1969 में स्थापित जगन्नाथ सिंह महाविद्यालय में आज तक नहीं बनी चहारदीवारी

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1969 में स्थापित जगन्नाथ सिंह महाविद्यालय में आज तक नहीं बनी चहारदीवारी

1969 में स्थापित जगन्नाथ सिंह महाविद्यालय में आज तक नहीं बनी चहारदीवारी

सीतामढ़ी। बेलसंड अनुमंडल मुख्यालय स्थित जिले के पांच अंगीभूत महाविद्यालय में एक जगन्नाथ सिंह महाविद्यालय की स्थिति बदहाल है। महाविद्यालय में चहारदीवारी का नहीं होना, शिक्षकों व कमरों की कमी होना यहां के छात्रों के लिए समस्या है और उनका कहना है कि इस चुनाव में वो इन बातों को ध्यान में रखकर मतदान करेंगे। संसाधनों की कमी से क्षेत्र के छात्र-छात्राओं को पढ़ाई में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। वर्ष 1969 में स्थापित महाविद्यालय का आज तक बाउंड्री का निर्माण नहीं हो सका है। जबकि इसके लिए महाविद्यालय प्रशासन से लेकर आम जनता वियवविद्यालय प्रशासन व जनप्रतिनिधियों से डिमांड करते आ रही है।
सीएम नीतीश से लेकर पूर्व सीएम लालू यादव को दिया जा चुका आवेदन:

बाउंड्री नहीं रहने से जानवर परिसर में घुस जाते है। महाविद्यालय परिसर होकर वाहनों का आवागमन जारी रहता है। फलत: पढ़ाई करने के दौरान विद्यार्थियों को परेशानी होती है। शिक्षकों को भी पढ़ाने में कठिनाई होती है। ग्रामीण सीयाराम सिंह, हरि भगत, रामदयाल ठाकुर आदि ने बताया कि महाविद्यालय की चहारदीवारी निर्माण के लिए विश्वविद्यालय व शिक्षा विभाग के अधिकारियों से लेकर जनप्रतिनिधियों से कई बार गुहार लगायी गयी है। महाविद्यालय के परिसर में आयोजित कार्यक्रम में सीएम नीतीश कुमार व पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव से चहारदीवारी निर्माण, वर्ग कक्षा निर्माण व शिक्षकों की कमी को लेकर आवेदन दिया गया था। अबतक इस दिशा में कोई पहल नहीं की गई है। चहारदीवारी नहीं रहने से कॉलेज सुरक्षित नहीं है। पढ़ाई का माहौल बना पाना शिक्षकों के लिए चुनौती बना हुआ है।

महाविद्यालय में है मात्र 11 कमरे :

महाविद्यालय में वर्ग कक्ष की कमी है। कॉलेज के एक कमरे में कार्यालय, दूसरे कमरे में पुस्तकालय, तीसरे व चौथे कमरे में प्रयोगशाला, पांचवें में आईसीटी लैब चल रहा है। वहीं, दो छतदार कमरे व चार एसवेस्टस वाले कमरे में इंटर से लेकर स्नातक की कक्षाएं चल रही है। जिसमें तीन हजार से अधिक छात्र-छात्राएं पढ़ाई कर रहे है।

प्राचार्य सहित पांच शिक्षक :

महाविद्यालय में शिक्षकों की भी कमी है। चार विषय में एक-एक शिक्षक है। जबकि महाविद्यालय में स्नातक प्रतिष्ठा की पढ़ाई होती है। वर्त्तमान में रसायण विज्ञान, जन्तु विज्ञान, राजनीति विज्ञान व हिंदी विषय में एक-एक शिक्षक है। जबकि भौतिकी विज्ञान, वनस्पति विज्ञान, गणित, इतिहास, मनोविज्ञान, अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र, अंग्रेजी सहित कई विषयों में शिक्षक नहीं है।

क्या कहते है प्राचार्य :

महाविद्यालय में सीमित संसाधनों के बीच पठन-पाठन सुचारू रूप से जारी है। कई प्रमुख विषयों में शिक्षक की कमी है। शिक्षकों की कमी, चहारदीवारी निर्माण आदि को लेकर विश्वविद्यालय को सूचना दी गई है।

– डॉ. दशरथ प्रजापति, प्राचार्य जगन्नाथ सिंह महाविद्यालय

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