भाजपा में “अमित शाह” युग

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भारतीय जनता पार्टी में “अमित शाह” युग की शुरुआत जुलाई 2014 में हुई, जब भाजपा की केन्द्रीय समिति ने अमित शाह को भाजपा अध्यक्ष के रूप में चुना. चाहे वो 2014 का चुनाव हो या 2019 का, अमित शाह के रणनीतिक निर्णयों के वजह से ही आज भाजपा देश के सर्वाधिक राज्यों के साथ ही साथ केंद्र में भी सत्ता पर काबिज़ है.

लोकसभा चुनाव 2019 की बात करें तो पिछले आम चुनाव के अपेक्षा इस चुनाव में भाजपा ने जबरदस्त वापसी की है. भाजपा की इस जीत में अमित शाह के योगदान को नज़रंदाज़ नहीं किया जा सकता है, और अब उनके इसी रणनीतिक समझ के ईनाम के रूप में सरकार का दूसरा सबसे अहम ओहदा “गृह मंत्री” का पद मिला है.

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अमित शाह के अध्यक्ष पद का कार्यकाल जनवरी में ही ख़त्म हो गया था, लेकिन आम चुनावों के कारण उनका कार्यकाल बढ़ा दिया गया था, लेकिन अब आम चुनाव ख़त्म होने के बाद ‘भारतीय जनता पार्टी’ में भी अध्यक्ष पद के चुनाव की सुगबुगाहट शुरू हो गयी है.

मालूम हो कि अभी दिल्ली, हरियाणा और झारखण्ड जैसे महत्वपूर्ण राज्यों में विधानसभा चुनावों की आमद होने वाली है, ऐसे में भाजपा नही चाहेगी कि अमित शाह राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटें, और भाजपा के संविधान के मुताबिक अमित शाह अभी एक और कार्यकाल तक अध्यक्ष रह सकते हैं.

अभी खबर भी आई है कि भाजपा का आतंरिक चुनाव अक्टूबर-नवम्बर तक खिंच सकता है. ऐसे में अभी अमित शाह के पद पर बने रहना लगभग 6 महीने तक और संभव हो पायेगा. वैसे भी गृह मंत्री का पद सँभालने के बाद विशेषज्ञ ये कयास लगा रहे थे कि अब भाजपा का अध्यक्ष कोई और होना चाहिए, क्योंकि अमित शाह पर कार्यभार बढ़ जायेगा.

खैर, कुछ भी हो लेकिन अमित शाह के रणनीतिक समझ की बदौलत ही भाजपा आज अधिकतर राज्यों में काबिज़ हो सकी है. इसे अगर भाजपा का ‘अमित शाह’ युग कहें तो ज्यादा उचित होगा. अब ये देखना होगा कि क्या अमित शाह अगले 3 साल तक और भाजपा अध्यक्ष की कुर्सी पर काबिज़ रहते हैं? क्योंकि आने वाले विधानसभा चुनावों में भाजपा को अमित शाह की ही सबसे ज्यादा ज़रूरत होंगी.