मुलायम का हाल जानने पहुंचे थे, अब CBI की चार्जशीट… जानिए रेलवे भर्ती का वह खेल, जिसमें फंस गए लालू और राबड़ी

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मुलायम का हाल जानने पहुंचे थे, अब CBI की चार्जशीट… जानिए रेलवे भर्ती का वह खेल, जिसमें फंस गए लालू और राबड़ी

मुलायम का हाल जानने पहुंचे थे, अब CBI की चार्जशीट… जानिए रेलवे भर्ती का वह खेल, जिसमें फंस गए लालू और राबड़ी

लखनऊ: जमीन के बदले नौकरी घोटाले (Land For Job Scam) के मामले में सीबीआई ने लालू प्रसाद यादव और उनके कुनबे के खिलाफ चार्जशीट दायर कर दी है। इस मामले में 16 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दायर की गई है। सीबीआई ने करीब 14 साल पुराने मामले में पिछले दिनों बिहार, झारखंड और हरियाणा के करीब 25 ठिकानों पर छापे मारे थे। आईआरसीटीसी घोटाले में पहले ही उनके करीबियों पर शिकंजा कसा हुआ है। अब इस मामले में सीबीआई ने राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव, पूर्व सीएम राबड़ी देवी, राज्यसभा सांसद मीसा भारती, हेमा यादव को मुख्य रूप से चार्जशीट में नाम डाला है। राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव 5 अक्टूबर कोअपने पुत्र और बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के साथ मुलायम सिंह यादव की स्थिति का जायजा लेने पहुंचे थे। गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में उन्होंने अखिलेश से मुलाकात भी की थी। इसके करीब दो दिन बाद ही सीबीआई की चार्जशीट का मामला सामने आ गया।

आईआरसीटीसी घोटाले की जांच के क्रम में सीबीआई के सामने लैंड फॉर जॉब केस आया। इस मामले में सीबीआई के समक्ष कई लैंड डील के कागजात पेश किए गए, जिनका रेलवे में नौकरी से संबंध बताया जा रहा था। वर्ष 2017 में पूर्व डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने रेलवे में नौकरी देने के लिए लालू परिवार पर जमीन लिखवाने का आरोप लगाया था। इसके सबूत मीडिया के सामने रखे थे। सीबीआई के सामने भी। जांच में पाया गया कि रेलवे मंत्री रहते पटना के 11 और गोपालगंज के एक व्यक्ति को लालू यादव ने चुपके से नौकरी दे दी। इन नौकरियों के बदले उनसे अपने परिवार के नाम पर जमीनें लिखवा लीं।

जांच में भी बड़े दावे, अब चार्जशीट में भी
लैंड फॉर जॉब घोटाले की जांच के क्रम में सीबीआई की ओर से बड़े दावे किए गए। यूपीए सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान लालू यादव रेल मंत्री थे। सीबीआई की जांच में थ्योरी दी गई कि लालू ने 12 लोगों को जॉब दिए और उनसे जमीन अपने नाम पर लिखवा लिया। पूरा खेल वर्ष 2004 से 2009 के बीच का है। सीबीआई ने सात मामलों के जरिए पूरे केस को स्थापित कर दिया। सीबीआई ने जांच के क्रम में कहा कि लालू यादव के परिवार को जब जमीन दिया गया तो अस्थायी तौर पर रखे गए कर्मियों की नियुक्ति को स्थायी किया गया। पिछले साल यानी 2021 में इस मामले की जांच शुरू की गई।

लैंड डील के ये थे सात मामले
लालू यादव पर लैंड डील के सात मामले पेश किए गए। रजिस्ट्री और अन्य कागजातों के जरिए केस को पुख्ता बनाया गया। सीबीआई ने जांच के क्रम में पाया गया कि 6 फरवरी 2008 को पटना के किशुन देव राय ने अपनी जमीन काफी कम कीमत पर राबड़ी देवी के नाम कर दी। 3375 वर्ग फीट जमीन महज 3.75 लाख रुपए में। राबड़ी देवी के नाम जमीन होने के साथ इस परिवार के राज कुमार सिंह, मिथिलेश कुमार और अजय कुमार को मध्य रेलवे मुंबई में ग्रुप डी के पद पर नौकरी मिली थी।

