Opinion: महंगाई नीचे, जॉब की बहार, इकॉनमी पर चौतरफा खुशखबरी… 2023 में दुनिया को चिढ़ाएगी भारत की तरक्की

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Opinion: महंगाई नीचे, जॉब की बहार, इकॉनमी पर चौतरफा खुशखबरी… 2023 में दुनिया को चिढ़ाएगी भारत की तरक्की

Opinion: महंगाई नीचे, जॉब की बहार, इकॉनमी पर चौतरफा खुशखबरी… 2023 में दुनिया को चिढ़ाएगी भारत की तरक्की


नई दिल्ली: रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) के गवर्नर शक्तिकांत दास (Shakti kant Das) आज बेहद रिलैक्स महसूस कर रहे होंगे। रिलैक्स होने की वजह भी है। दरअसल, बजट से पहले अर्थव्यवस्था (Economy) के मोर्चे पर राहत भरी खबर मिली है। रिटेल इंफ्लेशन (Retail Inflation) घट कर एक साल के निचले स्तर आ गया है। उन्होंने रिजर्व बैंक की मोनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की पिछली बैठक के बाद भी कहा था कि इस समय महंगाई की दर चिंता का सबसे बड़ा कारण है। इसी की वजह से रेपो रेट (Repo Rate) में फिर से इजाफा करना पड़ा था। अब जबकि यह एक साल के निचले स्तर पर आ गया है तो अब इकॉनमी के विस्तार को बल मिलेगा। इससे रोजगार के अवसर (Job Opportunity) भी बढ़ेंगे।

महंगाई की दर एक साल के निचले स्तर पर

नेशनल स्टेस्टिस्टिकल ऑफिस (NSO) के कल ही इंफ्लेशन के आंकड़ों को जारी किया। एनएसओ के आंकड़ों के मुताबिक, बीते महीने खाने-पीने की चीजों के दाम में उल्लेखनीय कमी हुई। इससे दिसंबर, 2022 में इंफ्लेशन का रेट कम होकर 5.72 फीसदी रह गया। एक साल पहले यानी कि दिसंबर, 2021 में यह आंकड़ा 5.66 फीसदी रहा था। बीते दिसंबर में जो महंगाई की दर रही है, वह रिजर्व बैंक के अपर टोलरेंस लिमिट (Upper Tolerance Limit) से कम है। आरबीआई ने इसके लिए अपर टोलरेंस लिमिट छह फीसदी तय की है। इस साल अक्टूबर के बाद यह लगातार तीसरा महीना है जबकि महंगाई घटी है।

इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन भी बढ़ा है

इस बीच, अर्थव्यवस्था के मोर्च पर एक और अच्छी खबर मिली है। यह खबर है औद्योगिक उत्पादन के बारे में। दिसंबर 2022 में देश का इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन भी बढ़ कर पांच महीने के शीर्ष स्तर पर पहुंच गया है। इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन बढ़ने का मतलब है कि ज्यादा लोगों को काम मिलेगा। बीते नवंबर महीने में इंडेक्स ऑफ इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन यानी आईआईपी (IIP) बढ़ कर 7.1 फीसदी पर चला गया। इस दौरान माइनिंग सेक्टर ने तो कुछ ज्यादा ही बढ़िया परफोर्म किया। बीते नवंबर के दौरान यह सेक्टर 9.7 फीसदी की दर से बढ़ा। इलेक्ट्रिसिटी आउटपुट तो 12.7 फीसदी की दर से बढ़ा।

क्यों महत्वपूर्ण है ये आंकड़े

आम जनता के लिए महंगाई के आंकड़े सिर्फ डाटा नजर आता है। लेकिन आप किसी अर्थशास्त्री के नजरिये से देखें तो इसका इकॉनमी पर दूरगामी असर पड़ता है। किसी भी अर्थव्यवस्था में महंगाई की दर को काबू में रखने के तमाम उपाय किए जाते हैं। जब महंगाई की दर कम रहेगी तो ब्याज दर भी कम रहेगी। ब्याज दर कम रहेगी तो कारोबार के लिए कम ब्याज दर पर पैसे मिलेंगे। यही नहीं, ब्याज की दर कम रहेगी तो बाजार को भी सपोर्ट मिलेगा। क्योंकि लोग लोन लेकर भी महंगे सामान आसानी से खरीद सकेंगे। इससे इकॉनमी की बढ़ने की गति तेज हो जाएगी। रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।

महंगाई अभी भी लक्ष्य से ऊपर

जिस दिन एमपीसी की बैठक हुई थी, उसी दिन शक्तिकांत दास ने कहा था कि महंगाई अभी भी देश में चिंता का विषय बना हुआ है। उन्होंने यह भी कहा था कि महंगाई की दर के अभी भी तय लक्ष्य के ऊपर रहने के आसार हैं। उन्होंने संभावना जताई थी कि अगले चार महीने तक महंगाई दर चार फीसदी से ऊपर रहेगी।

अमेरिका से भी मिली है राहत भरी खबर


महंगाई से राहत सिर्फ भारत से ही नहीं बल्कि अमेरिका से भी मिली है। कल ही अमेरिका में भी महंगाई के आंकड़े जारी हुए। वहां दिसंबर 2022 के दौरान भी महंगाई की दर घटी है। दिसम्बर 2022 में मुद्रास्फीति की दर घट कर 6.5 फीसदी हो गई है। यह लगातार छठा महीना है, जबकि अमेरिका में इंफ्लेशन के रेट में कमी हुई है। यह खबर आई तो इससे दुनिया भर के बाजार प्रभावित हुए। अधिकतर शेयर बाजार में इस खबर का असर दिखा और आज पॉजिटिव में खुले। भारत में भी लगातार तीन दिनों तक गिरावट में बंद होने के बाद आज शेयर बाजार बढ़ कर खुले।

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