अमेरिका में तेजी से पकड़ बना रही है भारतीय भाषा, हिंदी सबसे आगे

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भारत की राष्ट्रीय भाषा हिंदी फिर से विश्व में अपनी साख बनाने लगी है। जहा एक तरफ अमेरिका में हिंदी सब से ज़्यदा बोलने वाली भारतीय भाषा बन गई है। तो वही गुजराती और तेलुगू भी अमेरिका में बोले जाने वाली भाषा में शामिल हो गया है। सेंटर फॉर इमिग्रेशन के मुताबिक यदि 2010 के आंकड़ों से 2017 की तुलना करें तो 86 प्रतिशत का इजाफा तेलुगू भाषा बोलने वाले व्यक्तियों की संख्या में हुआ है। 40 लाख से अधिक नए व्यक्तिओ के अलावा चीनी, अरबी और हिंदी भाषाओं को बोलने वाले व्यक्ति बड़ी संख्या में थे। इनमें दक्षिण एशियाई भाषाओं में हिंदी आठ लाख दस हजार लोगों के साथ पहले नंबर पर बोली जाने वाली दक्षिण एशियाई भाषा है जबकि इसके बाद गुजराती, उर्दू और फिर तेलुगू भाषाओं का नंबर आता है। हालांकि तेलुगू भाषा अभी भी अंग्रेजी के अलावा अमेरिका में सबसे व्यापक स्तर पर बोली जाने वाली 20 प्रमुख भाषाओं में स्थान नहीं बना पाई है।

विदेशी भाषा बोलने वाले लोगों की संख्या 1980 की तुलना में 1990 में दोगुनी और अब तिगुनी हुई

सीआईएस की रिपोर्ट के अनुसार विदेशी भाषा बोलने वाले लोगों की संख्या 1980 की तुलना में 1990 में दोगुनी और अब तिगुनी हो गई है। अमेरिका के पांच बड़े शहरों में रहने वाले लोग घरों में अंग्रेजी के अलावा विदेशी भाषा बोलते हैं। उदाहरण के लिए न्यूयॉर्क में और ह्यूस्टन में 49 प्रतिशत है, लॉस एंजिलिस में 59 प्रतिशत। एसीएस अमेरिकी सरकार द्वारा हर साल कराए जाने वाला सबसे बड़ा सर्व है। इस रिपोर्ट में 20 लाख से ज्यादा घरों को शामिल किया जाता है।

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अमेरिका की आईटी विभाग में तेलुगु भाषियों की तादाद बढ़ी :-

आईटी विभाग में तेलुगू भाषियों की बढ़ोतरी का बड़ा कारण हैदराबाद और अमेरिकी इंजीनियरिंग व टेक्नोलॉजी उद्योग के बीच संबंध हो सकते हैं। अमेरिका में एक गैर-लाभकारी संगठन तेलुगू पीपुल्स फाउंडेशन के संस्थापक प्रसाद कुनीसेटी के अनुसार तेलुगू भाषी लोग पिछले वर्षों में बहुत तेजी से एच-1 बी वीजा पर अमेरिका आए हैं। उन्होंने बताया कि 90 के दशक में आईटी उद्योग के तेजी से बढ़ने के कारण अमेरिका में सॉफ्टवेयर इंजीनियरों की भी मांग बढ़ी है। चू्ंकि हैदराबाद आईटी अध्ययन का एक बड़ा केंद्र बन गया है इसलिए हैदराबाद में पढ़ाई करने वाले युवाओं का एच-1 बी वीजा पर अमेरिका आना कोई बड़ी बात नहीं है।