क्या गांधारी का आंखों पर पट्टी बांधना त्याग था?

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क्या गांधारी का आंखों पर पट्टी बांधना त्याग था?

महाभारत के पात्रों में गांधारी के विषय में सभी लोगों के अपने-अपने विचार है। अपने नेत्रहीन पति का साथ देने के लिए स्वयं की आंखों पर पट्टी बांधने के कारण उनकी अधिकतर लोगों द्वारा आलोचना की जाती है। साथ ही पुत्रमोह के कारण भी उनसे कई सारे अधर्म हुए लेकिन फिर भी उन्हें पतिव्रता और निष्ठावान स्त्री के रूप में माना जाता है। इसी कारण से उन्हें दिव्य शक्ति भी मिली थी।

गांधारी को भगवान शिव में असीम आस्था थी और उन्हें भगवान शिव से ही यह वरदान प्राप्त था कि वह जब कभी भी किसी को भी अपनी आँखों की पट्टी उतारकर देखेंगी उसका पूरा शरीर लोहे का हो जायेगा। इसी वरदान के चलते गांधारी ने पुत्र मोह में आकर अपने अधर्मी पुत्र दुर्योधन की रक्षा करने के लिए महाभारत युद्ध के दौरान उसके पूरे बदन को नग्न देखने के लिए प्रथम बार अपनी पट्टी उतारी थी. जिससे कि उनके पुत्र का शरीर व्रज का बन जाए लेकिन दुर्योधन जैसे अधर्मी को मारना बहुत जरूरी था .

भगवान श्रीकृष्ण ने दुर्योधन को गांधारी के इस वरदान से फलीभूत होने से बचाने के लिए छल का सहारा लिया। श्रीकृष्ण के कहने पर दुर्योधन अपनी मां के सामने लंगोट पहनकर गया जिससे गांधारी की दिव्य दृष्टि का प्रभाव उसकी जांघ पर नहीं पड़ा। गांधारी ने महाभारत युद्ध के अंतिम दिन अपनी पट्टी उतारी थी।

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जब महाभारत का युद्ध समाप्ति पर था तब अंतिम युद्ध शुरू होने के पूर्व गांधारी ने अपने बेटे दुर्योधन की सुरक्षा के लिए उससे एक दिन कहा कि वह गंगा में स्नान करने के पश्चात उसके सामने नग्न अवस्था में उपस्थित हो जाए। दुर्योधन ने अपनी माता की आज्ञा का पालन किया और वह गंगा स्नान के लिए चला गया। इस पर दुर्योधन ने अपनी जंघा पर पत्ते लपेट लिए और गांधारी के समक्ष उपस्थित हो गया। जब गांधारी ने अपने नेत्रों से पट्टी खोलकर व उसे देखा तो उसकी दिव्य दृष्टि जंघा पर नहीं पड़ सकी, जिस कारण दुर्योधन की जंघाएं वज्र की नहीं हो सकीं। कृष्ण की योजना और बहकावे के कारण दुर्योधन का समस्त शरीर वज्र का नहीं हो सका।

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अपने प्रण के अनुसार ही महाभारत के अंत में भीम ने गदा से दुर्योधन की जांघ पर प्रहार किया और दुर्योधन मारा गया। महारानी गांधारी एक सती नारी है जो भगवान श्री कृष्ण को भी श्राप दे सकती हैं। किन्तु उन्को दुर्भाग्यवश कइ दुःख झेलने पड़े. महारानी होते हुए भी ऐसा त्याग करना यह त्याग की परिसीमा है। महारानी गांधारी एक त्यागिनी थी जो अपने पति और पुत्र के लिए हरसंभव त्याग किया इसलिए गांधारी का आंखों पर पट्टी बांधना एक बहुत बड़ा त्याग था।

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