हाइटेक टाउनशिप में 600 करोड़ रुपये का घोटाला… इस रिपोर्ट में हुआ खुलासा, विजिलेंस जांच शुरू

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हाइटेक टाउनशिप में 600 करोड़ रुपये का घोटाला… इस रिपोर्ट में हुआ खुलासा, विजिलेंस जांच शुरू

हाइटेक टाउनशिप में 600 करोड़ रुपये का घोटाला… इस रिपोर्ट में हुआ खुलासा, विजिलेंस जांच शुरू

गाजियाबाद: उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद से हाइटेक टाउनशिप मामले में करीब 600 करोड़ रुपये का घोटाला सामने आया है। हाइटेक टाउनशिप में बड़ी गड़बड़ी की लगातार मिलती शिकायतों और कैग की आपत्ति को शासन ने गंभीरता से लिया है। शासन की तरफ से इस मामले की विजिलेंस जांच शुरू कराई गई है। विजिलेंस ने 39 सवालों की सूची बनाकर जीडीए से जवाब पूछा है। साथ ही यह भी कहा है कि इस सवाल के जबाव के साथ ही संबंधित कागजात भी भेजा जाए। फिलहाल जीडीए ने इस प्रकरण में विजिलेंस टीम के साथ को-ऑर्डिनेशन के लिए तहसीलदार दुर्गेश कुमार को नोडल ऑफिसर नियुक्त किया है।

दरअसल, हाइटेक टाउनशिप के तहत जिले में वेव सिटी और सनसिटी को विकसित किया जा रहा है। कैग ने 2017 के आसपास जब जीडीए की ऑडिट किया था तो हाइटेक टाउनशिप में बिना कन्वर्जन चार्ज लिए हुए ही लैंडयूज को आवासीय करने पर आपत्ति जाहिर की थी। उनका आरोप था कि इससे जीडीए को करीब 600 करोड़ का नुकसान हुआ था। कैग की आपत्ति का मामला शासन तक पहुंचा तो अब विजिलेंस जांच शुरू हुई है।

क्या है पूरा मामला?
मई 2005 में प्रदेश सरकार ने गाजियाबाद में हाइटेक टाउनशिप के विकास के लिए दो विकासकर्ताओं का चयन किया। तब मास्टरप्लान-2001 लागू था। जिसके अनुसार हाइटेक टाउनशिप के लिए नामित क्षेत्र का भू-उपयोग कृषि था। जुलाई 2005 में सरकार ने मास्टरप्लान-2021 को मंजूरी दी। इसके तहत हाइटेक टाउनशिप के लिए चिह्नित भूमि का उपयोग सांकेतिक था, इसलिए विकासकर्ताओं को भू-उपयोग परिवर्तन शुल्क देना था। वर्ष 2006 और 2007 में बनाई गई नीतियों में भी विकासकर्ताओं से भू-उपयोग परिवर्तन शुल्क लिए जाने की बात शामिल थी।

इसके बाद मास्टरप्लान-2021 के संबंध में 23 अप्रैल 2010 को एक शासनादेश हुआ कि उत्तर प्रदेश शहरी नियोजन एवं विकास अधिनियम 1973 के तहत हाइटेक टाउनशिप के लिए भू-उपयोग सांकेतिक दिखाने का कोई प्रावधान नहीं है। चूंकि गाजियाबाद मास्टरप्लान-2021 में जैसा भू-उपयोग दिखाया गया था, उस प्रकार की भूमि का उपयोग आवासीय माना जाएगा। इसलिए, इस क्षेत्र पर भू-उपयोग परिवर्तन शुल्क देय नहीं होगा।

मई 2017 में ऑडिट के दौरान पाया गया कि आवास एवं शहरी नियोजन विभाग ने विकासकर्ताओं के अनुरोध पर मास्टरप्लान में सांकेतिक भू-उपयोग को आवासीय में परिवर्तित कर उन्हें शुल्क से राहत दे दी। इस तरह डिवेलपर्स को अनुचित लाभ दिया गया और प्राधिकरण को 572.48 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। इस दौरान प्रदेश में सपा और बसपा सरकारें रही है।

जीडीए का है यह तर्क
जीडीए के अधिकारियों का तर्क है कि जब हाइटेक टाउनशिप योजना आई थी तो शासन से एक आदेश आया था कि हइटेक टाउनशिप के तहत मास्टरप्लान के कोई भी भू उपयोग को आवासीय मान लिया जाए। जिसकी वजह से भू उपयोग परिवर्तन का चार्ज नहीं लिया गया। लेकिन जानकारों का कहना है कि हाइटेक टाउनशिप में आवासीय के साथ ही कमर्शल एक्टिविटी भी हो रही है, जबकि शासनादेश में इसका जिक्र नहीं था।

दिव्य ज्योति की शमन शुल्क का भी मामला
हाइटेक टाउनशिप के साथ ही प्रवर्तन जोन-2 के मुरादनगर एरिया में आने वाले दिव्य ज्योति संस्थान में शमन शुल्क को जमा करवाने में हुई गड़बड़ी की जांच भी विजिलेंस ने शुरू कर दी है। इसमें नियमों के खिलाफ जाकर शमन शुल्क जमा करवाने का आरोप है। इस पूरे मामले में विजिलेंस जांच के बाद बड़ा खुलासा होने की बात कही गई है।

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