Modi सॉफ्ट, Yogi हार्ड, क्या BJP की पॉलिटिक्स में बदल रहा चेहरा? जवाब के पीछे छुपे अर्थ को समझिए

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Modi सॉफ्ट, Yogi हार्ड, क्या BJP की पॉलिटिक्स में बदल रहा चेहरा? जवाब के पीछे छुपे अर्थ को समझिए

Modi सॉफ्ट, Yogi हार्ड, क्या BJP की पॉलिटिक्स में बदल रहा चेहरा? जवाब के पीछे छुपे अर्थ को समझिए


लखनऊ: भारतीय जनता पार्टी में बड़ा राजनीतिक बदलाव होता दिख रहा है। पार्टी में लंबे समय से एक परंपरा रही है, शीर्ष नेताओं के बीच दो नेता दो ध्रुवों का प्रतिनिधित्व करते दिखते हैं। एक हार्ड हिंदुत्व की राजनीति करता दिखता है। वहीं, दूसरे की छवि सॉफ्ट दिखती है। वर्ष 1980 में भारतीय जनता पार्टी के गठन के बाद से ही इस प्रकार की स्थिति बनती दिखती है। पहले पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी सॉफ्ट तो लालकृष्ण आडवाणी हार्ड हिदुत्व की बात करते दिखते थे। बाद में समय बदला। अटल बिहारी बाजपेयी सक्रिय राजनीति से बाहर हुए। उनकी जगह बीजेपी में लालकृष्ण ने ली। लालकृष्ण आडवाणी सॉफ्ट हिंदुत्व की तरफ मुड़ गए। इसके बाद हार्ड हिंदुत्व की विचारधारा को राजनाथ सिंह से लेकर नितिन गडकरी तक ने आगे बढ़ाया। वर्ष 2013 में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को जब केंद्रीय राजनीति में लाया गया तो वह बीजेपी की हिंदुत्व हार्ड लाइनर राजनीति का चेहरा थे। उनके इसी चेहरे के साथ भाजपा चुनावी मैदान में उतरी और जीत दर्ज की। अब बीजेपी में सॉफ्ट और हार्ड हिंदुत्व की राजनीति का चेहरा बदल रहा है।

भारतीय जनता पार्टी में लालकृष्ण आडवाणी के सक्रिय राजनीति से बाहर होने के बाद सॉफ्ट हिंदुत्व की विचारधारा को पीएम नरेंद्र मोदी अपनाते दिखन लगे हैं। वहीं, हार्ड लाइनर हिंदुत्व पॉलिटिक्स अब सीएम योगी आदित्यनाथ के जरिए आगे बढ़ती दिख रही है। सीएम योगी की छवि पहले से ही फायरब्रांड नेता की रही है। भगवा ड्रेस के कारण कट्टर हिंदुत्व वाली राजनीति के खांचे में वे पूरी तरह फिट होते दिख रहे हैं। अभी युवा हैं और उनके सामने लंबा राजनीतिक जीवन है। उनकी छवि को जिस प्रकार से बनाया गया है, उसको लेकर उन्होंने कभी कोई आपत्ति भी नहीं जताई है। एक टीवी चैनल को दिए गए इंटरव्यू में सीएम योगी आदित्यनाथ से जब हार्ड हिंदुत्व की विचारधारा वाली राजनीति की बात कही गई तो उन्होंने कहा कि न तो मैं सॉफ्ट हूं, न मैं हार्ड हूं। हिंदुत्व सॉफ्ट या हार्ड नहीं होता है। यही हिंदुत्व की खूबसूरती और खासियत है। सीएम योगी ने अपने बयान के जरिए साफ कर दिया है कि वे हिंदुत्व की राजनीति को लेकर किस प्रकार का विचार रखते हैं।

