Shiva temple: यूपी के इस शिव मंदिर में स्थापित शिवलिंग का नहीं है अंत, कहा जाता है ‘पाताली शिवलिंग’

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Shiva temple: यूपी के इस शिव मंदिर में स्थापित शिवलिंग का नहीं है अंत, कहा जाता है ‘पाताली शिवलिंग’

Shiva temple: यूपी के इस शिव मंदिर में स्थापित शिवलिंग का नहीं है अंत, कहा जाता है ‘पाताली शिवलिंग’

हमीरपुर: उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में बीहड़ में बना शिव मंदिर में सावन मास की धूम मची हुई है। इस मंदिर में सैकड़ों साल पुराना शिवलिंग है। जहां बारिश की बूंदे पड़ने से ही शिवलिंग का स्वत: जलाभिषेक हो जाता है। सावन मास के पहले सोमवार को यहां हजारों शिव भक्तों का मेला लगेगा। आबादी से कई किमी दूर स्थित इस शिव मंदिर में पूजा-अर्चना के लिए महिलाएं भी पैदल ही जाएंगी।

हमीरपुर जिले के सुमेरपुर क्षेत्र के सिमनौड़ी और कारीमाटी गांव के बीच जंगल में प्राचीन शिव मंदिर स्थित है, जो मनेश्वर बाबा के नाम से पूरे क्षेत्र में विख्यात है। करीब तीन सौ साल पहले यह स्थान वीरान था। लोग दिन में भी यहां से निकलने पर डरते थे। उन दिनों एक सेठ की गाय को अन्य तमाम गायों के साथ चरवाहा चराने के लिए जंगल ले गया था। सेठ की गाय जंगल में घुस गई और एक स्थान पर ही अपना सारा दूध निकाल कर वह वापस आ गई। शाम को घर पहुंचने पर गाय दूध नहीं दी।

बताते हैं कि सेठ को शक हुआ कि चरवाहा गाय का दूध जंगल में निकालकर पी जाता है। बस अगले ही दिन सेठ ने अपने कुछ लोगों को चरवाहे और गाय पर नजर रखने के लिए जंगल भेजा। जहां जंगल में अनोखा दृश्य देख सभी लोग दंग रह गए। मंदिर के पुजारी द्वारिका प्रसाद ने बताया कि यह शिवलिंग पाताली है, जो बड़ा ही अद्भुत है। बताया कि सावन मास में शिवलिंग का बारिश की बूंदों से स्वत: ही जलाभिषेक हो जाता है। यहां सच्चे मन से जलाभिषेक करने से मन की मुरादें पूरी होती हैं। इस ऐतिहासिक शिव मंदिर तक जाने के लिए आज तक कोई भी सड़क नहीं बन सकी। बरसात के मौसम में मंदिर के पहुंच मार्ग पर दलदल हो जाता है।

जंगल में गाय के दूध निकालने पर जमीन की हुई थी खुदाई
सिमनौड़ी गांव के जंगल में झाड़ियों के पास गाय के अचानक पहुंचकर दूध निकालने की दृश्य देख चरवाहा समेत अन्य लोग दंग रह गए। सेठ को जब सारा वाक्या बताया गया तो उस जगह को देखने का फैसला किया। बताते हैं कि रात में सेठ को उस जगह पर पाताली शिवलिंग होने का सपना आया। सपने की बात सुबह लोगों को बताने के बाद सेठ जंगल पहुंचे और गांव के रामलाल आरख को उस स्थान की खुदाई करने के लिए लगाया।

तीस फीट गहरी खुदाई के बाद मिला था पाताली शिवलिंग
मंदिर की देखरेख में लगे बीके पंसारी ने बताया कि जंगल में निर्जन स्थान पर जहां गाय दूध निकालती थी। उस स्थान की खुदाई कराई गई। करीब तीस फीट गहरी खुदाई कराने के बाद शिवलिंग का ऊपरी हिस्सा दिखने पर खुदाई बंद कराई गई। शिवलिंग का आखिरी हिस्सा आज तक किसी को नहीं दिखा। पाताली शिवलिंग होने का सपना फिर आने पर इस स्थान के आसपास एक बड़ा चबूतरा बनवाया गया और पूजा-अर्चना शुरू कराई गई थी।

सपने में चेतावनी मिलने पर मंदिर का नहीं बन सका गुंबद
मनेश्वर बाबा शिव मंदिर के पुजारी द्वारिका प्रसाद ने बताया कि सेठ के परिजन छाछे प्रसाद पंसारी ने इस स्थान पर मंदिर बनवाया था। उनकी इच्छा थी कि मंदिर की सुराही (गुंबद) इतनी ऊंची बने, जिसे अपने घर की छत से सुबह मंदिर के दर्शन हो जाए। इसीलिए मंदिर की सुराही बनवाई गई, लेकिन ये अगले ही दिन ढह गया। रात में सपने में मिली चेतावनी पर मंदिर का गुंबद बनवाने की जिद सेठ ने छोड़ दी। इसीलिए मंदिर बिना गुंबद का है।
इनपुट-पंकज मिश्रा

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