बहुविवाह, निकाह-हलाला पर बैन के खिलाफ AIMPLB पहुंचा SC

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ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड AIMPLB ने बहुविवाह और निकाह-हलाला पर बैन की मांग का विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है और जनहित याचिका के खिलाफ अपना विरोध व्यक्त किया है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की ओर से दाखिल अपनी याचिका में यह भी कहा गया कि धार्मिक प्रथा को चुनौती देने वाली जनहित याचिका उस व्यक्ति द्वारा दायर नहीं की जा सकती, जो उस धार्मिक संप्रदाय का हिस्सा नहीं है. मुस्लिम हितों की रक्षा के लिए ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड समेत कई मुस्लिम संगठन मौजूद हैं।

आपको बता दे की निकाह हलाला एक प्रथा है , जिसके मुताबिक अगर शोहर और बीवी का तलाक होगया है तो और दोनों फिर से एक साथ होना चाहते है या एक दूसरे के साथ फिर से निकाह करना है तो महिला पहले किसी और शख्स से निकाह करना होगा।

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इससे पहले पिछले साल जून में दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने तीन तलाक बिल में निकाह हलाला और बहुविवाह पर रोक लगाने के लिए पिछले साल जून में प्रावधान की मांग की थी. साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस सन्दर्भ में खत लिखा था और उस खत में यह उल्लेख किया था कि निकाह हलाला और बहुविवाह बेहद ही शर्मनाक और अमानवीय सामाजिक कुरीतियां हैं, एक सभ्य समाज में जहां महिला और पुरुष को हर पहलू में समान दर्जा हो, वहां इस प्रकार की कुरीतियों की कोई जगह नहीं है।

मुस्लिम समुदाय में प्रचलित बहुविवाह प्रथा और हलाला के विरोध में सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने 2 दिसंबर को जल्द सुनवाई से सरासर इनकार कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट की ओर से ये मामला संविधान पीठ को भेज दिया गया है। चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अगुआई वाली बेंच ने कहा कि हम सर्दियों की छुट्टियों के बाद मामले को देखेंगे।

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हलाला और बहुविवाह मामले में बीजेपी नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने कोर्ट से जल्द सुनवाई की मांग की थी। उन्होंने साथ ही हलाला और बहुविवाह को रेप जैसा अपराध घोषित करने की मांग की गई है, जबकि बहुविवाह को संगीन अपराध घोषित करने की मांग की गई है। देखना यह होगा की सुप्रीम कोर्ट का इस सन्दर्भ में क्या फैसला आता है और मुस्लिम वर्ग का क्या नया रुख सामने आता है ?