बैंकों, वित्तीय संस्थानों को कर्ज खातों का दबाव परीक्षण करना चाहिए: आरबीआई डिप्टी गवर्नर

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बैंकों, वित्तीय संस्थानों को कर्ज खातों का दबाव परीक्षण करना चाहिए: आरबीआई डिप्टी गवर्नर

मुंबई, 16 जून (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर एम राजेश्वर राव ने बृहस्पतिवार को कहा कि संपत्ति की गुणवत्ता में सुधार के बावजूद बैंकों समेत वित्तीय संस्थानों को मुस्तैदी के साथ कर्ज खातों का दबाव परीक्षण करते रहना चाहिए और जरूरत पड़ने पर उसमें उपयुक्त सुधार करना चाहिए।

कर्ज खातों का दबाव परीक्षण एक तकनीकी विश्लेषण है जिससे यह पता चलता है कि बैंक या वित्तीय सेवा कंपनी पर विभिन्न परिस्थितियों में कितना प्रभाव पड़ेगा।

उन्होंने कहा कि बैंकों की सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां (एनपीए) और शुद्ध एनपीए 31 मार्च, 2022 को सुधरकर क्रमश: 5.97 प्रतिशत और 1.7 प्रतिशत रहा। जबकि सितंबर, 2019 में सकल एनपीए 9.23 प्रतिशत और शुद्ध एनपीए 3.66 प्रतिशत था।

राव ने कहा कि हालांकि संपत्ति गुणवत्ता महामारी-पूर्व स्तर से बेहतर हुई है। लेकिन बैंकों और वित्तीय संस्थानों को यह पता लगाना चाहिए कि यह बेहतर बुनियाद के कारण है या फिर महामारी से निपटने के लिये उपलब्ध कराये गये नियामकीय समर्थन से ऐसा हुआ है।

उन्होंने उद्योग मंडल आईएमसी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के एक कार्यक्रम में कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि बैंक और अन्य वित्तीय संस्थान घाटे को सहन करने की क्षमता का पता लगाने के लिये विभिन्न परिस्थितियों को ध्यान में रखकर अपने कर्ज खातों को लेकर दबाव परीक्षण करेंगे। साथ ही जरूरत होने पर क्षमता मजबूत करने को कदम उठाएंगे।’’

आरबीआई के डिप्टी गवर्नर ने कहा कि हालांकि केंद्रीय बैंक ने महामारी के वित्तीय प्रणाली पर प्रभाव से निपटने के लिये प्रयास किये हैं, लेकिन काम अभी आधा ही हुआ है।

उन्होंने कहा, ‘‘हमें सुनिश्चित करना है कि जैसे ही हम महामारी को लेकर जारी नियामकीय उपायों से बाहर निकलते हैं, वित्तीय प्रणाली पर कोई प्रतिकूल असर नहीं हो।’’

राव ने कहा कि महामारी के दौरान वित्तीय क्षेत्र के लिये स्थिति अनुकूल थी। उस दौरान नकदी में वृद्धि हुई, ऋण प्रवाह बढ़ा और राहत कार्यक्रमों पर सामान्य खर्च की स्थिति थी।

उन्होंने कहा कि वैश्विक मंचों पर इस बात पर तेजी से चर्चा हो रही है कि क्या महामारी के वित्तीय क्षेत्र पर पड़ने वाले प्रभावों से निपटने के उपायों से गैर-वित्तीय क्षेत्र में कर्ज बोझ बहुत अधिक बढ़ा तो नहीं है, जिससे वे भविष्य की परियोजनाओं के लिये अतिरिक्त ऋण लेने की स्थिति में नहीं हैं।

राव ने कहा कि आरबीआई जल्दी ही बैंकों के लिये अपेक्षित कर्ज नुकसान मॉडल पर रूपरेखा जारी करने के लिए परिचर्चा पत्र जारी करेगा।

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