आज मुस्लिमों का प्रमुख त्योहार ईद मिलाद उन नबी है। पूरे देश में इस त्योहार को लेकर काफी उत्साह है और जगह-जगह जुलूस निकाल कर जश्न मनाया जा रहा है। ईद उल फितर और ईद उल जुहा के अलावा मुस्लिम समुदाय इस ईद को भी बढ़चढ़ कर मनाता है। आइये आपको बताते हैं इसे मनाने के पीछे की वजह और तरीका।
क्यूँ मनाई जाती है ईद मिलाद उन नबी
आज मुस्लिमों के आखरी नबी पैगंबर मोहम्मद का जन्मदिन है। आपका जन्म 12 रबी उल अव्वल को अरब के मक्का शहर में हुआ था। मोहम्मद साहब ने ही इस्लाम के नियम और क़ानूनों के बारे में सही जानकारी दी थी। उनके आने के बाद ही धरती पर कुरान शरीफ आया था। मुस्लिम समुदाय का मानना है कि वो ख़ुदा के सबसे चहीते नबी हैं। उन्होने पढ़ाई को जीवन की सबसे अहम चीजों में से एक बताया और यहाँ तक कहा कि पढ़ने के लिए कितनी भी दूर जाना पड़े तो जाओ।
मोहम्मद साहब की माँ का नाम आमना था और उन्हे दूध पिलाने वाली दाई का नाम हलीमा था। उनके पिता का नाम अब्दुल्लाह था और जब उनकी माँ 3 महीने की गर्भवती थी तभी उनका इंतेकाल हो गया था। 6 साल की उम्र में मोहम्मद साहब की माँ भी गुज़र गयी और बाद में उन्हे उनके दादा और चाचा ने पाला।
मोहम्मद साहबने कुल 9 शादियाँ की थीं, जिनमे से उनकी 8 बीवियाँ बेवा या तलाक़शुदा थी। बीबी आएशा उनकी नवी और एकलौती बीवी थी जो कुंवारी थी।
मोहम्मद साहब के जाने के बाद उनके नवासों हसन और हुसैन ने उनका वंश आगे बढ़ाया।
कैसे मनाते हैं
आज के दिन लोग नए कपड़े पहनते हैं। घर में मीठा बनाकर और अलग-अलग तरह के पकवान बनाकर न्याज़ दिलवाते हैं। घर के बच्चे और नौजवान मेलों में जाते हैं, अलग-अलग झाकियों बनाकर जुलूस निकालते हैं। इसके अलावा रात के वक़्त खासतौर पर सारे घर को दीयों और मोमबत्तियों से सजाया जाता है। अब ज़्यादातर लोग आधुनिक लाइटों और साज सज्जा का इस्तेमाल करते हैं।
ये भी एक तथ्य
आज के दिन मोहम्मद साहब का जन्म ही नही हुआ था बल्कि इस्लामिक कैलेंडर के हिसाब आज ही के दिन उनका इंतेकाल भी हुआ था। इसलिए सुबह के वक़्त भी घर में रौशनी की जाती है और शाम के वक़्त भी घर को रौशनी से सजाया जाता है।
तो आज आप अपने मुस्लिम दोस्तों से मिलिये। उनके घर दावत खाइये और रोशनी के इस त्योहार में जीभर कर खुशियाँ मनाइए।