अमरबेल एक Parasitic पौधा है , यानि की इस तरह का पौधा जो अपने विकास के लिए दूसरे दूसरे पेड़ो पर निर्भर रहता है। आपको बताना चाहेंगे की इस पेड़ कीबेल रस्सी की तरह वृक्षों पर फैली रहती है। एक ही वृक्ष पर हर साल पैदा होने के कारण इसको अमरबेल हैं। यह वृक्षों के ऊपर फैलती है, जमीन से बिना जुड़े केवल पेड़ पर ही होने के कारण इसे आकाशबेल के तौर पर भी जाना जाता है।
इसकी बेल शाल, करौदें आदि फलती-फूलते है , लेकिन अमरबेल जिस भी पेड़ पर उगती है वो धीरे-धीरे सूखकर खत्म हो जाता है। एक पत्ती रहित पीली बेल अक्सर झाड़ियों पर दिखाई देती है। मिट्टी में इस बेल की जड़े भी नहीं दिखाई देती।अमरबेल अनेक गुणों से लैस है। यह शरीर के लिए काफी लाभदायक है।अमरबेल का इस्तेमाल करने से कई बीमारियों से दूर रहा जा सकता है। यह कई रोगों से निजात दिलता है और शरीर को दुरुस्त बनाता है।
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अगर पेट की समस्य से निजात चाहिए तो अमरबेल का उपयोग करना चाहिए। अगर इसे उबालकर पीसकर पेट पर लेप करने से पेट के रोग ठीक हो जाते है। सुबह और शाम अमरबेल का सेवन करने से पेट की गैस और पेट के दर्द की समस्या ठीक होती है। अगर अमरबेल को तिल या शीशम के तेल में अच्छे से गुना -गुना का मिला ले और बालों पर इसका उपयोग करे तो बालों की जड़ें मजबूत बनती हैं।
इससे लगभग 50 ग्राम अमरबेल को कूटकर एक लीटर पानी में मिला ले । इससे बालों को धोने से बाल में चमक आती है और बाल सुनहरे होते हैं। इससे बालों का झड़ना तो रुकता ही है साथ ही रूसी भी खत्म होती है।इस अत्यंत पौधे का उपयोग काफी लाभकारी है। अमरबेल के रस में काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर सेवन करने से खूनी और बादी बवासीर की समस्या से राहत मिलती है।