कहां चूक रहे नीतीश और तेजस्वी, 2024 चुनाव से पहले बिहार में बीजेपी के लिए अच्छा संकेत

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कहां चूक रहे नीतीश और तेजस्वी, 2024 चुनाव से पहले बिहार में बीजेपी के लिए अच्छा संकेत

कहां चूक रहे नीतीश और तेजस्वी, 2024 चुनाव से पहले बिहार में बीजेपी के लिए अच्छा संकेत

बिहार की कुढ़नी विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में जेडीयू की हार के बाद नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव की जोड़ी पर सवाल उठने लगे हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का बीजेपी का साथ छोड़ने के बाद राज्य में अब तक तीन सीटों पर हुए चुनावों में महागठबंधन को सिर्फ एक पर जीत मिली। ऐसे में जेडीयू और आरजेडी के खेमे में टेंशन बढ़ गई है। वहीं, दूसरी ओर कुढ़नी में जीत के बाद बीजेपी का आत्मविश्वास बढ़ गया है। प्रदेश नेताओं से लेकर पीएम नरेंद्र मोदी और जेपी नड्डा तक, इसे 2024 के लोकसभा और 2025 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जीत का संकेत मान रहे हैं।

बीजेपी नेताओं का कहना है कि महागठबंधन में सात पार्टियां शामिल हैं। बिहार में बीजेपी के अलावा सभी प्रमुख सियासी दल इसमें हैं। बीजेपी अकेले इनसे लड़ रही है। ऐसे में कुढ़नी की जीत यह सुनिश्चित करती है कि आने वाले चुनावों में पार्टी मजबूती से जीतेगी। दूसरी ओर, महागठबंधन के नेता कुढ़नी में मिली हार से चकित हैं। उन्हें समझ नहीं आ रहा कि आखिर नीतीश कुमार, तेजस्वी यादव समेत गठबंधन के सभी नेताओं के चुनाव में ताकत झोंकने के बावजूद बीजेपी कैसे जीत गई। 

कुढ़नी की हार पर महागठबंधन के नेता एकराय नहीं

महागठबंधन के नेताओं ने कुढ़नी में मिली हार की अलग-अलग वजहें बताई। जेडीयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि कुढ़नी में पार्टी की हार से बहुत कुछ सीखने की जरूरत है। जनता हमारे हिसाब से नहीं चलती, बल्कि हमें जनता के हिसाब से चलना पड़ेगा। राज्य के वित्त मंत्री विजय चौधरी ने कहा कि कुढ़नी का रिजल्ट अप्रत्याशित है। ऐसा लगता है कि स्थानीय मुद्दे इस चुनाव में ज्यादा हावी रहे। इसकी समीक्षा की जाएगी। वहीं आरजेडी प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह का कहना है कि कुढ़नी में कई बूथों पर गरीब लोग खुलकर वोट नहीं कर पाए। इसलिए महागठबंधन चुनाव हार गया। कांग्रेस नेता अजीत शर्मा ने तो यह कह दिया कि बीजेपी ने ताड़ी को शराबबंदी से बाहर करवाने के लिए पासी समाज को भड़काया, इसलिए महागठबंधन हार गया। 

कहां चूक रहे नीतीश और तेजस्वी

कुढ़नी ही नहीं पिछले महीने गोपालगंज और मोकामा विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव पर नजर डालें तो महागठबंधन को कुछ खास हासिल नहीं हुआ। गोपालगंज सीट पर आरजेडी को हार का सामना करना पड़ा। वहीं, मोकामा में आरजेडी जीत तो गई, लेकिन वोटों का मार्जिन पहले के मुकाबले कम रहा। मोकामा को आरजेडी का गढ़ माना जाता है। यहां बाहुबली अनंत सिंह पहले 30-35 हजार के अंतर से जीतते थे, लेकिन इस बार के उपचुनाव में उनकी पत्नी नीलम देवी 17 हजार वोटों से ही जीतीं। यानी कि बीजेपी की हार का अंतर आधा रह गया। इसे भी बीजेपी नेता बड़ा संकेत मान रहे हैं। अब कुढ़नी में जेडीयू की हार से राज्य सरकार की रणनीति पर सवाल उठ रहे हैं।

नीतीश कुमार के महागठबंधन के साथ जाने के बाद से बिहार में जंगलराज की वापसी के आरोप लगाए जा रहे हैं। कानून व्यवस्था से लेकर शराबबंदी तक कई सवाल उठ रहे हैं। सरकार ने 10 लाख नौकरी का वादा किया है, लेकिन सीटेट और बीटेट अभ्यर्थियों को अभी तक सातवें चरण की शिक्षक भर्ती का इंतजार है। इस कारण वे लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। अगस्त 2022 में महागठबंधन सरकार बनने के बाद से अबतक दो मंत्री नीतीश कैबिनेट छोड़ चुके हैं। विपक्षी दल के तौर पर बीजेपी इन मुद्दों को अच्छे तरीके से भूना रही है।  

2024 चुनाव से पहले बीजेपी के लिए अच्छा संकेत

कुढ़नी उपचुनाव में जीत से बीजेपी खेमा काफी खुश है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को बीजेपी मुख्यालय में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि बिहार उपचुनाव में जीत आने वाले चुनाव में बदलाव का संकेत है। पार्टी अध्य्क्ष जेपी नड्डा ने भी कहा कि कुढ़नी की जीत 2024 और 2025 के चुनाव में बीजेपी की जीत को इंगित करती है।

बिहार में बदल रहा वोटबैंक का ट्रेंड, बड़ी पार्टियों को हो रहा नुकसान

बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष संजय जायसवाल ने कहा कि पार्टी कार्यकर्ताओं ने जितनी मेहनत की उसी का नतीजा है कि कुढ़नी में 7 पार्टियों को हराकर बीजेपी ने जीत हासिल की है। बिहार की जनता पीएम मोदी के साथ खड़ी है। केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस ने कहा कि बिहार में दलित और पासवान एनडीए के साथ हैं। कुढ़नी में बीजेपी की जीत से यह तय हो गया है। पूर्व सांसद आरके सिन्हा ने कहा कि कुढ़नी में बीजेपी की जीत शुभ संकेत है। जेडीयू की हार से स्पष्ट है कि नीतीश की पार्टी राजनीतिक अवसान की तरफ जा चुकी है।     

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