Exclusive: बीजेपी में नहीं जाएंगे उपेंद्र कुशवाहा, नई पार्टी बनाएंगे या रालोसपा को जिंदा करके एनडीए गठबंधन में शामिल होंगे

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Exclusive: बीजेपी में नहीं जाएंगे उपेंद्र कुशवाहा, नई पार्टी बनाएंगे या रालोसपा को जिंदा करके एनडीए गठबंधन में शामिल होंगे

Exclusive: बीजेपी में नहीं जाएंगे उपेंद्र कुशवाहा, नई पार्टी बनाएंगे या रालोसपा को जिंदा करके एनडीए गठबंधन में शामिल होंगे


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बिहार में जदयू के अंदर राजनीतिक संकट गहराता जा रहा है। पार्टी के राष्ट्रीय संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने विद्रोही तेवर अपना लिया है। मंगलवार को उन्होंने पार्टी नेतृत्व पर ताबड़तोड़ प्रहार किए। साथ ही, पार्टी अध्यक्ष ललन सिंह से सवाल किया कि वह बताएं कि राजद से क्या डील हुई है। कुशवाहा ने आरोप लगाया कि उन्हें पार्टी के अंदर दरकिनार करने की साजिश चल रही है। इस बीच सूत्रों के हवाले से मिल रही जानकारी के अनुसार उपेंद्र कुशवाहा जल्द ही रालोसपा को फिर से जिंदा करेंगे या फिर नई पार्टी बनाकर एनडीए में शामिल हो जाएंगे। एक बात तो तय मानी जा रही है कि उपेंद्र कुशवाहा बीजेपी में नहीं जाएंगे। 

कुशवाहा ने साफ कर दिया कि उनकी राह अलग हो गई है। वहीं, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यह कहकर कि कुशवाहा के बयानों से उनका कोई लेना देना नहीं है, साफ कर दिया है कि जदयू ने भी उनसे किनारा कर लिया है। दूसरी ओर इस पूरे प्रकरण पर भाजपा भी नजर रख रही है। पूर्व उप मुख्यमंत्री और सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि उपेंद्र कुशवाहा द्वारा उठाए गए सवालों का जवाब जदयू नेतूत्व को देना चाहिए। आखिरकार जदयू व राजद के बीच क्या डील हुई है, वही जानकारी तो उपेंद्र कुशवाहा मांग रहे हैं।  

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उपेंद्र कुशवाहा ने वर्ष 2013 में नई पार्टी रालोसपा का गठन किया। भाग्य की बुलंदी यह रही कि एक साल बाद हुए लोकसभा चुनाव में एनडीए का हिस्सा बनकर उनकी पार्टी को बिहार में तीन सीटें मिलीं। यह सीटें थी काराकाट, सीतामढ़ी और जहानाबाद। मोदी लहर पर सवार रालोसपा का रिजल्ट शत-प्रतिशत रहा। पार्टी ने तीनों सीटों पर जीत हासिल की। 2019 के लोकसभा चुनाव में उपेंद्र कुशवाहा ने काराकाट और उजियारपुर लोकसभा सीटों से चुनाव लड़ा था लेकिन उन्हें हार मिली।

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2020 के बिहार विधानसभा चुनाव से पहले कुशवाहा ने महागठबंधन से नाता तोड़कर मायावती की बसपा और एआईएमआईएम के साथ नया गठबंधन बनाकर यह चुनाव लड़ा। विधानसभा चुनाव में रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा को उनके गठबंधन द्वारा मुख्यमंत्री उम्मीदवार के तौर पर पेश किया गया था पर इनके गठबंधन में शामिल हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने मुस्लिम बहुल सीमांचल क्षेत्र में जहां पांच सीट जीत पायी थी वहीं रालोसपा एक भी सीट जीतने में सफल नहीं रही थी।

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उपेंद्र कुशवाहा की सियासी महत्वाकांक्षा ने उनको राष्ट्रीय फलक पर पहचान दिलाई है। उपेंद्र कुशवाहा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के काफी करीबी रहे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी उनकी नजदीकियां रहीं तो कांग्रेस से भी उनके मधुर रिश्ते रह चुके हैं। यूं तो वे राज्य से केंद्र तक की राजनीति में विभिन्न पदों पर रहे, लेकिन मंजिल की तलाश अभी खत्म नहीं हुई है। 

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