Controversy Over Sai Baba: मंदिर में साईं बाबा की प्रतिमा पर थम नहीं रहा विवाद, शंकराचार्य के प्रतिनिधि ने कहा- वे तो मुसलमान हैं

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Controversy Over Sai Baba: मंदिर में साईं बाबा की प्रतिमा पर थम नहीं रहा विवाद, शंकराचार्य के प्रतिनिधि ने कहा- वे तो मुसलमान हैं

छिंदवाड़ाः मंदिर में साईं बाबा की प्रतिमा को लेकर शुरू हुआ विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य और विशेष प्रतिनिधि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने बीते गुरुवार को साईं बाबा के मुसलमान होने का दावा किया था। उन्होंने कहा है कि वे अब भी अपनी बात पर कायम हैं। मंदिरों में साईं बाबा की मूर्ति का भला क्या काम है।

गुरुवार को शुरू हुआ विवाद
विवाद की शुरुआत छिंदवाड़ा के छोटी बाजार स्थित बड़ी माता मंदिर और श्रीराम मंदिर से हुई। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद मंदिर में दर्शन के लिए आए थे। वहां साईं बाबा की प्रतिमा को देखकर वे भड़क गए और अपने शिष्य को जमकर लताड़ लगाई। वे पहले बड़ी माता मंदिर में पहुंचे। उन्होंने गर्भ गृह में देवी की पूजा की। इस दौरान जैसे ही उनकी नजर दीवार पर लगे साईं बाबा के आर्टिफिशियल मंदिर पर पड़ी तो नाराज हो गए और पुजारी के रोकने पर भी यहां नहीं रूके। इसके बाद वे छोटा बाजार के राम मंदिर पहुंचे। वहां भी दर्शन के दौरान उन्हें साईं बाबा की प्रतिमा दिख गई। उन्होंने मंदिर के पुजारी पर नाराजगी जाहिर की और यह तक कह डाला की राम के मंदिर में साईं का क्या काम है।

शिष्य को लगाई फटकार
बड़ी माता मंदिर में जो शिष्य स्वामी जी को लेकर गया था, उसे उन्होंने सबके सामने जमकर लताड़ लगाई। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि हमने तुम पर विश्वास किया, लेकिन तुमने धोखा दिया। हमारा संकल्प है कि जिस मंदिर में साईं हैं, वहां हम नहीं जाएंगे। फिर भी तुम हमें ऐसे मंदिर में ले गए।

विवाद के बाद हटाई गई साईं की मूर्ति
विवाद के बाद राम मंदिर में लगी साईं बाबा की मूर्ति को हटा दिया गया है। माता मंदिर समिति की विशेष बैठक बुलाकर भी साईं बाबा के आर्टिफिशियल मंदिर को हटाने पर चर्चा की जाएगी। बड़ी माता मंदिर समिति के अध्यक्ष संतोष सोनी ने कहा कि वे सनातन धर्म के साथ हैं। भूलवश यदि किसी ने साईं बाबा की प्रतिमा मंदिर में स्थापित कर दी है तो उसे हटाने के लिए हम सहमति बनाएंगे।

अपनी बात पर अब भी कायम
इस बीच स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा है कि वे अपनी बात पर अब भी कायम हैं। एक अखबार से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि साईं बाबा मुस्लिम थे, इसमें किसी को शंका नहीं है। इसका प्रमाण उपलब्ध है, तो उनका मंदिरों में क्या काम है। हमारे शास्त्रों में अपने से बड़ों के सामने पैर पर पैर रखकर बैठना मना है। यह बड़ों का अपमान माना जाता है। साईं बाबा की मूर्ति देखो तो उनके एक पैर पर दूसरा पैर होता है। उनकी प्रतिमा हमारे देवता का अपमान करने के लिए लगाई जा रही हैं।

शंकराचार्य के विशेष प्रतिनिधि हैं स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद, शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य और विशेष प्रतिनिधि हैं। उन्होंने काशी में मंदिर तोड़े जाने का विरोध किया था। वहीं छत्तीसगढ़ के कवर्धा में सनातन धर्म के ध्वज को हटाने के विरोध में हजारों लोगों के साथ रैली निकालकर ध्वज को स्थापित किया था।

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