अमित शाह की रणनीति से पूरा विपक्ष हुआ ढेर, जानिए कैसे खेला दांव

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नई दिल्ली: मोदी सरकार पहली बार सदन में विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव का सामना करेगी. बीते दिन यानी मंगलवार को मॉनसून सत्र का आगाज हुआ है, पहले ही दिन एनडीए की पूर्व सहयोगी टीडीपी समेत कांग्रेस और अन्य पार्टियों ने मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया और स्पीकर सुमित्रा महाजन ने इस प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए करीब दस दिन के भीतर इस पर बहस कराने की गुजारिश की तो बीजेपी के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह ने नई रणनीति के तहत उसे दो दिन के बाद यानी 20 जुलाई को ही कराने का फैसला कराया है. अमित शाह विपक्ष को लामबंद होने का ज्यादा मौका नहीं दे सकें.

कांग्रेस की शनिवार को एक बड़ी रैली कोलकाता में आयोजित होगी

इस रणनीति के तहत बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह इस सियासी गेम को अपने हित में करना चाहते है. क्योंकि उनको पहले से ही पता था कि तीसरी सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस की शनिवार (21 जुलाई) को कोलकाता में एक बड़ी रैली आयोजित होने जा रही है, जिसमें ममता बनर्जी समेत टीएमसी के सभी सांसद व्यस्त होंगे. इनमें से कुछ अविश्वास प्रस्ताव में शामिल भी हो सकते है कुछ नहीं भी. ऐसे में विपक्षी दलों का खेल भी बिगड़ सकता है. लेकिन शाह की रणनीति को समझते हुए ममता बनर्जी ने अब अपने सभी 34 सांसदों को शुक्रवार (20 जुलाई) तक दिल्ली में ही रहने को कह दिया है और शनिवार को रैली में शामिल होने का निर्देश दिया है.

मोदी सरकार को लोकसभा में बहुमत के आंकड़ों के प्रति आश्वस्त

हालांकि, भाजपा और मोदी सरकार को लोकसभा में बहुमत के आंकड़ों के प्रति आश्वस्त है और वे हर स्थिति में अविश्वास प्रस्ताव जीतने पर भरोसा रखते हैं लेकिन बीजेपी चाहती है कि अविश्वास प्रस्ताव पर बहस कराकर न सिर्फ संसद तक मोदी सरकार के चार साल की उपलब्धियों को लोगों तक पहुंचाया जाए बल्कि सियासी रणनीति के द्वारा लामबंद विपक्षी पार्टी के सामने जीत कर जनता तक यह संदेश जाए कि मोदी सरकार के सामने सभी कम है.

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अविश्वास प्रस्ताव में होने वाली चर्चा को आगामी चुनाव के आगाज के तौर में पेश करने की तैयारी में बीजेपी

बता दें कि भारतीय जनता पार्टी लोकसभा में विपक्षी पार्टी द्वारा अविश्वास प्रस्ताव में होने वाली चर्चा में पीएम मोदी के भाषण को आगामी चुनाव के आगाज के तौर में पेश करने की तैयारी में है. वहीं बीजेपी सूत्र से यह भी पता लगा है कि अगर विपक्ष एक बार मॉनसून सत्र में मुंह की खाएगा तो वह बचे सत्र में रोड़े पैदा नहीं करेगा. ऐसे में मोदी सरकार अपनी महत्वाकांक्षी विधेयकों को संसद में पास कराने की तमाम कोशिश करेगी, मगर कांग्रेस भी विपक्षी एकता को मजबूत कर इस गेम का नफा-नुकसान उठाने को बेकरार है.

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