इंदिरा गांधी के इन 3 फैसलों ने बदली भारत की तस्वीर

345
इंदिरा गांधी के इन 3 फैसलों ने बदली भारत की तस्वीर
इंदिरा गांधी के इन 3 फैसलों ने बदली भारत की तस्वीर

देश की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने राजनीति में अपनी अलग ही पहचान बनाई थी. इंदिरा गांधी के फैसलों ने ही उन्हें दुनिया का सुमार और ताकतवर नेता करार दिया. इंदिरा गांधी अपनी राजनीतिक दृढ़ता के लिए आज भी जानी जाती है.

इंदिरा गांधी ने जो भी देश के लिए किया वह भुलाया नहीं जा सकता है. उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान कई महत्वपूर्ण और साहसिक फैसले लिए है. उनके फैसलों ने देश को आर्थीक मोर्चे को मजबूत बनाया है. आईए आपको बताते है इंदिरा गांधी के द्वारा किए गए काम जिन्होंने भारत की तस्वीरो को ही बदल कर रख दिया.

बैंकों का राष्ट्रीयकरण
इंदिरा गांधी ने अपने कार्यकाल में बैंकों के राष्ट्रीयकरण का अहम फैसला किया था. उन्होंने 19 जुलाई, 1969 को 14 निजी बैंकों का राष्ट्रीयकरण का दिया था. इंदिरा गांधी ने यह उन बैंकों पर किया जिसमें अधिकतर बड़ें घरानों का कब्जा था. इंदिरा गांधी का मानना था कि बैंकों का राष्ट्रीयकरण होगा, तो अच्छा रहेगा क्योंकि उसी की बदौलत देश भर में बैंक क्रेडिट दिया जा सकेगा.

जिस समय उस वक्त मोरारजी देसाई वित्त मंत्री थे. जिन्होंने इस प्रस्ताव को अस्वीकार किया था. उस वक्त इन बैंकों के पास देश की 70 प्रतिशत जमापूंजी थी. बैंकों का राष्ट्रीयकरण करने के बाद बैंकों की 40 प्रतिशत पूंजी को प्राइमरी सेक्टर में निवेश करने के लिए सुरक्षित रखा गया. 1969 में 8261 शाखाएं थीं. 2000 तक 65521 शाखाएं हो गई. 1980 में छह और बैंकों का राष्ट्रीयकरण कर दिया गया.

इंदिरा गांधी के इन 3 फैसलों ने बदली भारत की तस्वीर

राजा-महाराजओं का प्रिवी पर्स किया बंद
आजादी के पहले हिंदुस्तान में लगभग 500 से ज्यादा छोटी बड़ी रियासतें थीं. हर राजा-महाराजा को अपनी रियासत का भारत में एकीकरण करने के एवज में भारत सरकार द्वारा हर साल राजभत्ता बांध दी गई थी. यह समझौता सरदार पटेल द्वारा देसी रियासतों के एकीकरण के समय हुआ था. इंदिरा गांधी ने प्रिवी पर्स को खत्म करने का फैसला किया था. उन्होंने 1971 में संविधान में संशोधन करके इसे बंद करवा दिया गया था.

बांग्लादेश का उदय
भारत के विभााजन के बाद बंगाल दो भाग में बट गया था जो पूर्वी पाक बना था. यहां पर जनता के पास नागरिक अधिकार नहीं थें. पुर्वी पाक की जनता पाकिस्तान की सेना के शासन में धुटन महसूस कर रही थी. शेख मुजीबुर रहमान पूर्वी पाकिस्तान की स्वतंत्रता के लिए शुरू से संघर्ष कर रहे थे. अब इसक बाद पूर्वी पाकिस्तान में गृहयुद्ध शुरू हो गया. यहीं कारण रहा कि भारत के असम में करीब 10 लाख बांगला शरणार्थी पहुंच गए.

यह भी पढ़ें : JCB एक बार फिर से है चर्चा में, इस बार बना है गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड

जिनसे देश में आंतरिक और आर्थिक संकट पैदा हो गया. भारत को बांग्लादेशियों के अनुरोध पर इस सम्स्या में हस्तक्षेप करना पड़ा जिसके फलस्वरुप 1971 का युद्ध शुरू हुआ. इस युद्ध में करीब 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों को युद्धबंदी बनाया गया. लंबे समय तक राजनीतिक अस्थिरता के बाद एक नए राष्ट्र का उदय हुआ.