दीपक मिश्रा सुप्रीम कोर्ट के नये चीफ जस्टिस बने

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दीपक मिश्रा सुप्रीम कोर्ट के नये चीफ जस्टिस बने
दीपक मिश्रा सुप्रीम कोर्ट के नये चीफ जस्टिस बने

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायधीशों की गिनती में अब एक और नाम भी शामिल हो गया है। जी हाँ, सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जेएस खेहर अब रियाटर हो चुके हैं। यानि अब पूर्व जजों की लिस्ट में इनका नाम भी शामिल हो चुका है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस पद को संभालने के लिये अब दीपक मिश्रा की नियुक्ति की गई है।

आपको बता दें कि जस्टिस दीपक मिश्रा ने सोमवार को देश के 45वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ले ली है। राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने जस्टिस मिश्रा को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। साथ ही दीपक मिश्रा का कार्यकाल 3 अक्टूबर 2018 तक होगा। आपको याद दिला दें कि मुख्य जस्टिस जेएस खेहर रविवार को रिटायर हो गए हैं, हालांकि शनिवार और रविवार को उच्चतम न्यायालय की छुट्टी होने के चलते शुक्रवार को ही उनका आखिरी वर्किंग-डे था।


जानियें, कैसे बनी जस्टिस दीपक मिश्रा की पहचान..

आप सभी को याकूब मेमन का केस तो याद ही होगा न? जी हाँ, ये वहीं जज है, जिन्होंने याकूब मेमन के केस पर फैसला सुनाया था। सुप्रीम कोर्ट के नये जस्टिस दीपक मिश्रा याकूब मेमन पर दिए अपने फैसले के लिए खास तौर पर जाने जाते हैं। आपको याद दिला दें कि इस मामले की सुनवाई के लिए उन्होंने आधी रात को सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे खोले थे, साथ ही उन्होंने इस मामले में रात भर सुनवाई की थी और सुबह करीब चार बजे याकुब मेमन की फांसी पर रोक लगाने से जुड़ी याचिका को खारिज कर दिया था। जस्टिस दीपक मिश्रा के फैसलें के बाद अगली सुबह मेमन को फांसी दे दी गई थी।

जस्टिस दीपक मिश्रा के फैसलों में एक बड़ा फैसला दिल्ली में हुए गैंगरेप के दोषियों को फांसी की सजा को बरकार रखने का भी है। आपको बता दें कि जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने ही साल 2012 के बहुचर्चित निर्भया गैंगरेप के दोषियों की फांसी की सजा को बरकरार रखा था। इसके अलावा जस्टिस मिश्रा ने ही सिनेमा हॉल में राष्ट्रगान बजाने के संबंध में फैसला दिया था।

जानियें, कौन है जस्टिस मिश्रा…

जस्टिस मिश्रा से जुड़ी हुई कुछ और जानकारियों से आपको रूबरू कराने जा रहे है। आपको बता दें कि जस्टिस मिश्रा पटना और दिल्ली उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश भी रह चुके हैं। 3 अक्टूबर 1953 को जन्मे न्यायमूर्ति मिश्रा को 17 फरवरी 1996 को उड़ीसा उच्च न्यायालय का अतिरिक्त न्यायाधीश बनाया गया था। इसके अलावा 3 मार्च 1997 को इनका तबादला मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में कर दिया गया, इसी साल 19 दिसंबर को उन्हें स्थायी नियुक्ति दी गयी थी। तब से लेकर अब तक जस्टिस मिश्रा कामयाबी के नये-नये आयाम को छूते रहे हैं। इसके अलावा जस्टिस मिश्रा दो बड़े केस पर ऐतिहासिक फैसला सुनाकर सुर्खियों में रहे।