शरद यादव ने 7 दिन तक जबलपुर करा दिया था बन्द | Sharad Yadav had closed Jabalpur for 7 days | Patrika News
जबलपुरPublished: Jan 14, 2023 12:12:19 pm
समाजवादी नेता शरद यादव का उदय जबलपुर की छात्र राजनीति से हुआ और वे देश की राजनीति में बदलाव की लहर के पहले नायक बने। देश की तत्कालीन राजनीति में उन्हें युवा तुर्क कहा जाता था। जबलपुर की छात्र राजनीति में उनका वो दबदबा था कि उन्होंने छात्र आंदोलन के चलते 7 दिनों तक जबलपुर बन्द करा दिया था।
sharad yadav
बिना पूंजी के लड़ गए थे चुनाव
साथियों ने साझा किए संस्मरण
जबलपुर।
समाजवादी नेता शरद यादव का उदय जबलपुर की छात्र राजनीति से हुआ और वे देश की राजनीति में बदलाव की लहर के पहले नायक बने। देश की तत्कालीन राजनीति में उन्हें युवा तुर्क कहा जाता था। जबलपुर की छात्र राजनीति में उनका वो दबदबा था कि उन्होंने छात्र आंदोलन के चलते 7 दिनों तक जबलपुर बन्द करा दिया था। जब उन्हें जनता उम्मीदवार के रूप में चुना गया, तो चुनाव लड़ने के लिए उनके पास पैसे तक नही थे। छात्र जीवन मे उनके साथी रहे पूर्व सांसद रामेश्वर नीखरा व साइंस कॉलेज के पूर्व प्रोफेसर एचबी पालन ने स्व यादव से जुड़े ये संस्मरण पत्रिका से साझा किए।
छात्र संघर्ष समिति का अध्यक्ष बना दिया था-
पूर्व सांसद नीखरा अपनी स्मृतियों को कुरेदते हुए बताते हैं कि 1969 में वे रानी दुर्गावती विवि छात्रसंघ के अध्यक्ष थे। उस समय एक छात्र आंदोलन के दौरान उनके समेत छात्रों पर लाठीचार्ज हुआ। इसमे वे घायल हो गए और सिर में 38 टांके आए। अस्पताल में भर्ती रहने के कारण उन्होंने सक्रिय छात्र नेता रहे शरद यादव को संघर्ष समिति का अध्यक्ष बना दिया। तब शरद यादव ने ऐतिहासिक आंदोलन कर 7 दिनों तक जबलपुर बन्द करा दिया था। नीखरा ने बताया कि उनके बाद शरद यादव ही विवि छात्रसंघ के अध्यक्ष बने थे।
पहले थे कांग्रेसी-
एक अन्य वाकया याद करते हुए नीखरा ने बताया कि 1972 तक शरद यादव कॉंग्रेस के साथ थे। वे नीखरा के साथ 1972 में कटनी में हुए उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी रहे लखन सिंह सोलंकी के लिए चुनाव प्रचार करने भी गए थे। बाद में वे जेपी के आंदोलन से प्रभावित हो गए। नीखरा ने बताया कि शरद यादव के पिता भी होशंगाबाद जिला कॉंग्रेस के अध्यक्ष रहे थे।
टेम्पो में खड़े होकर भाषण-
प्रो एचबी पालन ने बताया कि जब 1974 में शरद यादव को विपक्ष ने संयुक्त जनता उम्मीदवार बनाया, तब उनके पास चुनाव लड़ने के लिए पैसे नही थे। ऐसे में उनके दोस्त गेट नम्बर 4 के समीप निवासी स्व रामकृष्ण रावत आगे आए। उन्होंने मित्रमंडली के साथ मिलकर चुनाव के लिए धन की व्यवस्था की। पालन बताते हैं कि शरद यादव उस समय टेम्पो में खड़े होकर भाषण देते थे। उनका भाषण इतना जोशीला और आकर्षक होता था कि अपने आप भीड़ जुट जाती थी।