24 साल पहले लालू यादव ने सीधे मंत्री बना दिया था, अब तेजस्वी की खाट खड़ी करेंगे सम्राट चौधरी

8
24 साल पहले लालू यादव ने सीधे मंत्री बना दिया था, अब तेजस्वी की खाट खड़ी करेंगे सम्राट चौधरी

24 साल पहले लालू यादव ने सीधे मंत्री बना दिया था, अब तेजस्वी की खाट खड़ी करेंगे सम्राट चौधरी


ऐप पर पढ़ें

बिहार विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष सम्राट चौधरी बिहार भाजपा के नए अध्यक्ष बनाए गए हैं। उन्होंने निवर्तमान प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल की जगह ली है।  सम्राट चौधरी आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव की पाठशाला में राजनीतिक शिक्षा हासिल कर चुके हैं। उन्होंने आरजेडी से ही अपनी राजनीति की शुरुआत की थी। सम्राट चौधरी पहली बार वर्ष 1999 में राजद सरकार में मंत्री बने थे। उनके पिता शकुनी चौधरी भी राजद सरकार में मंत्री रहे थे।

राजनीतिक जानकार बताते हैं कि शकुनी चौधरी के कहने पर ही लालू यादव ने सम्राट चौधरी को 1999 में पहली बार मंत्री बनाया था। सम्राट चौधरी ने मंत्री बनने की इच्छा खुद अपने पिता के समक्ष जाहिर की थी। बता दें कि उस समय शकुनी चौधरी लालू के बेहद खास माने जाते थे। उस समय भाजपा ने सम्राट चौधरी की उम्र को लेकर विवाद खड़ा कर दिया था। सम्राट चौधरी की उम्र मंत्री बनने के लिए कम थी। विवाद खड़ा होने के बाद सम्राट चौधरी को इस्तीफा देना पड़ा था। 

राम के साथ है लव-कुश समाज, लालू-नीतीश का युग खत्म; प्रदेश BJP अध्यक्ष बनते ही सम्राट चौधरी की हुंकार

सम्राट चौधरी राज्य में कृषि, नगर विकास एवं आवास तथा पंचायती राज मंत्री रह चुके हैं। मुंगेर जिले के तारापुर प्रखंड के लखनपुर गांव निवासी सम्राट चौधरी (54 वर्ष) खगड़िया जिले के परबत्ता से विधायक रहे हैं। एक जुलाई, 2020 से वह विधान परिषद के सदस्य हैं। अगस्त, 2022 में वह विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष बनाये गये। इसके पहले वह एनडीए सरकार में पंचायती राज मंत्री थे। 

जदयू के कोर वोट कुशवाहा में सेंधमारी की तैयारी 

भाजपा आलाकमान ने सम्राट चौधरी को बिहार भाजपा की कमान सौंपी है। मात्र आठ साल पहले भाजपा में आए सम्राट चौधरी कुशवाहा समाज से आते हैं। कुशवाहा समाज जदयू के आधार वोट में शुमार है। भाजपा के सम्राट को अध्यक्ष का दायित्व देने के पीछे जदयू के मजबूत जनाधार वाले इस समाज पर उसका अपना लक्ष्य साधना मकसद माना जा रहा है।  गौरतलब है कि अगला लोकसभा और विधानसभा चुनाव भाजपा बिहार में सम्राट चौधरी के नेतृत्व में लड़ेगी। ऐसे में सम्राट चौधरी को सूबे में पार्टी की बागडोर सौंपकर भाजपा ने बड़ा दांव खेला है। वैसे जदयू ने दो साल पहले इसी समाज के उमेश सिंह कुशवाहा को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी। वह अब भी बने हुए हैं।

सवर्णों को BJP का समर्थक, अति पिछड़ों पर JDU का दबदबा

बिहार में सवर्णों को भाजपा का समर्थक जबकि, अति पिछड़ों पर जदयू का दबदबा माना जाता है। पिछड़े समुदाय में अलग-अलग जातियां भिन्न-भिन्न दलों की समर्थक मानी जाती हैं। नित्यानंद राय और संजय जायसवाल के बाद सम्राट चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष की कमान देकर भाजपा ने यह भी संदेश देने की कोशिश की है कि पिछड़ा समाज उसकी प्राथमिकता में है। यूपी की तर्ज पर गैर ‘माई’ वोटरों को अपने पाले में लाने के लिए भाजपा का यह दांव कितना प्रभावी होगा यह तो आने वाला समय ही बताएगा। मालूम हो कि मंगल पांडेय के बाद सूबे में पार्टी की जिम्मेदारी संभालने वाले सम्राट पिछड़े समुदाय के तीसरे नेता हैं। वहीं, नित्यानंद राय और डॉ. संजय जायसवाल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पृष्ठभूमि से आते हैं लेकिन सम्राट चौधरी की पृष्ठभूमि संघ की नहीं है। बिहार की वर्तमान राजनीति चुनौतियों और सामाजिक समीकरण साधने के लिहाज से भाजपा ने सम्राट चौधरी को एक विकल्प के तौर पर पेश किया है। 

बिहार की और खबर देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – Delhi News