शाहबुद्दीन गोरी कब दिल्ली के तख्त पर बैठा

3102
मुहम्मद गोरी
मुहम्मद गोरी

शहाब-उद-दीन मुहम्मद गोरी एक अफगान सेनापति था. बाद में वह गोरी साम्राज्य का शासक बना. भारत के इतिहास में साहबुद्दीन गोरी का विशेष महत्व रहा है. मुहम्मद गोरी जिसे मइज्जुद्दीन बिन साम के नाम से भी जाता है. इसने सबसे पहले भारत पर आक्रमण 1175 ई. में मुल्तान पर किया था. भारत में मुहम्मद गोरी को ही तर्की वंश का संस्थापक माना जाता है. अगर भारत में मुस्लिम साम्राज्य की स्थापना की बात करें तो मुहम्मद गोरी ही इसका वास्तविक संस्थापक था.

मुहम्मद गोरी की भारत के इतिहास की नजरों से सबसे महत्वपूर्ण लड़ाई तराइन की लड़ाई थी. जो मुहम्मद गोरी और पृथ्वीराज तृतीय के साथ हुई थी. तराइन की पहली लड़ाई 1191 में हुई जिसमें मुहम्मद गोरी बुरी तरह से पराजित हुआ.

m g 640x479 1 -
मुहम्मद गोरी

इसके अगले ही साल 1192 में तराइन की दूसरी लड़ाई हुई, जिसमें मुहम्मद गोरी को जीत मिली. तराइन के युद्धों का वर्णन मिनहाज-उस सिराज में किया गया है. इसी लड़ाई के बाद दिल्ली और अजमेर पर नियंत्रण कर मुहम्मद गोरी ने मुस्लिम साम्राज्य की नींव डाली. यहीं वो समय था जब हम कह सकते हैं कि मुहम्मद गोरी दिल्ली के तख्त पर बैठा. लेकिन ज्यादा समय शाहबुद्दीन गोरी दिल्ली के तख्त पर शासक नहीं रहा.

KriangkraiThitimakorn 5c70b197c9e77c000107b5b9 -
दिल्ली कुतुबमीनार

तराइन की दूसरी लड़ाई के बाद मुहम्मद गोरी ने दिल्ली के तख्त पर राज नहीं किया कुछ समय के लिए उसका दिल्ली और अजमेर पर नियंत्रण हो गया था फिर वह 1192 में ही वापस गजनी चला गया तथा यहां का सारा काम-काज अपने विश्वासपात्र गुलाम कुतुबद्दीन ऐबक को सौंप दिया. 1194 ई. में मुहम्मद गोरी फिर भारत वापस आया तथा 1194 में मुहम्मद गोरी और जयचंद के बीच चंदावर की प्रसिद्ध लड़ाई हुई. जिसमें मुहम्मद गोरी की जीत हुई.

यह भी पढ़ें: मौर्य साम्राज्य को भारतीय इतिहास में मील का पत्थर क्यों माना जाता है

1206 ई. में मुहम्मद गोरी ने भारत पर अपना आखरी आक्रमण किया तथा यहीं वो साल था जब मुहम्मद गोरी की मृत्यु हो गई. जिसके बाद भारतीय राज्यों का उत्तराधिकार उसके गुलाम कुतुबद्दीन ऐबक को प्राप्त हुआ. 1206 ई. से ही भारत के मध्यकालिन इतिहास की शुरूआत होती है. जब कुतुबद्दीन ऐबक ने गुलाम वंश की स्थापना की.