IB 71 मूवी रिव्‍यू: देश तो बचा लिया, फिल्म नहीं बचा पाए विद्युत जामवाल!

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IB 71 मूवी रिव्‍यू: देश तो बचा लिया, फिल्म नहीं बचा पाए विद्युत जामवाल!

IB 71 मूवी रिव्‍यू: देश तो बचा लिया, फिल्म नहीं बचा पाए विद्युत जामवाल!

पिछले कुछ साल में देशभक्ति जॉनर की फिल्मों को लेकर दर्शकों में क्रेज बढ़ा है। ल‍िहाजा, तमाम ऐसी कहानियों को पर्दे पर लाने का भी ट्रेंड बढ़ा है, जिनसे लोग अभी तक अनजान हैं। खासकर ‘उरी : द सर्जिकल स्ट्राइक’ और ‘पठान’ जैसी देशभक्ति पर आधारित फिल्मों की बंपर सफलता ने बॉलिवुड निर्माताओं को सफलता का नया मंत्र दे दिया है। अभी तक अक्षय कुमार और जॉन अब्राहम ही इस जॉनर में हाथ आजमा रहे थे, लेकिन अब Vidyut Jammwal भी बतौर एक्टर-प्रोड्यूसर इस फील्ड में उतर गए हैं।

‘आईबी 71’ की कहानी

फिल्म ‘IB 71’ साल 1971 में भारतीय खुफिया एजेंसियों द्वारा पाकिस्तान की धरती पर चलाए गए एक सनसनीखेज खुफिया मिशन की कहानी है। इसके मुताबिक, भारत से 1948 और 1965 की दो जंग हारने के बाद पाकिस्तान इस बार भारत को बड़ा झटका देना चाहता है। इसके लिए चीन के साथ मिलकर उनसे खास तैयारियां की हैं। भारत ने पश्चिमी पाकिस्तान बॉर्डर पर अपनी सेनाएं तैनात कर रखी थीं, लेकिन पूर्वी पाकिस्तान सीमा पर उसकी तैनाती कमजोर है। जबकि पाकिस्तान उधर से ही भारत को झटका देने की फिराक में है। पाकिस्तान से निपटने के लिए खुफिया एजेंट देव जामवाल (विद्युत जामवाल) भारत की खुफिया एजेंसी के चीफ एनएस अवस्थी (अनुपम खेर) को एक बेहद खतरनाक प्लान सुझाता है, लेकिन मौजूदा हालात में भारत के पास उसके अलावा कोई चारा नहीं बचता। क्या भारत अपने उस खुफिया मिशन में कामयाब हुआ था? यह जानने के लिए आपको सिनेमाघर में जाकर फिल्म देखनी होगी।

‘IB 71’ का ट्रेलर

‘आईबी 71’ का रिव्‍यू

फिल्म ‘आईबी 71’ के डायरेक्टर संकल्प रेड्डी इससे पहले ‘गाजी अटैक’ जैसी जोरदार फिल्म बना चुके हैं। लेकिन अफसोस कि इस बार वह पहले जैसा दम नहीं दिखा पाए। बेशक उन्होंने एक रोमांचक खुफिया मिशन पर फिल्म बनाने की कोशिश की, लेकिन कमजोर कहानी और स्क्रीनप्ले के कारण वह उतना प्रभाव नहीं छोड़ पाए। फिल्म की कहानी आदित्य शास्त्री ने लिखी है, जिसमें तमाम कमियां नजर आती हैं, वहीं स्क्रीनप्ले खुद संकल्प ने अपने पांच साथियों के साथ मिलकर लिखा है।

इंटरवल से पहले संकल्प ने घटनाक्रम को समझाने की कोशिश की, लेकिन सेकंड हाफ में पाकिस्तान की धरती पर कई ऐसी बचकानी घटनाएं घटती हैं, जो दर्शकों को हैरानी में डाल देती हैं कि क्या खुफिया मिशन वाकई इतनी आसानी से अंजाम दिए जाते हैं। फिल्म का क्लाईमैक्स भी उतना दमदार नहीं है।

विद्युत जामवाल ने फिल्म में ठीकठाक काम किया है। अनुपम खेर हमेशा की तरह अपने रोल में जमे हैं, तो विशाल जेठवा व अश्वथ भट्ट ने अपने रोल में जान डाल दी है। बाकी कलाकारों ने भी ठीकठाक काम किया है। जंग के बैकग्राउंड में बनी इस फिल्म में बढ़िया बैकग्राउंड स्कोर व सिनेमटोग्रफी जरूर आपको प्रभावित करती है। महज दो घंटे की इस फिल्म की एडिटिंग भी चुस्त है। अगर संकल्प ने फिल्म की कहानी और स्क्रीनप्ले पर थोड़ी और मेहनत की होती, तो वह एक बेहतरीन फिल्म बना सकते थे।

क्‍यों देखें- अगर आप देशभक्ति फिल्मों के बहुत शौकीन हैं, तो इसे सिनेमा में जाकर देख सकते हैं। वरना इसके ओटीटी पर आने का इंतजार करें।