राजस्थान में चपरासी बनने के लिए आवेदन्न कर रहे हैं सीए और इंजिनियर

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राजस्थान सचिवालय के लिए जब चपरासी के पद पर नियुक्ति के लिए परीक्षार्थियों का इंटरव्यू लिया जा रहा था, तो उम्मीदवारों की शैक्षणिक योग्यता देखकर इंटरव्यू पैनल आश्चर्य में पड़ गया. आजकल देश में हालात ही ऐसे हिं कि छोटी से छोटी नौकरी के लिए भी लाखों उम्मीदवार आवेदन करते हैं. मगर राजस्थान सचिवालय के लिए आई भारतियों ने सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया है.

ये हैं कुल आवेदन

राजस्थान सचिवालय में भर्ती के लिए कुल 12 हज़ार 453 लोगों ने इंटरव्यू दिया. चतुर्थ श्रेणी के 18 पदों के लिए इंटरव्यू देने वालों में 129 इंजीनियर्स, 23 वकील, एक चार्टर्ड अकाउंटेंट, 393 कला संकाय में पोस्टग्रेजुएट अभ्यर्थी शामिल थे. राजस्थान सरकार के मुताबिक़ इस नौकरी के लिए न्यूनतम योग्यता मात्र पांचवीं क्लास पास थी. लेकिन जिन लोगों का इंटरव्यू हुआ उनमें 3600 लोग काफी पढ़े लिखे थे, इनमें से 1533 आर्ट्स ग्रेजुएट थे, 23 साइंस में पीजी की डिग्री लेकर रखे थे, तो 9 लोगों के पास एमबीए की डिग्री भी थी. इसके अलावा होटल मैनेजमेंट, नर्सिंग पास उम्मीदवारों ने भी इस नौकरी के लिए आवेदन किया था.

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दसवीं पास को मिली नौकरी

लेकिन इतने पढ़े-लिखे उम्मीदवारों की वजह से भी ये भारती विवादों में आ गयी है. दरअसल आखिरी 18 अभ्यर्थियों में चयनित होने वालों में 30 साल का एक युवक रामकृष्ण मीणा है जो मात्र दसवीं क्लास तक पढ़ा है, और ख़ास बात ये है कि वो बीजेपी विधायक का बेटा है. इस वजह से इस पद के लिए रामकृष्ण मीणा के चयन से राजनीतिक गलियारों में गहमागहमी है. विधानसभा की वेबसाइट पर 15 दिसंबर को दी गई जानकारी में रामकृष्ण मीणा का 12वां स्थान है.

आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू

शायद यही वजह है कि विपक्ष ने इन नियुक्तियों में गड़बड़ी की आशंका जताई है. राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष सचिन पायलट ने इस मामले में उच्च स्तरीय जांच की मांग की है. पायलट ने कहा है कि बीजेपी नेता अपने रिश्तेदारों को सरकारी नौकरियों में जगह दे रहे हैं, जबकि राज्य के बेरोज़गार युवक नौकरियों के लिए दर-दर भटक रहे हैं. उन्होंने कहा कि केन्द्र और राज्य की नीतियों की वजह से राजस्थान में नौकरियों का टोटा हो गया है. हालांकि जमवा रामगढ़ के विधायक जगदीश नारायण मीणा ने बेटे का चपरासी पद के चयन में किसी भी तरह की गड़बड़ी से इनकार किया है और कहा है कि भर्तियों में ‘अनियमितताओं’ का सवाल ही नहीं है। उन्होंने कहा, ‘मेरे बेटे ने सामान्य प्रक्रिया के तहत इस नौकरी के लिए आवेदन किया था और इंटरव्यू के बाद ही उसका चयन हुआ है. उन्होंने कहा, ‘विपक्ष कहता है कि मैंने अपने बेटे को नौकरी दिलवाने के लिए अपने प्रभाव का इस्तेमाल किया, लेकिन अगर मेरी इतनी ही चलती तो मैं अपने बेटे को चपरासी की नौकरी क्यों दिलवाता? अगर ऐसी ही बात थी तो मैं उसे कोई बड़ी नौकरी दिलवाता.’