Azam Khan: भाजपा ने सहेजे मुस्लिम वोटर, आजम रोक नहीं पाए सेंधमारी… पहली बार रामपुर सीट पर खिला कमल

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Azam Khan: भाजपा ने सहेजे मुस्लिम वोटर, आजम रोक नहीं पाए सेंधमारी… पहली बार रामपुर सीट पर खिला कमल

Azam Khan: भाजपा ने सहेजे मुस्लिम वोटर, आजम रोक नहीं पाए सेंधमारी… पहली बार रामपुर सीट पर खिला कमल

आजम खान का किला कहे जाने वाले रामपुर में आखिरकार बीजेपी ने उसको गिरा ही दिया। यूपी उपुचनाव में बीजेपी ने जहां मैनपुरी लोकसभा सीट हारी और खतौली को गंवाना बीजेपी के लिए बड़ा झटका रहा है तो वहीं आजम के गढ़ को गिरा कर बीजेपी का उत्साह बढ़ा है। इसका कारण मुस्लिम वोटर है।

 

हाइलाइट्स

  • रामपुर विधानसभा उपचुनाव
  • 55% से ज्यादा मुस्लिम वोटर होने के बाद भी भाजपा ने भेद लिया रामपुर
  • भाजपा ने आजम खान को उन्हीं के भरोसेमंद लोगों से हराया
लखनऊ/रामपुर: पूर्व मंत्री आजम खान और उनके परिवार ने बीते 36 वर्षों से रामपुर विधानसभा सीट को जिनके भरोसे अपना मजबूत सियासी किला बनाया था, भाजपा ने उन्हीं मुस्लिम वोटरों में सेंधमारी कर जीत हासिल कर ली। आजम की हेट स्पीच की वजह से खाली हुई इस सीट पर भाजपा का रणनीतिक कौशल कुछ ऐसा था कि उसने अपने वोटर सहेजने के साथ विपक्ष के वोट बैंक को भेदने पर भी काम किया। यही वजह है कि 55% से ज्यादा मुस्लिम वोटर होने के बाद भी भाजपा ने रामपुर में जीत हासिल कर ली।

आजम के करीबियों का किया इस्तेमाल

भाजपा ने मतदान से पहले ही रामपुर में आजम के कई करीबियों को अपने पाले में कर उनका इस्तेमाल किया। आजम के पीआरओ रहे फसाहत अली खान, इरशाद महमूद, शाहबेज खान समेत कई भाजपा में आ गए। फसाहत ने कई मौकों पर आजम के बयानों का सटीक जवाब दिया। ये सभी आजम के चुनावी तौर-तरीकों को जानते थे। उन्हें जानकर भाजपा ने आजम के खिलाफ ही उनका इस्तेमाल किया। रामपुर की सांसद रह चुकीं जयाप्रदा को भी कभी आजम ने चुनाव लड़वाया था। बाद में आजम जयाप्रदा के विरोधी हो गए। भाजपा ने चुनाव प्रचार में उनका भी दर्द मंच से सबको सुनाया।

हर वर्ग के लिए उतारे ‘खास’ नेता

भाजपा ने इस सीट को जीतने पर काम जून में हुए लोकसभा उपचुनाव के वक्त ही शुरू कर दिया था। रामपुर लोकसभा सीट पर मिली जीत के उत्साह से लबरेज भाजपा ने पहले कास्ट मैनेजमेंट पर काम शुरू किया। चुनाव में उन्हीं आकाश सक्सेना को मैदान में उतारा गया, जो कोर्ट में आजम के खिलाफ मुकदमे लड़ते आए हैं। इसके बाद चुनाव प्रचार में हर जाति के नेता और मंत्री को अपनी जाति के बीच काम करने को कहा गया। सबसे पहले पसमांदा मुसलमानों के बीच पहुंचने के लिए रामपुर में पसमांदा सम्मेलन किया गया। इसमें डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक के साथ पसमांदा समाज से आने वाले राज्यमंत्री दानिश आजाद अंसारी ने मोर्चा संभाला। चुनाव की घोषणा होते ही पूर्व केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी, पूर्व मंत्री मोहसिन रजा, मंत्री दानिश अंसारी और अल्पसंख्यक मोर्चे के प्रदेश अध्यक्ष चौधरी बाशित अली को कैंप करने के लिए कहा गया। रामपुर में काफी संख्या में लोध हैं तो उनके लिए मंत्री धर्मपाल सिंह और संदीप सिंह लगाए गए। एससी के बीच काम करने के लिए मंत्री गुलाब देवी तो सिखों के लिए बलदेव सिंह

औलख को उतारा गया

भाजपा ने मतदान से पहले ही बूथ मैनेजमेंट शुरू कर दिया था। 117 ऐसे बूथ छांटे गए, जहां विपक्ष के लिए वोट पड़ते आए थे। उन बूथों के मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के लिए टीमें लगाई गईं और अपने लिए मुफीद 160 बूथों से वोटरों को निकालने के लिए भी टीमें काम करती रहीं। मतदान का कम प्रतिशत भी भाजपा के लिए मददगार बना। 2022 के विधानसभा चुनाव में 56.65% वोट पड़े थे तो इस बार सिर्फ 33% वोटिंग हुई। 454 में 45 बूथ ऐसे थे, जहां 100 से भी कम वोट पड़े। इनमें 44 बूथ रामपुर के पुराने इलाके के थे।

बदल गए समीकरण

  • 2022 विधानसभा चुनाव
  • आजम खान : 1,31,225
  • आकाश सक्सेना : 76,084
  • 2022 उपचुनाव
  • आकाश सक्सेना : 81,432
  • आसिम राजा : 47,296

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