Betul : बदहाल सिस्टम की लाचार तस्वीर, स्लाइन की बॉटल हाथ में पकड़कर बमुश्किल वार्ड तक पहुंची वृद्धा

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Betul : बदहाल सिस्टम की लाचार तस्वीर, स्लाइन की बॉटल हाथ में पकड़कर बमुश्किल वार्ड तक पहुंची वृद्धा

Betul : बदहाल सिस्टम की लाचार तस्वीर, स्लाइन की बॉटल हाथ में पकड़कर बमुश्किल वार्ड तक पहुंची वृद्धा

बैतूल: जिले के बदहाल सिस्टम की कई लाचार तस्‍वीर सामने आ रही है। एक ऐसी ही तस्‍वीर जिला अस्पताल से सामने आई है जिसने सिस्टम की पोल खोल दी है। भले ही सरकार स्वास्थ्य सेवाओं पर पानी की तरह पैसा बहा रही है और मरीजों को अस्पताल पहुंचाने नि:शुल्क एंबुलेंस चलाई जा रही है। वहीं, मरीजो के अस्पताल पहुंचने पर उन्हें ले जाने व्हील चेयर, स्ट्रेचर के साथ ही वार्ड बॉय भी तैनात किए गए हैं। लेकिन इन सबका गरीब मरीजों को कितना लाभ मिलता है यह शनिवार शाम को जिला अस्पताल पहुंची एक वृद्धा की बेबसी देखकर समझ आ गया।



दरअसल, बैतूल बाजार से स्लाइन लगाकर वृद्धा को जिला अस्पताल रेफर किया गया। वृद्ध महिला को स्लाइन लगी होने के बावजूद न तो एंबुलेंस चालक ने उसे वार्ड तक पहुंचाया और ना ही जिला अस्पताल के वार्ड बॉय वृद्धा को वार्ड में ले गए। मजबूरी में एक हाथ में स्लाइन लगी होने के बावजूद वृद्धा दूसरे हाथ में बॉटल पकड़कर पैदल ही वार्ड तक पहुंची।

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बैतूल बाजार से रेफर हुई थी वृद्धा

बैतूल बाजार के सुभाष वार्ड निवासी पार्वती बाई पति गंगूजी भूषण (70) को उल्टी-दस्त की शिकायत होने पर शनिवार शाम को बैतूल बाजार से जिला अस्पताल रेफर किया गया था। वृद्धा को स्लाइन लगी हुई थी और उसके साथ बहू मंगला भूषण भी आई थी। एंबुलेंस संचालक ने वृद्धा को स्लाइन लगी होने के बावजूद व्हील चेयर या स्ट्रेचर पर ले जाने के बजाए अस्पताल के गेट के पास ही छोड़ दिया। मजबूरी में वृद्धा को एक हाथ में स्वयं ही स्लाइन की बॉटल पकड़कर जाना पड़ा।

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अस्‍पताल में नहीं थे वार्ड बॉय

वैसे तो जिला अस्पताल में मेन गेट पर ही वार्ड ब्वाय को तैयार रखा जाता है। गेट के पास ही स्ट्रेचर और व्हील चेयर रखी जाती है। लेकिन, शनिवार शाम लगभग साढ़े पांच बजे जब वृद्धा पहुंची तो गेट पर कोई भी वार्ड ब्वाय नहीं था। वृद्धा के साथ आई उसकी बहू विंडो पर एडमिट पर्ची बनवाने चली गई। इस दौरान वृद्धा लिफ्ट के सामने एक हाथ में स्लाइन की बॉटल पकड़कर बैठी रही। इस दौरान स्लाइन भी गिर रही थी। इसके बाद वृद्धा और उसकी बहू लिफ्ट से थर्ड फ्लोर पर जाकर पैदल ही वार्ड तक ले गई। इस दौरान एक वार्ड ब्वाय स्ट्रेचर लेकर दिखाई भी दिया लेकिन वृद्धा को अनदेखा कर दिया। वृद्धा धीरे-धीरे चलकर किसी तरह आइसोलेशन वार्ड पहुंची जहां उसे भर्ती किया गया।

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आरएमओ बोले- जिला अस्‍पताल में वार्ड बॉय की कमी है
मामले को लेकर जब जिला अस्‍पताल के आरएमओ डॉ. रानू वर्मा से बात की गई तो उनका कहना था कि जिला अस्पताल में वार्ड बॉय की बहुत ज्यादा कमी है। कई दिनों से वार्ड बॉय की भर्ती नहीं हुई है। जो वार्ड बॉय रिटायर हो रहे हैं या स्थानांतरित हो रहे हैं उनके स्थान पर कोई नया वार्ड बॉय नहीं आ रहा है, जिससे कमी बढ़ते जा रही है। शाम के समय तो वार्ड बॉय उपलब्ध ही नहीं रहते हैं।

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