‘राहुल की तरह बचकानी हरकतें नहीं करता मेरा अखिलेश’

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‘राहुल की तरह बचकानी हरकतें नहीं करता मेरा अखिलेश’

‘राहुल की तरह बचकानी हरकतें नहीं करता मेरा अखिलेश’

अजयेंद्र राजन शुक्ल
मुलायम सिंह यादव के बारे में कहा जाता रहा कि जो भी शख्स उनके संपर्क में आया, वो उनसे प्रभावित हुए बिना नहीं रह पाया। लोगों को भीड़ में ही पहचान लेने की उनकी खूबी दूसरे किसी नेता में नहीं मिलती। ये मुलायम ही थे कि आज उनके निधन पर तमाम राजनीतिक विश्लेषक कह रहे हैं कि उनसे सहमत और असहमत हुआ जा सकता है लेकिन उत्तर प्रदेश की राजनीति के वे नेता नहीं एक इमोशन थे। सैफई में उमड़ी भीड़ भी ये ही बयां कर रही है। मुलायम के अंतिम दर्शन के लिए लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा है। क्या परिवार, क्या गांव और क्या समाज सभी की आंखें आज नेताजी की याद में नम हैं।

मुलायम सिंह यादव की पल में लोगों को अपना बना लेने की कला का प्रत्यक्ष दीदार मैंने भी किया। ये वर्ष 2004 था। मैंने लखनऊ में खेल पत्रकारिता करने के बाद कानपुर की सिटी रिपोर्टिंग में हाथ आजमाने शुरू किए ही थे। इसी दौरान एक असाइनमेंट मुझे मिला। पता चला कि कानपुर में एक नेता के पुत्र की शादी थी और मुख्यमंत्री  मुलायम सिंह यादव समय निकालकर नवविवाहित जोड़े को आशीर्वाद देने कानपुर पहुंच रहे हैं। मेरे लिए ये असाइनमेंट बड़ा था। पहली बार किसी ऐसे कार्यक्रम में जा रहा था, जहां सीधे मुख्यमंत्री से मिलने का मौका था। पॉलिटिकल रिपोर्टिंग के मामले में मेरा अनुभव उतना नहीं था। मैंने अखबार के दफ्तर में ही मीटिंग के बाद सीनियर्स और साथियों से कुछ सवाल तैयार किए और मौके पर पहुंच गया। 

Mulayam Singh Yadav नहीं रहे नेताजी... समाजवादी राजनीति के युग मुलायम सिंह यादव का निधन 1 -

नहीं रहे ‘नेताजी’

यहां सीएम का काफिला आया और सीधे बंगले में प्रवेश कर गया। बाहर हम रिपोर्टर और फोटोग्राफर इंतजार करने लगे। इसके बाद खबर आई कि नेताजी निकलने वाले हैं। पहले सभी ने अंदर बंगले में प्रवेश करने की कोशिश की लेकिन सुरक्षाकर्मियों ने रोक दिया। इसके बाद सभी मेन गेट के बाईं तरफ लाइन से खड़े हो गए। मैं भी उनके साथ खड़ा था। तभी मुलायम आए और कार में सवार हो गए। साफ दिखा कि सीएम निकल जाएंगे, बात शायद न हो पाए। उन्हें कार में सवार हुआ देख मैं झट से गेट के दाहिनी तरफ आ गया। मैंने ठान रखी थी कि मुलायम से बात तो करूंगा ही। सीएम का काफिला निकला और जैसे ही उनकी एम्बेसडर कार गेट के बाहर आई, मैंने देखा मुलायम सिंह ने कार का शीशा खोल रखा था और हाथ हिला रहे थे। मैंने जोर से कहा, ‘अरे नेताजी, पत्रकारों से बिना बात किए चले जाएंगे।’ एसपीजी मुझे ढकेल रही थी। अचानक कार रुक गई। नेता जी फौरन बाहर निकले और मेरे कंधे पर हाथ रखकर बोले- बताओ क्या पूछना है? 

मैं कुछ क्षणों के लिए अवाक रह गया क्योंकि जोश-जोश में ही मैंने ऐसा बोला था, मुलायम सीधे उतर आएंगे ये उम्मीद नहीं थी। बहरहाल, अगले ही पल मैंने खुद को संभाला। देखा, मुलायम मेरे साथ खड़े थे, चारों तरफ एसपीजी का घेरा। बाकी सारे पत्रकार और फोटोग्राफर कार के उस पार। मैंने दनादन मौके पर सवाल पूछने शुरू किए। मुलायम जवाब देते रहे। एक सवाल मैंने आखिर के लिए बचा रखा था। ये थोड़ा टेढ़ा था। दरअसल कुछ दिन पहले ही मुलायम सिंह यादव ने राहुल गांधी के लिए कहा था कि वह बचकानी हरकतें करते हैं। मैंने उनका ये बयान याद दिलाया और पूछा कि अखिलेश भी राहुल की उम्र के हैं, सांसद भी हो चुके हैं। लेकिन ज्यादा सक्रिय नहीं दिखते, इस पर कुछ कहना चाहेंगे? मुलायम के चेहरे पर गुस्से के भाव मुझे साफ दिखे। उन्होंने बस इतना कहा कि मेरा अखिलेश ऐसी हरकतें नहीं करता और वापस वह कार में बैठ गए। कारवां गुजर गया। 

कुछ ही महीने बाद सीएम मुलायम सिंह यादव से मिलने का एक और मौका आया। दरअसल बिठूर में एक साईं मंदिर का कार्यक्रम था। सीएम वहां पहुंचने वाले थे। मंदिर के बगल में ही उनके हेलीकॉप्टर उतरने के लिए हेलीपैड तैयार किया गया। कार्यक्रम की कवरेज करने मैं भी गया था। पहले ये हुआ कि नेताजी मंदिर में कार्यक्रम के बाद मीडिया से बात करेंगे। हम इंतजार करते रहे लेकिन ऐसा नहीं हुआ। जैसे ही पता चला कि नेताजी वापस जा रहे हैं। मैं तेजी से हेलीपैड के मुहाने पर आ खड़ा हुआ। यहां सुरक्षाकर्मियों के बगल में था, तभी नेताजी आते दिखे। उन्होंने मुझे देखा तो मैंने हाथ जोड़कर प्रणाम किया। लेकिन ये क्या मुलायम सिंह देखते ही पहचान गए। पास आए और उसी अंदाज में उन्होंने मेरे कंधे पर हाथ रख दिया। फिर बोले- पूछो क्या पूछना है? मैं अंदर से गदगद। इसके बाद मैंने कई सवाल पूछे और यहां भी आखिर में एक टेढ़ा सवाल रखा था। मैंने पूछा कि प्रदेश में बिजली की समस्या पर क्या कर रहे हैं? मुलायम सिंह ने कहा कि हम दादरी प्रोजैक्ट ला रहे हैं। मैंने कहा लेकिन इसे तैयार होने में कई वर्ष लगने हैं, तब तक क्या? कानपुर में ही घंटों कटौती हाेती है। पूरे प्रदेश का हाल बुरा है। इस पर मुलायम सिंह यादव ने कहा कि विपक्ष से पूछिए क्या किया उन्होंने? मैंने कहा क्यों- जवाबदेह तो सरकार है। इस पर नेताजी ने अपनी चिरपरिचित मुस्कान के साथ मुझसे कहा- तुम जब पूछना टेढ़ा सवाल ही पूछना, खूब तरक्की करो और नेताजी अपने हेलीकॉप्टर की तरफ बढ़ गए। 

डिसक्लेमर : ऊपर व्यक्त विचार लेखक के अपने हैं



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