राजस्थान में भी पंजाब की राह पर कांग्रेस | Congress on the path of Punjab in Rajasthan | Patrika News

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राजस्थान में भी पंजाब की राह पर कांग्रेस | Congress on the path of Punjab in Rajasthan | Patrika News

राजस्थान में भी पंजाब की राह पर कांग्रेस | Congress on the path of Punjab in Rajasthan | News 4 Social


जयपुरPublished: Apr 09, 2023 03:38:35 pm

पूर्व प्रदेशाध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट की ओर से राज्य सरकार पर भ्रष्टाचार की जांंच नहीं कराए जाने वाले बयान ने प्रदेश कांग्रेस में पिछले चार साल से चली आ रही खींचतान कोे एक बार फिर बाहर ला दिया है। इसके साथ ही चुनाव से पूर्व राजस्थान में भी कांग्रेस पंजाब की राह पर चलती नजर आ रही है।

राजस्थान में भी पंजाब की राह पर कांग्रेस

राजस्थान में भी पंजाब की राह पर कांग्रेस

पूर्व प्रदेशाध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट की ओर से राज्य सरकार पर भ्रष्टाचार की जांंच नहीं कराए जाने वाले बयान ने प्रदेश कांग्रेस में पिछले चार साल से चली आ रही खींचतान कोे एक बार फिर बाहर ला दिया है। पायलट वर्तमान मुख्यमंत्री अशोेक गहलोत और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के बीच मिलीभगत की बात भी की है। इसके साथ ही चुनाव से पूर्व राजस्थान में भी कांग्रेस पंजाब की राह पर चलती नजर आ रही है।
पायलट ने प्रेसवार्ता में सीएम के साथ आलाकमान को भी भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई के लिए पत्र लिखने की बात कही। साथ ही 11 अप्रेल से धरने पर बैठने की भी घोषणा कर दी है। इसको देखते हुए अब पार्टी आलाकमान के समक्ष भी संकट उत्पन्न हो गया है कि वे कर्नाटक चुनाव पर ध्यान दे या राजस्थान के मुद्दे को सुलझाए।
पंजाब में फेल हुआ बदलाव
हालातों पर नजर डाली जाए तो पंजाब में पिछले विधानसभा चुनाव से पूर्व कांग्रेस में कमोबेश ऐसी ही स्थिति बनी हुई थी। वहां पर मुख्यमंत्री केप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिद्धु के बीच कुर्सी को लेकर ऐसी ही खींचतान शुरू हो गई थी। विवाद को बढ़ता देख कांग्रेंस आलाकमान ने अमरिंदर और सिद्धु को साइडलाइन कर चन्नी को मुख्यमंत्री बना दिया था। इसका परिणाम येे रहा कि अमरिंदर सिंह पार्टी से अलग होे गए और कांग्रेस को चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा। अब राजस्थान में भी चुनाव से पूर्व पायलट का सरकार की नीतियों के खिलाफ झंड़ा उठाना कांग्रेंस आलाकमान के लिए परेशानी का सबब बन सकता है। पंजाब की तरह यहां भी आलाकमान ने अगर बीच का रास्ता निकाला तो कांग्रेस के लिए आगामी चुनाव जीतना एक टेडी खीर साबित हो सकता है।
साल दर साल बढ़ती खींचतान
गौरतलब है प्रदेश में वर्ष 2013 मेंं हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार हुई थी। कांग्रेस ने चुनाव में 21 सीटे प्राप्त की थी, जो कि किसी भी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली सबसे कम सीट थी। इस चुनाव के बाद कांग्रेस आलाकमान ने युवा नेतृत्व के रूप में सचिन पायलट को कमान सौंपी थी। वर्ष 2018 में हुए विधानसभा चुनाव भी उनके नेतृत्व में हुए और कांंग्रेस की सत्ता में वापसी हुई थी। यहां पर कांग्रेस आलाकमान ने अशोक गहलोत को एक बार फिर मुख्यमंंत्री बनाया था। इस दौरान सचिन को सीएम बनाए जाने की चर्चाएं भी हुई लेकिन बाद में उन्हें उपमुख्यमंत्री बनाया गया और कोई प्रमुख विभाग उन्हें नहीं दिया गया।
जुलाई 2020 में उठापटक
कोरोना की पहली लहर के बीच जुलाई 2020 में एसओजी की ओेर से सचिन पायलट सहित विभिन्न् नेताओें को नोटिस भेजे गए। इसके विरोध में सचिन दिल्ली चले गए। तब राजस्थान की राजनीति में नई उठापटक शुरू हुई। सचिन के समर्थन में करीब दो दर्जन विधायकों के गुरूग्राम स्थित होटल में पहुंचने की बात कही जाने लगी। इससे बचाव के लिए राज्य सरकार ने अपने विधायकों को एक निजी होटल में भेज दिया। आपसी समझाइश और बातचीत का दौर करीब एक माह तक चला इसके बाद पायलट वापस लौट आए। हालांकि इसके एवज में उन्हें प्रदेशाध्यक्ष और उप मुख्यमंत्री का पद खोना पड़ा।
बदलते रहे प्रभारी
कांंग्रेस की ओर से राजस्थान में गहलोत और पायलट के बीच चल रहे विवाद के बीच दोे बार प्रभारी को बदला जा चुका है। चुनाव के समय अविनाश पांडे्य प्रभारी थे। इसके बाद अजय माकन को राजस्थान का प्रभारी बनाया गया, लेकिन दोनों ही विवाद को सुलझाने में नाकाम रहे। इसके बाद सुखजिंदर सिंह रंधावा कोे राजस्थान का प्रभारी बनाया गया है। तीनों ही प्रभारियोें ने शुरूआत में बयानों के जरिए सख्ती दिखाई, लेकिन जमीनी स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं कर पाए।
चले बयानों की तीर
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पायलट की तमाम गतिविधियों के बीच कई बार बयानों के जरिए उन्हें आड़े हाथ लिया। उन्होंने कभी प्रत्यक्ष तो कभी अप्रत्यक्ष रूप से पायलट पर शब्दों के बाण छोड़े। इस दौरान उन्होंने नाकारा, निकम्मा तो कभी अनुभवहीन तक कहा। यहां तक की पार्टी का कोेरोना तक बता दिया। उन्होंने नए लोगों की राजनीतिक रगडाई हुए बिना उच्च पद संभालने पर भी कटाक्ष किए। हालांकि इस दौरान पायलट ने अपने को मौन ही रखा।
राहुल कराते रहे समझौता
गौैरतलब है कि कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांंधी ने भी कई बार राजस्थान के दौरे में गहलोत और पायलट को एक मंच पर लाकर विवाद समाप्त करने की कोशिश की लेकिन बात नहीं बनी। राहुल ने बांसवाड़ा और जयपुर में दोनों से बातचीत भी की। इसके बाद भी दोनों के बीच तल्खी बढ़ती गई।

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