाशियोरकर को “एडेमेटस कुपोषण” के रूप में भी जाना जाता है, क्योंकि इसका संबंध एडिमा (edema) के साथ होता है। क्वाशिओरकोर एक पोषण की कमी से होने वाला विकार है, जो अक्सर अकाल से प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले व्यक्तियों को अधिक प्रभावित करता है। क्वाशिओरकोर आहार में प्रोटीन की कमी से संबन्धित कुपोषण का एक प्रकार है। क्वाशिओरकोर को अन्य नामों से भी जाना जाता है, जैसे:- प्रोटीन कुपोषण, घातक कुपोषण या प्रोटीन-कैलोरी कुपोषण इत्यादि।

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यदि किसी भी बच्चे में क्वाशिओरकोर से संबन्धित लक्षण देखे जाते हैं, तो उसे तुरंत डॉक्टर को दिखाने और चिकित्सकीय उपचार प्रदान करने की आवश्यकता होती है।छोटे बच्चों और शिशुओं को मरास्मस अधिक प्रभावित करता है। मरास्मस के लक्षणों में वजन घटना, निर्जलीकरण, डायरिया और पेट में सिकुड़न आदि को शामिल किया जाता है। भोजन की कमी तथा अकाल की स्थिति मरास्मस की समस्या का मुख्य कारण बनती है, जबकि क्वाशियोरकर उन लोगों में विकसित होता है, जिनके पास प्रोटीन की गंभीर रूप से कमी पाई जाती है।

अर्थात ऐसे आहार का सेवन जिसमें मुख्य रूप से कार्बोहाइड्रेट उपस्थित हो, क्वाशियोरकर स्थिति का कारण बन सकता है। क्वाशियोरकर के मुख्य लक्षणों में एडिमा या सूजन, पेट में उभार, वजन बढ़ने में असमर्थता इत्यादि को शामिल किया जाता है।प्रोटीन या पोषक तत्वों की कमी वाले आहार का सेवन क्वाशिओरकोर का कारण बनता है। अतः क्वाशियोरकर गंभीर रूप से प्रोटीन की कमी के परिणामस्वरूप होता है। इसके अतिरिक्त कैलोरी की कमी भी इसका कारण बन सकती है।

प्रोटीन शरीर में द्रव संतुलन बनाए रखने का महत्वपूर्ण कार्य करता है। अतः प्रोटीन की कमी के कारण द्रव शरीर के ऐसे क्षेत्रों में स्थानांतरित हो जाता है, जहां इसे नहीं होना चाहिए। जिसके कारण सूजन या एडिमा की समस्या उत्पन्न होती है।क्वाशियोरकर आमतौर पर 4 साल से कम उम्र के ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले बच्चों को अधिक प्रभावित करता है। किसी क्षेत्र की खाद्य आपूर्ति को प्रभावित करने वाली प्राकृतिक आपदा या सूखे की स्थिति के बाद भी कुछ लोग क्वाशियोरकर का अनुभव कर सकते हैं।

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साभार-www.healthunbox.com

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