भगवान राम ने किसकी सलाह पर सुग्रीव से दोस्ती की थी ?

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भगवान राम और सुग्रीव
भगवान राम और सुग्रीव

 भगवान राम ने किसकी सलाह पर सुग्रीव से दोस्ती की थी ? ( On whose advice Lord Rama befriended Sugriv )

रामायण का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है. रामयण की रचना वाल्मीकि जी ने की थी. इस रचना के नायक भगवान श्री राम जी हैं. जिनको हिंदू धर्म में भगवान मानकर पूजा जाता है. इसके साथ ही उनके राज के काल को रामराज के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि ऐसा बताया जाता है कि भगवान राम में आदर्श राजा के रूप में सभी गुण विद्यमान थे. इसके साथ ही उसकी प्रजा में सभी लोग सुखी थे. जिसके कारण उनको एक आदर्श राजा तथा उनके शासन को आदर्श शासन कहा जाता था. लेकिन इसके साथ ही रामायण में हमें वर्णन मिलता है कि रावण से युद्ध के लिए उन्होंने सुग्रीव से दोस्ती की थी. लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान राम को सुग्रीव से दोस्ती करने की सलाह किसने दी थी ? चलिए आज इसी सवाल को जानते हैं तथा इसके साथ ही रामायण से जुड़े और भी तथ्य देखते हैं, जो शायद ही आप जानते हों.

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भगवान राम

कबंध नामक श्रापित राक्षस कौन था ?

जब वनवास के दौरान सीता माता का अपहरण करके रावण उनको लंका में ले गया था. इसके बाद भगवान राम और लक्ष्मण सीता माता की तलाश कर रहे थे. इसी समय उनका सामना एक विचित्र विशालकाय राक्षस से होता है, जो बहुत डरावना प्रतीत हो रहा था. इस राक्षस का मस्तक और गला दिखाई नहीं दे रहा था. इसकी दो बड़ी बड़ी भुजाएं थी तथा एक आंख दिखाई दे रही थी. भगवान राम और लक्ष्मण ने उसकी दोनों भुजाओं को काट दिया. जिसके बाद उस वह राक्षस अपने श्राप से मुक्त हो जाता है. वह राक्षस इसके बाद अपना परिचय देता है कि मै दनु का पुत्र कबंध हूँ. वह बहुत पराक्रमी और सुंदर था. लेकिन उसे राक्षसों का वैश धारण करके ऋषि-मुनियों को डराना बहुत अच्छा लगता था. जिसके कारण उसको श्राप दिया कि तु एक दावन का रूप धारण कर लेगा. जिस दिन भगवान राम से तुम्हारा सामना होगा और वो तेरी भुजाओं को काट देगें. उस दिन तुम्हारा उद्धार हो जाएगा तथा  तुम अपने वास्तविक रूप में आ जाओगे.

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कबंध

किसने दी भगवान राम को सुग्रीव से दोस्ती की सलाह ?

कबंध नामक राक्षस के बारे में आपको जानकारी मिल गई होगी. श्राप से मुक्त होने के बाद इसने भगवान राम को अपनी दिव्य दृष्टि से बताया कि सीता माता को रावण नामक राक्षस अपहरण करके ले गया है. इस समय आपकी सहायता वानरों का राजा सुग्रीव कर सकता है. कबंध की सलाह पर ही भगवान राम सुग्रीव से मिलते हैं तथा दोनों में गहरी मित्रता होती है.

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रावण

रावण से क्यों नहीं छुआ सीता माता को ?

ऐसी मान्यता है कि सीता माता का अपहरण कर रावण उनकों लंका में ले जाता है. लेकिन रावण ने सीता माता को कभी नहीं छुआ. इसके पीछे कई तर्क दिए जाते हैं. कुछ लोग इसको रावण की महानता बताते हैं. लेकिन ऐसी भी मान्यता है कि रावण को एक श्राप मिला हुआ था. जिसके कारण रावण की सीता माता को छूने की हिम्मत ही नहीं हुई. अपने विजय अभियान के दौरान रावण जब स्वर्ग पहुंचा तो वहां उसे रम्भा नाम की एक अप्सरा मिली. जिस पर रावण मोहित हो गया. रावण ने उसे छूने का प्रयास किया तो उसने कहा की मैं आपके भाई कुबेर पुत्र नलकुबेर के लिए आरक्षित है तथा उनसे ही प्यार करती है, इसलिए मैं आपकी पुत्रवधु के समान हूँ. इसके बाद भी रावण अपनी शक्ति में इतना चूर था की उसने उसकी बात नहीं मानी. जब नलकुबेर को इस बात का पता चला तो उसने रावण को श्राप दिया की आज के बाद यदि रावण ने किसी पराई स्त्री को उसके इच्छा के विरुद्ध छुआ तो उसके मस्तक के 100 टुकड़े हो जायेंगे. इसी श्राप के कारण रावण सीता माता को नहीं छू पाया.

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रामायण की कथा को हिंदू धर्म में बहुत महत्व दिया जाता है. इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि एक तो यह हिंदू धर्म के भगवान राम की जीवनी पर है. इसके साथ ही दूसरा इस कथा में जो चरित्रों का वर्णन किया गया है, वो सभी अपने आप में आदर्श है. भगवान राम आदर्श राजा और बेटा इसके साथ लक्ष्मण आदर्श भाई और सीता आदर्श पत्नि की छवी रखती हैं. इसके अलावा हनुमान जी भी भगवान राम की स्वामी भक्ति में एक आदर्श भक्त थे.

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