गोलियों से सुबह करीब 7 बजे गूंज उठा था महू उपजेल, अब 15 साल बाद मिला न्याय | Bullets were fired on June 23, 2007 after entering the jail | Patrika News
जीतू ठाकुर से कुछ मुलाकाती मुलाकात कर रहे थे, जिन्हें तत्कालीन प्रहरी कैलाश तथा हरीप्रसाद ने अंदर लिया था। अशोक मराठा से मुलाकात हो जाने से विजय नागर को बाहर करने के लिए गेट खोला गया और उसे गेट के बाहर किया। थोड़ी देर बाद कैदी सुरेश से मिलने उसका बेटा गेट पर आया।
हरीप्रसाद ने गेट खोला तो उसी समय विजय नागर और साथ में तीन व्यक्ति अंदर आए और गार्ड रूम में गोलियां चलाने लगे। उन्होंने हरीप्रसाद को गोली मारी, जो दाहिनी तरफ पसली में लगी। फिर गार्ड रूम में घुसे और वहां गोली चलाकर जीतू ठाकुर से मुलाकात करने आए राजेश व अजय को घायल कर दिया। इसके बाद जीतू ठाकुर को सिर में गोली मारी। अलार्म व सिटी बजाई, लेकिन तब तक हमलावर भाग गए। जीतू ठाकुर, हरीप्रसाद व अन्य घायलों को मध्यभारत अस्पताल लेकर गए, जहां जीतू ठाकुर की मौत हो गई।
विष्णु उस्ताद हत्याकांड के दो आरोपियों की हत्या में आरोपी था युवराज
जीतू ठाकुर हत्याकांड को विष्णु उस्ताद हत्याकांड से जोड़कर देखा जाता है। विष्णु उस्ताद हत्याकांड के दो आरोपियोंं की हत्या में विष्णु उस्ताद का बेटा युवराज आरोपी बना। पुलिस ने उसकी गैंगस्टर फाइल भी खोल रखी है। वर्ष 2002 में विष्णु उस्ताद की पाटनीपुरा चौराहे के पास हत्या हुई थी। विष्णु उस्ताद पर भी हत्या के साथ अन्य आपराधिक मामले दर्ज थे।
हत्याकांड में पुलिस ने जीतू ठाकुर को साजिश रचने का आरोपी बनाया था। मामले में सतीश भाऊ, महेंद्र उपाध्याय, मनीष शूटर, तरुण साजनानी सहित और भी आरोपी थे। इस हत्याकांड के आरोपी महेंद्र उपाध्याय की परदेशीपुरा चौराहे के पास 2004-05 में हत्या हुई, जिसमें युवराज व अन्य को आरोपी बनाया गया था। 2007 में जीतू ठाकुर की हत्या हुई तो इसमें भी युवराज व अन्य आरोपी बने थे।
विष्णु उस्ताद हत्याकांड के कुछ अन्य आरोपियों की भी अलग-अलग जगह हत्या हो चुकी है, जबकि एक आरोपी का पुलिस ने एनकाउंटर किया था। तरुण साजनानी ने खुद को गोली मार ली थी। एक आरोपी व साथी की महू इलाके में तो एक की एमआइजी इलाके में हत्या हो चुकी है।
अब आया फैंसला:
महू उपजेल में हुए चर्चित जीतू ठाकुर हत्याकांड में करीब 15 साल बाद अब कोर्ट ने फैसला सुनाया। इसमें दो को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है, जबकि युवराज उस्ताद सहित दो को बरी कर दिया गया है। मामले में 93 गवाह थे, जिनमें से 77 पक्षद्रोही हो गए। रिपोर्ट लिखाने वाले व जिसे गोली लगी, उस जेलकर्मी सहित तीन जेलकर्मी भी पक्षद्रोही हुए। इनके खिलाफ परिवाद पेश करने के निर्देश कोर्ट ने दिए हैं। अपर सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र सोनी ने फैसला सुनाया।
जीतू ठाकुर से कुछ मुलाकाती मुलाकात कर रहे थे, जिन्हें तत्कालीन प्रहरी कैलाश तथा हरीप्रसाद ने अंदर लिया था। अशोक मराठा से मुलाकात हो जाने से विजय नागर को बाहर करने के लिए गेट खोला गया और उसे गेट के बाहर किया। थोड़ी देर बाद कैदी सुरेश से मिलने उसका बेटा गेट पर आया।
हरीप्रसाद ने गेट खोला तो उसी समय विजय नागर और साथ में तीन व्यक्ति अंदर आए और गार्ड रूम में गोलियां चलाने लगे। उन्होंने हरीप्रसाद को गोली मारी, जो दाहिनी तरफ पसली में लगी। फिर गार्ड रूम में घुसे और वहां गोली चलाकर जीतू ठाकुर से मुलाकात करने आए राजेश व अजय को घायल कर दिया। इसके बाद जीतू ठाकुर को सिर में गोली मारी। अलार्म व सिटी बजाई, लेकिन तब तक हमलावर भाग गए। जीतू ठाकुर, हरीप्रसाद व अन्य घायलों को मध्यभारत अस्पताल लेकर गए, जहां जीतू ठाकुर की मौत हो गई।
विष्णु उस्ताद हत्याकांड के दो आरोपियों की हत्या में आरोपी था युवराज
जीतू ठाकुर हत्याकांड को विष्णु उस्ताद हत्याकांड से जोड़कर देखा जाता है। विष्णु उस्ताद हत्याकांड के दो आरोपियोंं की हत्या में विष्णु उस्ताद का बेटा युवराज आरोपी बना। पुलिस ने उसकी गैंगस्टर फाइल भी खोल रखी है। वर्ष 2002 में विष्णु उस्ताद की पाटनीपुरा चौराहे के पास हत्या हुई थी। विष्णु उस्ताद पर भी हत्या के साथ अन्य आपराधिक मामले दर्ज थे।
हत्याकांड में पुलिस ने जीतू ठाकुर को साजिश रचने का आरोपी बनाया था। मामले में सतीश भाऊ, महेंद्र उपाध्याय, मनीष शूटर, तरुण साजनानी सहित और भी आरोपी थे। इस हत्याकांड के आरोपी महेंद्र उपाध्याय की परदेशीपुरा चौराहे के पास 2004-05 में हत्या हुई, जिसमें युवराज व अन्य को आरोपी बनाया गया था। 2007 में जीतू ठाकुर की हत्या हुई तो इसमें भी युवराज व अन्य आरोपी बने थे।
विष्णु उस्ताद हत्याकांड के कुछ अन्य आरोपियों की भी अलग-अलग जगह हत्या हो चुकी है, जबकि एक आरोपी का पुलिस ने एनकाउंटर किया था। तरुण साजनानी ने खुद को गोली मार ली थी। एक आरोपी व साथी की महू इलाके में तो एक की एमआइजी इलाके में हत्या हो चुकी है।
अब आया फैंसला:
महू उपजेल में हुए चर्चित जीतू ठाकुर हत्याकांड में करीब 15 साल बाद अब कोर्ट ने फैसला सुनाया। इसमें दो को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है, जबकि युवराज उस्ताद सहित दो को बरी कर दिया गया है। मामले में 93 गवाह थे, जिनमें से 77 पक्षद्रोही हो गए। रिपोर्ट लिखाने वाले व जिसे गोली लगी, उस जेलकर्मी सहित तीन जेलकर्मी भी पक्षद्रोही हुए। इनके खिलाफ परिवाद पेश करने के निर्देश कोर्ट ने दिए हैं। अपर सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र सोनी ने फैसला सुनाया।