Society Flat Rules: फ्लैट में पता चले खामी तो क्या करें? आपको पता होना चाहिए पांच साल वाला यह नियम

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Society Flat Rules: फ्लैट में पता चले खामी तो क्या करें? आपको पता होना चाहिए पांच साल वाला यह नियम

गाजियाबाद/गुरुग्राम/नई दिल्ली: गुरुग्राम की चिंटेल पैराडाइज (Chintels Paradiso) सोसाइटी में 10 फरवरी की घटना के बाद NCR समेत देशभर की सोसाइटियों में रहने वाले लोग टेंशन में हैं। उस दिन चिंटेल की कई मंजिलों की छतें अचानक टूटकर पहले फ्लोर पर आ गई थीं। दो निवासियों की जान चली गई। इसके बाद गुरुग्राम ही नहीं, पूरे एनसीआर के लोग बिल्डिंग की बनावट और मजबूती की जांच की मांग करने लगे हैं। इसको लेकर सवाल भी उठ रहे हैं कि अगर किसी अपार्टमेंट में खामी नजर आती है और बिल्डर अपने हाथ खड़े कर देता है या कोई कार्रवाई नहीं करता है तो आगे क्या होगा, उसका समाधान (UP Rera Rules) कैसे निकलेगा? आइए जानते हैं।

रेरा में कानून है…
यूपी-रेरा के चेयरमैन राजी कुमार ने हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि इसके निवारण को लेकर कानून बना हुआ है, जो डिवेलपर को जवाबदेह बनाता है। कुमार ने बताया, ‘RERA के प्रावधानों के तहत इस पर कानून पहले से है। ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट (OC) जारी होने के पांच साल के भीतर अगर बिल्डिंग में कोई निर्माण संबंधी खामी पता चलती है तो शिकायतकर्ता की ओर से प्रमोटर को एक नोटिस जारी किया जा सकता है। वह (प्रमोटर) जवाबदेह है और 30 दिनों के भीतर उसे समस्या को दूर करने के लिए कार्यवाही करनी होगी।’
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डिवेलपर न सुने तो क्या करें, जान लीजिए
अगर जवाब संतोषजनक नहीं रहता है या डिवेलपर जवाब ही नहीं देता है तो शिकायतकर्ता रेरा से भी संपर्क कर सकता है। कुमार ने कहा कि ऐसे में यूपी-रेरा आदेश जारी करेगा। लेकिन RERA पांच साल के भीतर ही कोई कार्रवाई कर सकता है। कुमार ने आगे कहा कि एक क्लॉज है जिसके तहत OC मिलने के पांच साल की अवधि के भीतर ढांचागत खामी की शिकायत की जा सकती है। अगर यह अवधि बीत जाती है तो मामला विकास प्राधिकरणों के पास जाता है। यानी अगर गाजियाबाद का मामला है तो गाजियावाद विकास प्राधिकरण, नोएडा का है तो नोएडा प्राधिकरण आदि। ऐसे में उत्तर प्रदेश अपार्टमेंट ऐक्ट के प्रावधानों के तहत कार्रवाई होगी।

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मेंटेनेंस की दिक्कत है तो…
UP-Rera के चेयरमैन ने कहा कि ढांचागत गड़बड़ी को मेंटेनेंस की समस्याओं से नहीं जोड़ना चाहिए। इसके निराकरण की अलग प्रक्रिया है। उन्होंने कहा कि मेंटेनेंस से जुड़ी परेशानियों के लिए RWA और प्रमोटर या जो भी मेंटेनेंस का काम देख रहा है वह जवाबदेह है।

पांच साल के बाद?
अगर कोई शख्स पांच साल की अवधि के बाद स्थानीय प्रशासनिक प्राधिकरण से संपर्क करता है तो वह मामले में दखल देते हुए जरूरत पड़ने पर एफआईआर भी दर्ज करा सकती है। GDA के चीफ टाउन प्लानर आशीष शिवपुरी ने बताया, ‘यूपी अपार्टमेंट ऐक्ट के प्रावधानों के तहत, हम RWA या प्रमोटर (जो भी इंचार्ज हो) को नोटिस जारी कर सकते हैं और उन्हें मेंटेनेंस के काम के लिए फंड्स की व्यवस्था करने के लिए कह सकते हैं। अगर कोई जवाब नहीं मिलता है तो हम उनके खिलाफ FIR भी दर्ज करा सकते हैं।’



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