सनातन की वकालत, माहौल बदलने की तैयारी

लोकसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश की राजनीति में रामचरितमानस का मुद्दा खासा गरमाया हुआ है। समाजवादी पार्टी के विधान पार्षद और पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने श्री रामचरितमानस में दलित, आदिवासी और महिलाओं को लेकर की गई टिप्पणी का मामला उठाया। हिंदुओं के पवित्र ग्रंथ को प्रतिबंधित किए जाने की मांग कर डाली। इसको लेकर प्रदेश की राजनीति गरमाई हुई है। सपा के भीतर से भी विरोधी सुर निकले हैं। सीएम योगी आदित्यनाथ की पिछले दिनों इस पर प्रतिक्रिया आई थी। उन्होंने कहा था कि जिनको मामलों की समझ नहीं है, वह भी बयान दे रहे हैं। विकास से मुद्दे को भटकाने के लिए इस प्रकार की बातें कही जा रही हैं।

सीएम योगी अब इस पूरे मामले को आगे बढ़ाते हुए भारत के राष्ट्रीय धर्म की चर्चा करने लगे हैं। सीएम योगी कहते हैं कि सनातन धर्म भारत की आत्मा है। यह भारत की पहचान है। सनातन धर्म ही भारत का राष्ट्रीय धर्म है। मानवता के कल्याण का रास्ता सनातन धर्म ही दिखाएगा। सनातन धर्म में अपना-पराया जैसी सोच नहीं होती। हम चराचर जगत की बात करते हैं। वे भारत की मूल जीवन पद्धति को हिंदुत्व से जोड़कर पेश करते हैं। यह यूपी की राजनीति में बड़े बदलाव के संकेत हैं। भाजपा के भी।

सेकेंड लेबल लीडरशिप में आगे बढ़ने के संकेत

यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने आम बजट के बाद जिस प्रकार से मुद्दे को आगे बढ़ाया है, उसको लेकर चर्चा का बाजार गरमाया हुआ है। पिछले दिनों आए एक सर्वे में भाजपा में पीएम नरेंद्र मोदी के विकल्प के रूप में सीएम योगी आदित्यनाथ का नाम आगे बढ़ता दिख रहा है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और सीएम योगी आदित्यनाथ लोगों की नजर में इस रेस में लगभग एक समान हैं। हिंदुत्व के मसले पर अमित शाह की भी छवि कट्‌टर हिंदुत्व वाली है। लेकिन, सीएम योगी आदित्यनाथ या असम के सीएम हिमंत विस्वा सरमा की तरह वे बात करते नहीं दिखते हैं। सीएम योगी आदित्यनाथ सार्वजनिक मंच से लेकर तमाम कार्यक्रमों में हिंदुत्व की बात करते दिख रहे हैं। धर्म और विकास का मंत्र लेकर वे यूपी में काम कर रहे हैं। देश के सबसे बड़े प्रदेश का नेतृत्व करते हुए उनकी छवि लगातार बेहतर हो रही है।

हिंदू से सनातन की तरफ शिफ्ट होती राजनीति

हिंदू धर्म, जाति व्यवस्था पर जिस प्रकार से पिछले दिनों हमला हो रहा है। सवाल उठाए जाने लगे हैं। हिंदू धर्म ग्रंथों को लेकर विवाद खड़ा किया जा रहा है। इस स्थिति में भारतीय जनता पार्टी ने अपनी राजनीतिक विचारधारा में बड़ा बदलाव कर दिया है। आज के समय में हिंदू राजनीति की जगह भारतीय जनता पार्टी की राजनीति सनातन धर्म की तरफ मुड़ती दिख रही है। सनातन धर्म में जाति व्यवस्था को तवज्जो नहीं दी जाती है। कर्म के आधार पर वर्ण व्यवस्था का निर्धारण की परंपरा रही है। ऐसे में जातीय बंधन को तोड़ते हुए कर्म को आधार बनाकर सनातन को राजनीतिक विचारधारा के रूप में प्रधानता दिए जाने की तरफ भाजपा बढ़ रही है। यह विपक्षी दलों के लिए परेशानी का कारण बन सकता है।

सीएम योगी आदित्यनाथ भी इसी दिशा में काम करते दिख रहे हैं। उनके ताजा बयान में हिंदुत्व और सनातन की बात दिख रही है। हिंदू धर्म की जगह वे सनातन की चर्चा करते दिखते हैं। विपक्षी दलों को धर्म की राजनीति के पाले में लाने के बाद भाजपा के ट्रैक में बदलाव बड़े संकेत दे रहा है।

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