Delhi Metro: दिल्ली मेट्रो के पुराने दिन लौटे, लगातार बढ़ रही है राइडरशिप, मार्च के एक दिन में 43 लाख पहुंची पैसेंजर्स की संख्या

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Delhi Metro: दिल्ली मेट्रो के पुराने दिन लौटे, लगातार बढ़ रही है राइडरशिप, मार्च के एक दिन में 43 लाख पहुंची पैसेंजर्स की संख्या

नई दिल्ली: कोविड से जुड़ी ज्यादातर पाबंदियों के हटने के बाद अब मेट्रो की राइडरशिप तेजी से बढ़ रही है और यह लगभग कोविड से पहले वाले स्तर तक पहुंच चुकी है। इससे डीएमआरसी ने भी राहत की सांस ली है, क्योंकि राइडरशिप में भारी गिरावट आने के चलते उसे पिछले डेढ़-दो साल से भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा था। हालांकि, मेट्रो में यात्रा करते वक्त अभी भी मास्क पहनना जरूरी है, लेकिन यात्रियों के लिए राहत की बात यह है कि अब चालान पहले जितने नहीं काटे जा रहे।
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डीएमआरसी प्रवक्ता ने बताया कि कोविड के चलते पहली बार 22 मार्च 2020 को मेट्रो सेवा स्थगित की गई थी, जो करीब साढ़े 5 महीने बाद 7 सितंबर 2020 को दोबारा शुरू की गई थी। उसके बाद 10 मई 2021 को फिर से मेट्रो सेवा सस्पेंड की गई और 7 जून 2021 को दोबारा शुरू हुई, लेकिन 22 मार्च 2020 से 28 फरवरी 2022 तक मेट्रो पाबंदियों के साथ ही चली। पहले केवल आधी सीटों पर बैठकर यात्रा करने की अनुमति दी गई थी। बाद में सभी सीटों पर बैठकर यात्रा करने की अनुमति दी गई और उसके बाद पिछले साल नवंबर में कुछ दिन प्रत्येक कोच में 30 लोगों को खड़े होकर यात्रा करने की अनुमति भी दी गई, लेकिन कोविड की तीसरी लहर के चलते वो छूट भी वापस ले ली गई थी।

लगभग दो साल से मेट्रो स्टेशनों के कई गेट बंद थे और यात्रियों की एंट्री को नियंत्रित किया जा रहा था। इसके चलते लोगों को काफी दिक्कत हो रही थी। मेट्रो की सेवा पूरी तरह से सामान्य इसी साल 28 फरवरी से हो पाई, जब मास्क पहनने की अनिवार्यता को छोड़कर बाकी सभी पाबंदियां हटा दी गईं। इससे न केवल यात्रियों की दिक्कतें दूर हुईं, बल्कि मेट्रो की राइडरशिप में भी तेजी से इजाफा हुआ। आंकड़े भी इसी तरफ इशारा करते हैं।

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डीएमआरसी से मिली जानकारी के अनुसार, 1 फरवरी से 15 मार्च के बीच पैसेंजर जर्नी में डेढ़ गुना से ज्यादा का इजाफा देखने को मिला है। राइडरशिप के लिहाज से सोमवार का दिन काफी अहम माना जाता है, जब मेट्रो में काफी रश रहता है। अगर फरवरी में सोमवार के दिनों की बात करें, तो 7 फरवरी को मेट्रो में करीब 23.66 लाख पैसेंजर जर्नी काउंट की गई थी, जबकि 14 फरवरी को यह बढ़कर 27.93 लाख और 21 फरवरी को बढ़कर 31.95 लाख पर पहुंच गई। 28 फरवरी को जब मेट्रो से पाबंदियां हटीं, तो पहले ही दिन पैसेंजर जर्नी बढ़कर 41.66 लाख पर पहुंच गई और उसके बाद अगले सोमवार यानी 7 मार्च को यह बढ़कर करीब 43 लाख हो गई।

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पैसेंजर जर्नी का मतलब है कि किसी एक व्यक्ति ने अलग-अलग लाइनों पर कुल कितनी बार मेट्रो में सफर किया। अगर इसे यात्री संख्या में तब्दील करके देखा जाए, तो करीब 18 से 20 लाख यात्री अब फिर से मेट्रो में रोज सफर करने लगे हैं। कोविड काल से पहले यानी 2019-20 में सामान्य दिनों में राइडरशिप 25 से 30 लाख के आस-पास रहती थी। उम्मीद की जा रही है कि इस महीने के अंत तक या अगले महीने तक राइडरशिप पूरी तरह सामान्य हो जाएगी। वैसे भी गर्मियों के दिनों में लोग मेट्रो में सफर करना ज्यादा पसंद करते हैं। ऐसे में आने वाले दिनों में राइडरशिप में बढ़ोतरी होना तय है।

कम काटे जा रहे चालान
यात्रियों के लिए राहत की बात यह भी है कि मेट्रो में अब कोविड नियमों के उल्लंघन पर चालान भी पहले जितने नहीं काटे जा रहे। फरवरी के अंत में जहां प्रतिदिन 500 से ज्यादा लोगों के चालान काटे जा रहे थे, वहीं अब करीब 300 लोगों के ही चालान रोज कट रहे हैं। हालांकि, यात्रियों पर निगरानी जरूर रखी जा रही है और उनसे नियमों का पालन करने की लगातार अपील भी की जा रही है। ज्यादातर उन्हीं लोगों के चालान काटे जा रहे हैं, जो भीड़भाड़ वाले स्टेशनों पर बिना मास्क लगाए घूमते नजर आते हैं।

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