बीबीसी में भी “लैंगिक भेदभाव” के ज़रिये तय होती है तनख्वाह

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हम अक्सर सुनते हैं कि कार्यस्थल पर लैंगिक भेदभाव होता है. यानि कि किसी महिला को उसके पुरुष सहयोगी की तुलना में उतने ही काम के लिए कम पैसे मिलते हैं. फिल्म इंडस्ट्री में तो ये बात अक्सर उठायी जाती है. लेकिन अगर आप सोच रहे हैं कि मनोरंजन जगत या फ़िर हस्मारे देश में ही ऐसा होता है तो आप गलत हैं. हालिया मामला चीन का है और बीबीसी जैसे बड़े संस्थान से जुदा हुआ है.

लैंगिक भेदभाव की वजह से संपादक ने दिया इस्तीफा

चीन में बीबीसी की संपादक कैरी ग्रेसी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. उनका आरोप है कि संस्थान में पुरुष और महिला कर्मचारियों के बीच वेतन असमानता है. उन्होंने इसी चीज़ के विरोध में अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. कैरी का कहना है कि ब्रिटिश प्रसारणकर्ता में वेतन संबंधी संस्कृति रहस्मयी और अवैध है. उन्होंने आरोप लगाया है कि वेतन को लेकर इस संस्थान में पारदर्शिता नही बरती जाती. किसी का महिला या पुरुष होना उसकी तनख्वाह की राशि तय करता है.

एक खुले पत्र में कैरी ने कहा कि जब से यह खुलासा हुआ है कि 1,50,000 पाउंड से अधिक कमाने वाले संस्थान में दो तिहाई दिग्गज पुरुष कर्मचारी हैं, तबसे  बीबीसी भरोसे के संकट का सामना कर रहा है. उन्होने कहा कि पिछले हफ्ते मैंने कॉर्पोरेशन के बीजिंग ब्यूरो के संपादक के रूप में अपनी भूमिका छोड़ दी है लेकिन मैं टीवी न्यूज़रूम में अपने पहले वाले पद पर लौटूंगी. उम्मीद है कि वहाँ पर मुझे समान वेतन दिया जाएगा. कैरी 30 वर्षों से अधिक समय से बीबीसी के साथ हैं और रविवार को जारी किये गए ख़त में उन्होंने बीबीसी पर रहस्यमय तथा अवैध वेतन संस्कृति का आरोप लगाया है.

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बीबीसी ने दी सफाई

कैरी के आरोपों पर बीबीसी का कहना है कि ‘‘महिलाओं के खिलाफ भेदभाव व्यवस्था का हिस्सा नहीं है.’’ बीबीसी की प्रवक्ता ने कहा, ‘‘वेतन में निष्पक्षता बेहद आवश्यक है.’ उन्होंने बताया कि उनके संस्थान में एक स्वतंत्र न्यायाधीश के नेतृत्व में वेतन की लेखा जांच हुई है जिसमें सामने आया है कि महिलाओं के साथ कोई प्रणालीगत भेदभाव नहीं है.’’

लेकिन इसी बीच कई साथी पत्रकारों ने कैरी ग्रेसी के बयान के प्रति अपना समर्थन जताया है.

2017 में हुआ था वेतन का खुलासा

पिछले वर्ष जुलाई 2017 में बीबीसी को 1,50,000 प्रति वर्ष कमाई वाले सभी कर्मचारियों के वेतन का खुलासा करने पर मजबूर किया गया था. ग्रेसी ने कहा कि मुझे यह जानकार निराशा हुई कि बीबीसी के दो अंतरराष्ट्रीय पुरुष संपादक अपनी दो महिला समकक्षों के मुकाबले कम से कम 50 फीसदी अधिक वेतन पाते हैं. वहीँ बीबीसी ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि ग्रेसी इस सूची में नहीं थी जिसका मतलब है कि उनका वेतन 1,50,000 पाउंड से कम है.