रात में कलश पूजन सही या धर्म विरूद्ध

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कलश पूजा
कलश पूजा

हिंदू धर्म में पूजा से पहले कलश स्थापना का विशेष महत्व होता है. नवरात्रि में माता की पूजा से के लिए भी हम कलश पूजन करते हैं. किसी भी पूजा विधि को करने से पहले हमें उसके नियम के बारे में अच्छें से जान लेना चाहिए. जिससे हमें हमारे द्वारा की गई पूजा का पूरा लाभ मिल सके.

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कलश

कलश पूजन का सही लाभ हमें तभी मिल पाता है, जब हम शुभ मुहर्त में कलश पूजन करें.रात के समय और अमावस्या के दिन कलश (घट) स्थापित करने की मनाही होती है. अगर इस समय हम कलश स्थापित करते हैं, तो वह कलश स्थापना के नियमों के अनुसार नहीं होगा. अगर हम कलश स्थापना के शुभ मुहर्त की बात करें तो प्रतिपदा का एक तिहाई भाग बीत जाने के बाद कलश की स्थापना करना फलदायी होता है.

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पूजा विधि

नवरात्रि कलश स्थापना की सामग्री-

माँ दुर्गा को लाल रंग बहुत पसंद है, इसलिए बेहतर होगा कि लाल रंग का ही आसन खरीदें. कलश स्थापना के लिए मिट्टी या तांबे का पात्र , जौ , मिट्टी , जल से भरा हुआ कलश , मौली ,इलायची , लौंग , कपूर , रोली , साबुत सुपारी , साबुत चावल , सिक्के, अशोक या आम के 5 पत्ते, नारियल, चुनरी, सिंदूर ,फल-फूल , फूलों की माला और श्रृंगार पिटारी भी होनी चाहिएं.

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नवरात्रि कलश स्थापना की विधि-

नवरात्रि के पहले दिन यानि की प्रतिपदा को सुबह स्नान कर लें. मंदिर में साफ-सफाई करने के बाद गणेश का नाम लें और मां दुर्गा के नाम से अखंड ज्योति जलाएं. इसके बाद मिट्टी के पात्र में मिट्टी डालकर जौ बोएं. कलश पात्र पर रोली से स्वास्तिक बनाएं. लोटे के उपरी हिस्से पर रोली बाँधे. अब इस लौटे में पानी भरकर कुछ बुंद गंगाजल की मिलाएं. इसके बाद उसमें सवा रूपया , दूब , सुपारी , इत्र और अक्षत डालें. इसके बाद कलश में अशोक या आम के 5 पत्ते लगाएं. इसके बाद नारियल को लाल कपड़े में लपेटकर मौली से बांध दे. फिर नारियल को कलश के ऊपर रख दें, जिस में आपने जौ बोएं हैं.