बूस्टर डोज है कारगर: अमरीका और ब्रिटेन में रिसर्चर्स का दावा, तीसरा डोज से मिलती है कोरोना से सुरक्षा, जानिए भारत में क्या है स्थिति? | Booster dose is effective: testimonies giving data from research | Patrika News

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बूस्टर डोज है कारगर: अमरीका और ब्रिटेन में रिसर्चर्स का दावा, तीसरा डोज से मिलती है कोरोना से सुरक्षा, जानिए भारत में क्या है स्थिति? | Booster dose is effective: testimonies giving data from research | Patrika News

बूस्टर डोज है कारगर: अमरीका और ब्रिटेन में रिसर्चर्स का दावा, तीसरा डोज से मिलती है कोरोना से सुरक्षा, जानिए भारत में क्या है स्थिति? | Booster dose is effective: testimonies giving data from research | Patrika News

ब्रिटेन के साथ अमरीकी अध्ययन से भी हुई पुष्टि अमरीका मेडिकल एसोसिएशन के जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, एमआरएनए बूस्टर टीकों के दवा निर्माता फाइजर इंक और बायोनटेक एसई, या मॉडर्न इंक द्वारा बनाए गए वैक्सीन- गंभीर कोविड वाले लोगों की दर में कटौती करने में असरदार थे। शोध में दावा किया गया है कि इनसे करीब 87% तक सुरक्षा मिलता है। विशेष रूप से, ब्रिटेन के शोधकर्ताओं ने पाया कि फाइजर वैक्सीन के तीसरे शॉट के ठीक बाद, रोगसूचक संक्रमण से सुरक्षा भी बहुत अच्छी है। शॉट के दो सप्ताह बाद, बूस्टर जोखिम को लगभग 70% तक कम कर देता है। अमरीकन जर्नल में प्रकाशित शोध के अनुसार, अन्य वैक्सीन भी कोविड से सुरक्षा देने में काफी कारगर नजर आती हैं।

संक्रमण से सीमित लेकिन बीमारी से बचाव में असरदार हालांकि, यूके के अध्ययन में ये दावा किया गया है कि वैक्सीन गंभीर बीमारी से भले ही रक्षा करती हो पर संक्रमण से ये सुरक्षा तीन महीने तक ही 50 प्रतिशत मिलती है और इसके बाद बूस्टर से रोगसूचक संक्रमण का जोखिम लगभग चार महीने बाद लगभग 40% तक कम हो जाता है।

टीके के तुरंत बाद बढ़ता है एंटीबॉडी का स्तर टोरंटो विश्वविद्यालय में इम्यूनोलॉजिस्ट जेनिफर गोमरमैन कहती हैं, “संक्रमण के खिलाफ टीके की प्रभावकारिता हमारे एंटीबॉडी के स्तर पर निर्भर करती है क्योंकि वैक्सीन वास्तव में SARS-CoV-2 के खिलाफ हमारी रक्षा की पहली पंक्ति है, इससे इंकार नहीं किया जा सकता।” किसी भी टीके के साथ, एंटीबॉडी का स्तर शॉट के ठीक बाद तेजी से बढ़ता है और फिर समय के साथ फिर से कम हो जाता है। “यह पूरी तरह से सामान्य और अपेक्षित है,” वह कहती हैं, “इसलिए संक्रमण से सुरक्षा के मामले में, हम बूस्टर के लगने के साथ जल्दी ही कुछ सुरक्षा कवच मिलता देखते हैं, लेकिन समय के साथ वह सुरक्षा कम होती है।”

ओमिक्रोन है अलग वायरस गोम्मरमैन कहते हैं “यह भी ध्यान रखें, कि ओमाइक्रोन SARS-CoV-2 के मूल वायरस से बहुत अलग है, जिसके खिलाफ हमें प्रतिरक्षित किया गया है,”। इसलिए हमारी सुरक्षा इस मामले में थोड़ा कमजोर हो सकती है कि वे एंटीबॉडी ओमिक्रोन को कितनी अच्छी तरह पहचान सकते हैं।” दूसरी ओर, वह कहती हैं, गंभीर बीमारी से सुरक्षा एंटीबॉडी पर इतनी अधिक निर्भर नहीं है। टीका प्रतिरक्षा प्रणाली के अन्य हिस्सों को ट्रिगर करता है जो संक्रमण को नियंत्रण से बाहर रखने में मदद करते हैं। “तो एंटीबॉडी के स्तर में गिरावट के साथ, आप एक संक्रमण की चपेट में आ सकते हैं, लेकिन जरूरी नहीं कि यह बीमारी की चपेट में हो।”

गंभीर कोविड से मिलती है 95% सुरक्षा दरअसल, यूके के अध्ययन में पाया गया कि बूस्टर संक्रमण की तुलना में गंभीर बीमारी से अधिक मजबूत सुरक्षा प्रदान करता है। विशेष रूप से, शोधकर्ताओं ने पाया कि फाइजर के तीसरे शॉट के बाद, अस्पताल में भर्ती होने के खिलाफ सुरक्षा 95% (शॉट के दो सप्ताह बाद) से ऊपर शुरू होती है और चार महीने के बाद भी लगभग 80% बनी रहती है। तुलनात्मक रूप से, किसी भी टीके के केवल दो शॉट्स के साथ, गंभीर बीमारी से सुरक्षा छह महीने के बाद 40% तक कम हो जाती है।

भारत में तो हेटरोलोगस बूस्टर डोज की भी अनुशंसा जहां तक भारत की बात है तो भारत में कोरोना वैक्सीन की बूस्टर डोज के लिए सिर्फ कोवैक्सीन और कॉर्बोवैक्स वैक्सीन को ही अधिकृत किया गया है। नेशनल टैक्निकल ए़़डवायजरी ग्रुप ऑन इम्यूनाइजेशन के चेयरमैन डॉ. एन के अरोड़ा का दावा है कि भारत में दोनों वैक्सीन की तीसरी डोज बेहद कारगर दिख रही है और इसके कोई साइड इफेक्ट नहीं हैं। अरोड़ा ने बताया कि भारत में हेटरोलोगस वैक्सीन भी बूस्टर डोज में देने की अनुशंशा की गई है। यानी कोविशील्ड वैक्सीन लेने वाला व्यक्ति भी बूस्टर के रूप में किसी भी वैक्सीन की डोज ले सकता है। स्वास्थ्य मंत्रालय के ऑंकड़ो के अनुसार, भारत में अब तक करीब 14 करोड़ वैक्सीन की बूस्टर डोज दी जा चुकी हैं।



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