gravel problem: नए प्रावधानों से प्रदेश में बजरी समस्या होगी खत्म | New provisions will end gravel problem in the state | Patrika News

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gravel problem: नए प्रावधानों से प्रदेश में बजरी समस्या होगी खत्म | New provisions will end gravel problem in the state | Patrika News

अब माइनर मिनरल ( minor minerals ) के खनन के संबंध में सभी तरह की पर्यावरणीय स्वीकृतियां ( environmental clearances ) स्टेट लेबल एनवायरमेंट इंपेक्ट एसेसमेंट ऑथोरिटी के स्तर पर जारी होंगी, वहीं मेजर मिनरल ( Major Minerals ) के क्षेत्र में भी 250 हैक्टेयर क्षेत्र तक के खनन पट्टों में खनन के लिए भी एसईआईएए के स्तर पर ही पर्यावरणीय क्लीयरेंस जारी हो सकेगी।

जयपुर

Published: April 26, 2022 11:01:43 am

अब माइनर मिनरल ( minor minerals ) के खनन के संबंध में सभी तरह की पर्यावरणीय स्वीकृतियां ( environmental clearances ) स्टेट लेबल एनवायरमेंट इंपेक्ट एसेसमेंट ऑथोरिटी के स्तर पर जारी होंगी, वहीं मेजर मिनरल ( Major Minerals ) के क्षेत्र में भी 250 हैक्टेयर क्षेत्र तक के खनन पट्टों में खनन के लिए भी एसईआईएए के स्तर पर ही पर्यावरणीय क्लीयरेंस जारी हो सकेगी। इस संबंध में केन्द्र सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन विभाग ने एक अधिसूचना जारी कर आवश्यक प्रावधान कर दिए हैं।
अतिरिक्त मुख्य सचिव माइंस, पेट्रोलियम, जलदाय एवं भूजल डॉ. सुबोध अग्रवाल ने बताया कि नए प्रावधानों से प्रदेश में बजरी की समस्या के समाधान में भी बड़ी राहत मिलेगी। बजरी माइरन मिनरल्स में आती है और अब बजरी लीजधारकों व भविष्य में बजरी के खनन पट्टों के लिए स्टेट लेबल एनवायरमेंट इंपेक्ट एसेसमेंट ऑथोरिटी से ही पर्यावरणीय क्लीयरेंस मिल सकेगी। माइनर मिनरल्स में ग्रेनाइट, जिप्सम, मारबल, मेसेनरी स्टोन, क्वार्टज, फैल्सपार, सोपस्टोन, डोलोमाइट, सिलिका सेंड आदि आते हैं वहीं मेजर मिनरल्य में सीमेंट ग्रेड लाइमस्टोन, आयरन ओरे, लेड़, जिंक, कॉपर, मैगनीज आदि आदि मिनरल्स आते हैं। इन प्रावधानों से एक मोटे अनुमान के अनुसार प्रदेश के 20 हजार से अधिक खान धारकों को राहत मिलेगी, वहीं भविष्य में जारी होने वाले खनन पट्टों के लिए भी पर्यावरणीय क्लीयरेंस एसईआईएए से जारी हो सकेगी। इससे समय की बचत होने के साथ ही प्रक्रिया में आसानी हो सकेगी। क मोटे अनुमान के अनुसार राज्य में 70 मिलियन टन बजरी की मांग है। इन 60 खनन क्षेत्रों के लिए लीज जारी होते ही प्रदेष में बजरी की समस्या का पूरी तरह से समाधान हो जाएगा। इससे एक और जहां रियल एस्टेट सहित निर्माण क्षेत्र की बजरी की समस्या का समाधान होगा वहीं एक अनुमान के अनुसार राज्य सरकार को भी 600 करोड़ रूपये का राजस्व मिलेगा।

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