BJP ने UP Nikay Chunav में बड़ी संख्या में पसमांदा मुसलमानों को दिया टिकट.. कितना सफल होगा लुभाने का यह दांव!

5
BJP ने UP Nikay Chunav में बड़ी संख्या में पसमांदा मुसलमानों को दिया टिकट.. कितना सफल होगा लुभाने का यह दांव!

BJP ने UP Nikay Chunav में बड़ी संख्या में पसमांदा मुसलमानों को दिया टिकट.. कितना सफल होगा लुभाने का यह दांव!

लखनऊ: लोकसभा चुनाव के पहले यूपी में हो रहे निकाय चुनाव (UP Nikay Chunav) में कई मायनों में खास बनता जा रहा है। पहली बार सभी दलों ने मुस्लिमों को भरपूर मात्रा में टिकट दिए हैं। खास तौर पर, भाजपा ने भी इस बार मुस्लिम उम्मीदवारों पर भरोसा जताया है। राजनीतिक जानकारों की मानें तो सत्तारूढ़ भाजपा लगातार नए प्रयोग करती रहती है, जिससे उसको चुनावी सफलता मिल सके। यही वजह है कि मुस्लिमों को अब तक टिकट देने से परहेज करने वाली भाजपा ने निकाय चुनाव में पहली बार बड़ी संख्या में मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं। लेकिन, उनका यह दांव कितना सफल होगा, यह तो नतीजे ही बताएंगे। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सपा के साथ कोर वोट बैंक के तौर पर पहचान रखने वाले मुस्लिम क्या बीजेपी को समर्थन करेंगे।भाजपा से मिली जानकारी के अनुसार, निकाय चुनाव में 391 मुस्लिम प्रत्याशी उतारे हैं। इनमें 5 नगर पालिका परिषद और 35 नगर पंचायतों के अध्यक्ष प्रत्याशियों के अलावा नगर निगमों के पार्षद प्रत्याशी शामिल हैं। जिसमें दो पार्षद उम्मीदवार लखनऊ, 21 मेरठ, 13 सहारनपुर और तीन बनारस में है। जानकार बताते है कि भाजपा ने इस चुनाव में ज्यादा से ज्यादा निकायों को जीतने का लक्ष्य रखा है।
UP Nikay Chunav में बसपा ने सबकी नींद उड़ा दी है… Mayawati ने मुस्लिम कार्ड के पीछे का राज बता दिया
इसी कारण उसने अपनी इस थ्योरी का इस्तेमाल किया है। उसने मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में मुसलमान उम्मीदवारों पर भरोसा जताया है। बसपा ने भी निकाय चुनाव में मुस्लिमों पर बड़ा दांव खेला है। इन्होंने पहली बार 65 फीसद उम्मीदवार सिर्फ इस समुदाय से ही उतारे हैं। बसपा ने मेयर पद के लिए 17 में 11 उम्मीदवार मुस्लिम उतारे हैं। जबकि सपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों ने 4-4 मेयर सीटों पर मुस्लिम प्रत्याशियों पर भरोसा जताया है।

राजनीतिक जानकारों की माने तो पार्टी ने जिन निकायों और वार्डों में मुस्लिम प्रत्याशी उतारे हैं, उनमें या तो वह कभी जीती नहीं या उनमें चुनाव लड़े नहीं। इन लोगों ने मुस्लिम उम्मीदवारों पर भरोसा जताकर अल्पसंख्यक समुदाय के बड़े वोट बैंक में सेंध लगाने का तानाबाना बुना है। साथ ही यह संदेश दिया है कि वह इनको अपने से दूर नहीं मानते हैं।

भाजपा के अल्पसंख्यक राज्य मंत्री दानिश आजाद अंसारी का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की विकास वाली राजनीति पर भरोसा कर मुस्लिम हमारी पार्टी से जुड़ रहा है। हमारी पार्टी ने कभी वोट बैंक की राजनीति नहीं की है। देश में अगर कोई पार्टी है जो मुस्लिम को आगे बढ़ाना चाहती है तो वह सिर्फ भाजपा है। हमारी पार्टी इस समाज का उत्थान चाहती है। निकाय चुनाव में भाजपा ने बड़ी संख्या में टिकट दिया है। यह जीतकर डबल इंजन सरकार के साथ काम करेंगे और सभी को आगे बढ़ाएंगे।
Navbharat Times -UP Nikay Chunav: भाजपा से बाहर किए जाएंगे बागी, पहले चरण की सूची तैयार, दूसरे चरण की सूची के बाद ऐक्शन
समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता डाक्टर आशुतोष वर्मा भाजपा के मुस्लिम उम्मीदवार बनाए जाने पर कहते हैं कि भाजपा इस चीज को समझ चुकी है कि इस देश में एक ऐसी आबादी है जिसको आप गाली देकर कुछ समय के लिए सत्ता तो पा सकते हैं लेकिन देश का भला नहीं कर सकते। भाजपा पर अल्पसंख्यक विरोधी होने के आरोप लगते रहे हैं। चूंकि अब भाजपा को पता चल चुका है उसकी निकाय चुनाव में जमीन खिसकने वाली है तो वह ऐसे काम कर रही है। लेकिन मुस्लिम समाज अपने अपमान को भूला नहीं है। वो जानता है उसके पक्ष में सपा संसद से लेकर सड़क तक की लड़ाई लड़ती है।

वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक रतनमणि लाल कहते हैं कि 2012 से लेकर अब तक भाजपा ने मुस्लिम समुदाय को अपने कैंपेन से दूर रखा है। लेकिन पिछले दो तीन सालों में धीरे धीरे आरएसएस और भाजपा की तरफ से इनके प्रति सॉफ्ट कॉर्नर दिख रहा है। भाजपा के अंदर यह धारणा बनी है कि अब इनको हम अलग नहीं रख सकते हैं। अब उन्हे साथ लेकर चल रहे हैं। इसकी शुरूआत पसमांदा से हुई है। इसके बाद अन्य वर्ग को भी जोड़ेंगे। इसका प्रमाण 2024 में देखने को मिलेगा। वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक और मुस्लिम सियासत के जानकार हुसैन अफसर कहते हैं कि लोकतंत्र में सभी पार्टी चाहती है कि उसे हर वर्ग का वोट मिले। इसीलिए भाजपा ने यह कदम उठाया है। भाजपा ने पसमांदा मुस्लिम को ध्यान में रखकर टिकट बांटे हैं।
Navbharat Times -Up Nikay Chunav : लखनऊ में कौन बनेगा शहर की सरकार का मुखिया, जानिए समीकरण
दरअसल निकाय चुनाव के माध्यम से वह लोकसभा के पहले टेस्ट करना चाहती है। भाजपा का कुछ फीसद वोट बढ़ेगा। इस समुदाय को खुश करने का प्रयास कर रही है। यह लोग कई जगह वोट काटेंगे। बसपा और भाजपा से मुस्लिम अभी सशंकित रहते हैं। अभी विश्वास जमाने की जरूरत है। मुस्लिम वोट बंटा रहता है। एक बड़ा वर्ग किसी के साथ चला जाता है। इतनी बड़ी तादात को कोई भी इग्नोर नहीं कर सकता। इसीलिए यह लोग सबको साथ लेकर चलने का संदेश देने का प्रयास कर रहे हैं।

राजनीति की और खबर देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – राजनीति
News