Shivling found in Gyanvapi: देश के 7 लाख गांवों में होगी ज्ञानवापी में मिले शिवलिंग की पूजा, स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का ऐलान

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Shivling found in Gyanvapi: देश के 7 लाख गांवों में होगी ज्ञानवापी में मिले शिवलिंग की पूजा, स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का ऐलान

अभिषेक कुमार झा, वाराणसी: द्वारका और ज्योतिष पीठ के पीठाधीश्वर स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज के उत्तराधिकारी स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने गुरुवार को एक बड़ा ऐलान किया है। केदार घाट स्थित विद्या मठ में आयोजित प्रेसवार्ता में उन्होंने देश के सभी सात लाख गांव में ज्ञानवापी मस्जिद के वजू खाने में मिले कथित शिवलिंग के प्रतीकात्मक पूजा का ऐलान किया है। ये ग्रामीण ही नहीं, बल्कि शहरी इलाकों के चार लाख मोहल्लों में भी इस तरह की प्रतीकात्मक पूजा शुक्रवार से शुरू होगी। इससे पूर्व ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में कथित शिवलिंग के पूजन को लेकर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद 5 दिनों तक अनशन पर बैठे थे। उन्होंने कोर्ट से भी पूजन का अधिकार मांगा था। पूजा संबंधी उनकी याचिका खारिज कर दी गई थी।

7 लाख गावों में होगी आदिविश्वेश्वर की पूजा
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने प्रेस वार्ता में ऐलान किया कि स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज के आदेश पर ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में मिले शिवलिंग की तस्वीर के साथ हर गांव में पूजन का कार्यक्रम शुरू करेंगे। इसके लिए उनकी पूरी टीम तैयार है। सनातन धर्म की रक्षा के लिए देश के सभी सात लाख गांव के साथ ही शहर के चार लाख मोहल्लों में भी इस तरह के आयोजन लगातार जारी रखेंगे। कल (शुक्रवार) से वह विधिवत इसकी शुरुआत करेंगे। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए एक बार फिर दोहराया कि सुप्रीम कोर्ट ने दोहरी पोषणीयता ( dualy protected) शब्द का जिक्र किया है, जिसके मुताबिक ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में जो शिवलिंग मिला है. उसका पूजन का अधिकार स्वतः मिल जाता है, लेकिन जिलाधिकारी वाराणसी कौशल राज शर्मा ने उन्हें पूजन की इजाजत नहीं दी। इसकी वजह से उन्होंने 5 दिन तक अनशन पर बैठकर विरोध जताया था। जिलाधिकारी आदेश की गलत व्याख्या कर सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना कर रहे हैं।

कहा- मीडिया ने गलत प्रचारित किया
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में दोहरी पोषणीयता शब्द का इस्तेमाल किया है, जिसके मुताबिक दोनों धर्म के लोग वहां पर पूजन कर सकते हैं। ये इंगित करता है कि सुप्रीम कोर्ट उसे शिवलिंग मानता है, लेकिन मीडिया ने इस खबर को गलत तरीके से प्रचारित किया। जैसे दो हजार की नोट में चिप वाली बात पर मीडिया ने अपनी जग हसाई करवाई थी। इस मामले में भी मीडिया ने आदेश का गलत मतलब निकाला है। जिलाधिकारी वाराणसी ने भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना करते हुए उन्हें पूजन से रोक दिया। इसके लिए उन्होंने जिलाधिकारी को नोटिस भी भेजा था, लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं दिया गया है। आदिविश्वेश्वर की पूजा के साथ ही वह कानूनी लड़ाई को भी जारी रखेंगे। गांव और शहरी मोहल्लों में पूजा करके वो जन जागृति लाएंगे और जनता से सीधा संवाद स्थापित करेंगे।

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