यूपी के सरकारी स्कूलों में श्रमदान को लेकर किया जाता है मजबूर

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उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश के प्राथमिक विद्यालय व पूर्व माध्यमिक विद्यालयों में छात्रों का शोषण हो रहा है. बता दें कि गरीबी मां-बाप अपने बच्चों को पढ़ने के लिए सरकारी विद्यालयों में भेज देते है जहां उनका दोहन स्कूल के शिक्षक शिक्षिकाओं के द्वारा किया जा रहा है.

सरकार के इरादों पर पानी फेरते शिक्षक:-

अगर आप भी अपने बच्चों को प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक विद्यालय में शिक्षा के लिए भेजन चाहते हो तो थोड़ा संभल जाएं क्योंकि आपके बच्चों स्कूल में शिक्षा की जगह कहीं नगर निगम के सफाई कर्मचारी के रूप में कार्य न करना पड़ जाए.

बता दें कि यदि विद्यालयों में इसके बारे में जानकारी ली जाएं तो यहां मौजूद प्रधान अध्यापिका कहती हैं कि बच्चे साफ सफाई नहीं करेंगे तो कौन करेगा. ये मामला है प्राथमिक विद्यालय अमराई गांव का जहां पर स्कूल की प्रधानाध्यापिका स्वयं खड़े होकर बच्चों से टॉयलेट और वहां पड़े बड़े-बड़े पत्थरों को साफ करवा रही थी. जब इस बारे में प्रधानाध्यापिका कमला देवी से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि आप लोगों ने बीएसए से इजाजत लिया है कि नहीं हमारे विद्यालय में प्रवेश करने के लिए. यहां पर पत्रकारों को अपशब्द भी कहे गए.

Government schools in UP are forced to pay tribute to Shramdan 1 news4social -

गुरुकुल शिक्षा पद्धति:-

प्राथमिक विद्यालय अमराई गांव नगर क्षेत्र जॉन, 2 में प्रधान अध्यापिका एवं उनकी सहायक अध्यापिका ने बोला है कि यह शिक्षा पद्धति को बढ़ावा देती है, जहां बच्चे ही श्रमदान करेंगे वहां पढ़ने वाले बच्चों से विद्यालय में साफ सफाई के नाम पर बड़े-बड़े पत्थरों को हटवाकर झाड़ू पोछे तक मारने को कहा जा रहा है. ये ही नहीं बने शौचालय की साफ-सफाई का भी कार्यभार बच्चों पर सौंपा गया है.

जब वह मौजूद छात्रों से मीडिया ने पूछा तो बच्चों ने बताया कि प्रधानाध्यापिका कमला देवी स्कूल के बच्चों से ही सारा काम करवाती हैं. वहीं विद्यालय में पानी पीने तक की भी सुविधा नहीं है. बच्चे ही गांव में जाकर पानी लेट है, शौचालय भी हमेशा बंद ही रहता है मजबूरन बच्चों को शौचालय में बने नलों से पानी भर कर पीना पड़ता है

मीडिया कर्मियों को नहीं देनी है जानकारी बीएसए:-

जब इन तमाम मुद्दों पर मीडिया कर्मियों ने नजर डाली तो प्रधानाध्यापिका पत्रकारों पर भड़क गई और कहने लगी बीएसए से इजाजत लेकर आओ फिर हमारी कमियों को उजागार करो और बीएसए ने ही मना किया है कि पत्रकारों को किसी भी प्रकार की जानकारी ना दी जाए. बता दें कि इस स्कूल की शिक्षकों को शिक्षामित्रों से भी कम जानकारी है. यहां पर गरीब मां-बाप को छलने का काम सरकारी शिक्षकों द्वारा किया जा रहा है. जहां माता-पिता अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में भेजने से डरती है यहीं कुछ वजह जो उनको इस स्कूल में जाने से रोकती है.