फ्रांस के राष्ट्रपति और पीएम मोदी ने उत्तर प्रदेश को दिया एक ख़ास तोहफा

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों ने आज मिर्जापुर जिले के छानवे ब्लॉक में उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े सौर ऊर्जा संयंत्र (solar power point) का लोकार्पण किया. प्रधानमंत्री मोदी, उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मैक्रों और उनकी पत्नी ब्रिगिट की अगवानी की. उसके बाद वे दादर कलां के लिए रवाना हुए जहां मोदी और मैक्रों ने बटन दबाकर 75 मेगावॉट उत्पादन क्षमता वाले उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े सौर ऊर्जा संयंत्र का लोकार्पण किया.

गौरतलब है कि शनिवार को पीएम मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति की मौजूदगी में 14 समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए. रक्षा संबंधों में आई प्रगाढ़ता प्रदर्शित करते हुए भारत और फ्रांस ने युद्धक पोतों के लिए नौसैन्य अड्डों के द्वार खोलने सहित एक दूसरे के सैन्य केन्द्रों के उपयोग की व्यवस्था करने वाले एक रणनीतिक समझौते पर हस्ताक्षर किये. इसके साथ ही पनीय सूचनाओं के विस्तृत संरक्षण,  जैतापुर परमाणु बिजली संयंत्र परियोजना के काम में तेजी और भारत और फ्रांस की कंपनियों और सरकारी उपक्रमों के बीच आज विमानन, नवीकरणीय ऊर्जा और अपशिष्ट प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में 13 अरब यूरो ( एक लाख करोड़ रुपये से अधिक) मूल्य के समझौते हुए.

मैक्रों की इस भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों ने नेविगेशन, विमानों की उड़ान में स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के वास्ते सहयोग को मज़बूत करने पर सहमति दर्ज कराई है. दरअसल दोनों देशों का मानना है कि हिंद महासागर क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को बनाए रखने में यह समझौते बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. फ्रांस से भारतीय नौसेना के लिए स्कॉर्पीन पनडुब्बी परियोजना और वायुसेना के लिये लड़ाकू जेट सौदे दोनों देशों के बीच रक्षाक्षेत्र के सहयोग में “नये महत्व” वाला माना जा रहा है. गौरतलब है कि भारत ने 2016 में फ्रांस से 58,000 करोड़ रुपये की लागत से 36 राफेल लड़ाकू विमानों खरीदने के लिये सौदा किया था. डिफेंस मैन्यूफैक्चरिंग में मेक इन इंडिया के लिए इस समझौते को बेहद खास मानने के साथ-साथ भारत की रक्षों जरूरतों में इस डील को गेमचेंजर भी माना जा रहा है.

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पीएम मोदी ने मैक्रों के साथ ज्वाइंट मीडिया ब्रीफिंग में कहा, ” हमारा रक्षा सहयोग बहुत मज़बूत है और हम फ्रांस को सबसे भरोसेमंद रक्षा सहयोगियों के रूप में देखते हैं. उन्होंने कहा कि हमारी सेनाओं के बीच पारस्परिक लॉजिस्टिक सहयोग पर हुआ समझौता रक्षा संबंधों में एक” स्वर्णिम कदम” है.

मैक्रों ने भी ज्वाइंट ब्रीफिंग के दौरान कहा, ‘हम यहां भारत को अपना पहला रणनीतिक साझेदार बनाना चाहते हैं और हम यूरोप में ही नहीं बल्कि पश्चिमी दुनिया में भारत के पहले रणनीतिक भागीदार बनना चाहते हैं.’’ मैक्रों ने कहा “हिन्द महासागर और भारत-प्रशांत क्षेत्र में शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने के मामले में दोनों देशों के बीच सहयोग का स्तर ‘‘अप्रत्याशित’’ होगा.’