128 केस, 40 में फैसला, सजा सिर्फ 2 में… आखिर दिल्ली में मकोका एक्ट का अपराधियों में कैसे हो खौफ

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128 केस, 40 में फैसला, सजा सिर्फ 2 में… आखिर दिल्ली में मकोका एक्ट का अपराधियों में कैसे हो खौफ

128 केस, 40 में फैसला, सजा सिर्फ 2 में… आखिर दिल्ली में मकोका एक्ट का अपराधियों में कैसे हो खौफ

दिल्ली में गैंगवॉर पर लगाम लगाने के लिए मकोका एक्ट का इस्तेमाल किया गया। लेकिन इससे अपराधियों को कोई खास सजा नहीं मिल पाई। अब तक दिल्ली पुलिस 128 मकोका केस दर्ज कर चुकी है, जिसमें से केवल 2 केस में ही सजा मिली।

 

नई दिल्ली : गैंगवॉर पर नकेल कसने के लिए मकोका (महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ ऑर्गेनाइज्ड क्राइम 1999) का इस्तेमाल किया गया। गैंगस्टर और उनके गुर्गे जेलों में जरूर रहे, लेकिन उन्हें सजा नहीं मिल सकी। दिल्ली पुलिस 128 मकोका के केस दर्ज कर चुकी है, जिनमें से 40 में फैसला आ चुका है और सिर्फ 2 को कोर्ट में साबित कर सकी है। कुछ में तो पुलिस को चार्ज के स्टेज पर ही मुंह की खानी पड़ी और आरोपियों पर केस तक नहीं चला।

मकोका से गैंगवॉर पर कुछ हद तक लगा अंकुश
दरअसल दिल्ली में जबरन वसूली, फिरौती और जमीनों पर कब्जे को लेकर गैंग बनने लगे थे और गैंगवॉर होने लगी। सूत्र बताते हैं कि मौत के इस खेल को रोकने के लिए गैंगों पर मकोका लगाया गया, जो दिल्ली में 2 जनवरी 2002 को लागू हुआ था। पहला केस मई 2002 में दर्ज हुआ। सबसे ज्यादा केस 10 साल में हुए। इसकी जद में आए कुछ गैंगस्टर फरारी काटने लगे तो कई जेल भेजे गए। इससे गैंगवॉर पर कुछ हद तक अंकुश भी लगा।
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128 में से 96 केस में चार्जशीट दाखिल
कई शातिर गैंगस्टर फोन के जरिए जेल से ही गैंग ऑपरेट कर संगीन वारदात को अंजाम दिलाने लगे। अदालतों और जेलों तक में मर्डर करा दिए। इसलिए कई गैंगस्टर को काबू करने के लिए हाई रिस्क जेल या एकांतवास में तक में रखवाया गया। पुलिस अफसरों ने बताया कि 128 में से 96 केस में चार्जशीट दाखिल हो चुकी है, जिनमें 56 का कोर्ट में ट्रायल चल रहा है। फिलहाल 32 केसों की जांच चल रही है, जिनकी चार्जशीट पेश होनी है।
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एक-एक कर बाहर आएंगे गैंगस्टर!
नीरज बवानिया 23 अगस्त 2023 को मकोका से बरी हुआ तो उसी के सिंडिकेट का हिस्सा रवि गंगवाल उर्फ नरेंद्र को साकेत कोर्ट ने 29 अगस्त को चार्ज के समय ही आरोपमुक्त कर दिया। एक हफ्ते में दो गैंगस्टर मकोका से ‘बेदाग’ निकल आए हैं। इसी सिंडिकेट का हिस्सा छेनू पहलवान नवंबर 2022 में बरी हुआ था। इसे एनआईए 6 जून को यूएपीए के तहत उठाकर ले गई। सूत्रों का कहना है कि नीरज का भाई पंकज सहरावत जेल से आ चुका है। धीरे-धीरे सभी गैंगस्टर या उनके गुर्गे मकोका से बाहर आते रहेंगे, जिन्हें संभालना चुनौती होगी।

शंकर सिंह के बारे में

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