एक मदरसा जहां सिर्फ उर्दू अरबी नहीं पढ़ाई जाती

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वक्त के साथ-साथ अब मदरसों में भी बदलाव देखा जा रहा है. गोरखपुर में दारुल उलूम हुसैनिया मदरसे के चर्चे इस समय दूर-दूर तक हैं. अल्पसंख्यक समुदाय से आने वाले बच्चों के लिए यह मदरसा उनके लिए आधुनिक शिक्षा का केंद्र बन गया है.

दारुल उलूम हुसैनिया मदरसे में विज्ञान, गणित, अंग्रेजी, अरबी के अलावा हिंदी और संस्कृत भी पढ़ाई जा रही है. अब तक शायद यह बात पहले कभी नहीं सुनी गई होगी किसी मदरसे में संस्कृत भी पढ़ाई जा रही है. यह मदरसा यूपी शिक्षा बोर्ड के अंतर्गत आता है. खास बात यह है कि संस्कृत पढ़ाने के लिए मुस्लिम शिक्षक ही नियुक्त किया गया है. आपको बता दें की उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस समय मदरसों को आधुनिक करने के लिए कई कदम उठा रहे हैं.

Madarsa 2 -

वेब पोर्टल पर पंजीकरण अनिवार्य किये जाने के बाद 2 हज़ार से ज़्यादा मदरसे फर्ज़ी पाए गए थे. इन पर सालाना 100 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च किये जाते थे. राज्य सरकार इन फर्जी मदरसों के मामले में जांच कर रही है. सभी मदरसों के प्रबन्धन से उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड के वेब पोर्टल पर अपने बारे में पूरी जानकारी अपलोड करने को कहा गया था. मगर ऐसा करने के लिये अंतिम तारीख कई बार बढ़ाये जाने के बावजूद मदरसों द्वारा संचालित 140 मिनी आईटीआई में से 20 ने अपनी जानकारी नहीं दी. इसके अलावा करीब 2300 मदरसों ने भी पोर्टल पर अपना पंजीयन नहीं कराया. इन सभी पर अब तक हर साल करीब 100 करोड़ रुपये खर्च किये जाते थे.