दूसरा मामला फरवरी 2008 का है। पटना के महुआबाग के संजय राय ने भी 3.75 लाख रुपए में 3375 वर्ग फीट जमीन राबड़ी देवी को बेची। जांच में मामला सामने आया कि संजय राय के साथ-साथ परिवार के दो अन्य सदस्यों को रेलवे में नौकरी मिली थी। जांच बढ़ी तो तीसरा मामला पटना की किरण देवी का आया। किरण देवी ने नवंबर 2007 में 3.70 लाख रुपए में अपनी 80,905 वर्ग फीट जमीन मीसा भारती को बेच दी। इस सौदे के बाद सेंट्रल रेलवे मुंबई में उनके बेटे अभिषेक कुमार को नौकरी मिल गई।

सीबीआई के सामने चौथी डील फरवरी 2007 में हाने का मामला सामने आया। पटना के हजारी राय ने 9527 वर्ग फीट जमीन दिल्ली के एके इंफोसिस्टम प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी को बेची। सौदा महज 10.83 लाख रुपए में हुआ। इस डील के बाद हजारी राय के दो भतीजों दिलचंद कुमार और प्रेम चंद कुमार को पश्चिम मध्य रेलवे जबलपुर और दक्षिण पूर्व रेलवे कोलकाता में नौकरी मिल गई। जांच में पाया गया कि एके इंफोसिस्टम कंपनी के सभी राइट्स और प्रॉपर्टी वर्ष 2014 में राबड़ी देवी और उनकी बेटी को दे दिए गए। कंपनी के अधिकांश शेयर को खरीद राबड़ी इसकी निदेशक बन गईं।

सीबीआई के सामने पांचवीं डील मई 2015 में होने का मामला सामने आया। पटना के लालबाबू राय केवल 13 लाख रुपये में 1360 वर्गफीट जमीन पूर्व सीएम राबड़ी देवी के नाम कर दी। इसके लिंक खोजे गए तो पता चला कि लालबाबू के बेटे लालचंद कुमार को वर्ष 2006 में उत्तर पश्चिम रेलवे जयपुर में नौकरी मिली थी। छठी डील 2008 में होने का पता सीबीआई को चला। बृजनंदन राय ने तब 3375 वर्गफीट जमीन गोपालगंज के हृदयानंद चौधरी को 4.21 लाख रुपये में बेची थी। हृदयानंद चौधरी को वर्ष 2005 में पूर्व मध्य रेलवे हाजीपुर में नौकरी मिल गई।

वर्ष 2014 में हृदयानंद चौधरी ने गिफ्ट डीड के जरिए 3375 वर्गफीट जमीन लालू प्रसाद यादव की बेटी हेमा यादव को ट्रांसफर कर दिया। जांच में दोनों के बीच कोई संबंध नहीं पाया गया। जांच में यह भी पता चला कि उस समय इस जमीन का सर्किल रेट 62 लाख रुपये था। सातवीं डील मार्च 2008 की विशुनदेव राय और सीवान के रहने वाले ललन चौधरी के रूप में सामने आई। विशुन राय ने ललन चौधरी को 3375 एकड़ जमीन बेची। ललन चौधरी के पोते पिंटू कुमार को पश्चिम रेलवे मुंबई में इसी साल यानी 2008 में नौकरी लगी। ललन चौधरी ने फरवरी 2014 में उस 3375 एकड़ जमीन को हेमा यादव के नाम कर दिया।

बिना विज्ञापन नौकरी, लैंड डील, फंसे लालू
रेलवे में जिन 12 लोगों को नौकरी दी गई, उस मामले में जांच के क्रम में सामने आया कि बिना किसी वैकेंसी के ही नियुक्तियां कराई गईं। इसके लिए पहुंच का इस्तेमाल किया गया। लैंड डील के बाद ग्रुप डी में अस्थायी तौर पर नियुक्त कर्मियों को स्थायी कर दिया गया। सीबीआई की जांच में पूरा मामला आने के बाद जांच और तेज हुई। अब चार्जशीट दायर होने के बाद लैंड फॉर जॉब केस में लालू परिवार के खिलाफ शिकंजा कसने की भी बात कही जाने लगी है।

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