सरकारी तंत्र से परेशान किसानों ने मांगी इच्‍छामृत्‍यु की इजाज़त

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आम बजट में न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य में वृद्धि के बावजूद किसानों की आर्थिक बदहाली कम होने का नाम नहीं ले रही है. कर्ज का बोझ और फसलों का उचित मूल्‍य न मिलने से त्रस्‍त महाराष्‍ट्र के बुलढाना जिले के 91 किसानों ने इच्‍छामृत्‍यु की अनुमति मांगी है. किसानों ने अपनी मांगों को लेकर राज्‍य के राज्‍यपाल सी. विद्यासागर राव और एसडीएम को पत्र लिखा है. किसानों की शिकायत है कि उन्‍हें राज्‍य सरकार की ओर से फसलों का उचित दाम नहीं मिल रहा है.

कृषि कीमतों के अलावा अमरावती क्षेत्र के किसान एक और समस्‍या से जूझ रहे हैं. उन्‍होंने बताया कि हाईवे निर्माण के लिए अधिग्रहित जमीन के बदले पर्याप्‍त मुआवजे का भुगतान अभी तक नहीं किया गया है. किसानों ने बताया कि वे अपने परिवार का भरन-पोषण करने में भी असमर्थ हैं. उनकी बेबसी हताशा में बदलती जा रही है. ऐसे में उनके पास जान देने के अलावा और कोई विकल्‍प नहीं बचा है. सुप्रीम कोर्ट ने हाल में ही टर्मिनली इल (असाध्‍य बीमारी जिसमें शरीर ने काम करना छोड़ दिया है) लोगों के लिए पैसिव यूथनेशिया (इच्‍छामृत्‍यु) की मंजूरी दी है.

महाराष्‍ट्र में किसानों की आर्थिक स्थिति पहले से ही बेहद खराब है. किसानों की बेहतरी के लिए काम करने वाले संगठनों ने इस समस्‍या पर अविलंब ध्‍यान देने की ज़रूरत बताई है. सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि किसानों द्वारा इच्‍छामृत्‍यु की मांग सरकारी एजेंसियों के प्रति उनकी निराशा को दिखाता है.

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बता दें कि मार्च के शुरुआत में हजारों की तादाद में किसान अपनी विभिन्‍न मांगों को लेकर 180 किलोमीटर की पदयात्रा कर महाराष्‍ट्र की राजधानी मुंबई पहु्ंच गए थे. उन्‍होंने विधानसभा के घेराव की चेतावनी दी थी. किसानों के सख्‍त तेवर को देखते हुए राज्‍य की देवेंद्र फड़नवीस सरकार ने उनकी अधिकतर मांगों को पूरा करने का आश्‍वासन दिया था. किसानों ने बिना शर्त कर्ज और बिजली बिल माफ करने की मांग की थी. नरेंद्र मोदी सरकार ने हाल में संसद में किसानों द्वारा आत्‍महत्‍या करने के मामलों में जबरदस्‍त गिरावट आने की जानकारी दी थी. हालांकि, महाराष्‍ट्र, गुजरात, मध्‍य प्रदेश और कर्नाटक जैसे राज्‍यों में किसानों की आर्थिक स्थिति बेहद खस्‍ता है. समय पर बारिश न होने से फसलों को नुकसान और पैदावार अच्‍छा होने पर उचित मूल्‍य न मिल पाने की समस्‍या तमाम कोशिशों के बावजूद दूर नहीं हो रही है.